बचपन से वेदप्रकाश , सलमा सुल्तान और रजत शर्मा को देखकर मेरे भी मन में न्यूज़ रीडर बनाने कि ललक पैदा हूँ और अपनी इसी चाहत को पूरा करने के लिए मैंने पत्रकारिता क्षेत्र में कदम बढाया.... हालाँकि घर वाले आज भी मेरे इस फैसले से खुश नहीं है .सबकी तरह इनकी भी चाह थी कि मैं डॉक्टर या इंजीनियर बनू ...पिछले एक साल से इलेक्ट्रोनिक मीडिया से जुड़ा हूँ , शुरुवाती दो महीने तो ABCD सीखने में निकल गए वैसे मुझे लगता है कि इस फिल्ड में रहा तो ताउम्र हर रोज़ कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता रहेगा
वैसे आजकल पत्रकारिता के नाम पर भी गंदा सियासी खेल हो रहा है ....इलेक्ट्रोनिक मीडिया तो टीआरपी का गुलाम हो गया है , यहाँ पर ख़बर कि रूह बिक चुकी है, जो हम आप देख रहे हैं वो तो बेजान शरीर है जो टीआरपी के इशारे पर नाच रहा है
रियलिटी शो पर आप कितना विश्वास करते हैं , यह मैं नहीं जनता , चूँकि मैं टीवी के लिए काम करता हूँ तो मुझे पता है यहाँ सब कुछ स्क्रिप्टेड होता है..... सब टीआरपी के लिए रचा रचाया खेल होता है अब न्यूज़ भी इससे अछूता नहीं रहा है ....स्टार एंकर हंट के प्रोमो
में दीपक चौरसिया को देखकर मुझे लगा शायद इसमें कुछ हकीकत हो इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर दिया.....मुंबई में ऑडिशन की डेट निकल चुकी थी , इसलिए मैंने जयपुर ऑडिशन के लिए फॉर्म भरकर भेज दिया.... और उम्मीद के अनुसार मुझे ऑडिशन के लिए कॉल आ भी गया.... ऑडिशन से ठीक दो दिन पहले ...न ऑफिस से छुट्टी मिली न आरक्षित टिकट और बॉस के साथ झगडा हो गया वो अलग .....ये सब शुभ संकेत नहीं थे पर मैं पीछे पछताने वाली फितरत में विश्वास नहीं रखता...... इसलिए उसी रात जयपुर के लिए जनरल कोच में रवाना हुआ.गाड़ी समय के अनुसार नहीं थी और अगले दिन शाम तक किसी भी हाल में मुंबई से जयपुर पहुचना जरुरी था सो खड़े खड़े ही गाडी में सवार हो गया ... और बीच में तीन गाड़िया बदलनी पड़ी वो अलग .......जयपुर पहुंचा एक रात आराम करने के बाद सुबह ऑडिशन के लिए जब मैं सीतापुर समय से १ घंटा पहले पहुंचा सबसे पहले आने वाला मैं अकेला ही वहां था पर चार घंटे बाद हमारे ग्रुप का नंबर आया जिसमे ग्रुप डिस्कशन न कराया गया और और खेल खत्म ऑडिशन में सेलेक्शन करने वाले बन्दे भी मेनेजमेंट के नज़र आ रहे थे .....जब एंकर हंट प्रोग्राम में एंकर को शार्टलिस्ट मैनेजमेंट के लोग करेगें तो फिर आगे के दौर में महारथी जज सही टैलेंट को कैसे पहचान पायेगें .
मेरे ग्रुप में जिस बन्दे ने सब से ज्यादा चिल्लाया था उसे ग्रुप डिस्कशन में सेलेक्ट कर लिया गया .
मैंने उसे बधाई दी और पूछा यार तुम चिल्ला क्यों रहे थे? (चूँकि वो बिलकुल मेरे बगल में बैठा था इसलिए कम से कम मुझे तो समझ में आना ही चाहिए था उसके बेवजह चिलाने कि वजह क्या थी .) उसने जवाब दिया मुझे खुद नहीं पता . उसके बाद मैं वहां से चलता बना , क्योंकि अब मुझे पता चल गया था कि एंकर हंट के जरिये एंकर बनने का सपना यहाँ पूरा नही हो सकता .वहां से बाहर निकला तो मेरी नज़र नम आँखों के साथ बाहर कड़ी गरिमा पर गयी . गरिमा आसाम से आई थी .सुबह में ऑडिशन में जाने से कुछ देर पहले गरिमा और उसके भाई से पहचान हुई थी , वहां पर हम दो ही नमूने ऐसे थे जो इतनी दूर से आए थे . उसने पूछा "तुम्हारा कैसा रहा ?"मैंने कहा अन्दर मच्छी बाज़ार में मै मच्छी नहीं बेच पाया .. हंसते हुए उसके आँख से आंसू टपक गए मानो मैंने उसकी दुखती रग पर उंगली रख दी हो ....उसके भाई ने हम दोनों को सांत्वना दी , पता नहीं कब तक वो लोग वहां खड़े रहे , मैं उसे गुड लक बोलकर वहां से बस स्टैंड कि ओर बढ़ गया
बस मै बैठे बैठे मुझे सर कि बात याद आई जिन्होंने कहा था अगर घूमने जा रहे हो तो जाओ उम्मीद लगा कर मत जाना .फिर क्या वहां से पिंक सिटी गया फिर अजमेर में बाबा के दरगाह पर दुआ मांगने के बाद अंत में पुष्कर में ब्रह्मा जी का आशीर्वाद लेने के बाद मुंबई के लिए गाड़ी पकड़ ली.
(हमें यह अनुभव एक युवा पत्रकार ने स्टार न्यूज़ के एंकर हंट शो में भाग लेने के बाद भेजी है . पत्रकार के भविष्य को ध्यान में रखते हुए यहाँ उनके नाम को प्रकाशित नहीं किया गया है । )
वैसे आजकल पत्रकारिता के नाम पर भी गंदा सियासी खेल हो रहा है ....इलेक्ट्रोनिक मीडिया तो टीआरपी का गुलाम हो गया है , यहाँ पर ख़बर कि रूह बिक चुकी है, जो हम आप देख रहे हैं वो तो बेजान शरीर है जो टीआरपी के इशारे पर नाच रहा है
रियलिटी शो पर आप कितना विश्वास करते हैं , यह मैं नहीं जनता , चूँकि मैं टीवी के लिए काम करता हूँ तो मुझे पता है यहाँ सब कुछ स्क्रिप्टेड होता है..... सब टीआरपी के लिए रचा रचाया खेल होता है अब न्यूज़ भी इससे अछूता नहीं रहा है ....स्टार एंकर हंट के प्रोमो
में दीपक चौरसिया को देखकर मुझे लगा शायद इसमें कुछ हकीकत हो इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर दिया.....मुंबई में ऑडिशन की डेट निकल चुकी थी , इसलिए मैंने जयपुर ऑडिशन के लिए फॉर्म भरकर भेज दिया.... और उम्मीद के अनुसार मुझे ऑडिशन के लिए कॉल आ भी गया.... ऑडिशन से ठीक दो दिन पहले ...न ऑफिस से छुट्टी मिली न आरक्षित टिकट और बॉस के साथ झगडा हो गया वो अलग .....ये सब शुभ संकेत नहीं थे पर मैं पीछे पछताने वाली फितरत में विश्वास नहीं रखता...... इसलिए उसी रात जयपुर के लिए जनरल कोच में रवाना हुआ.गाड़ी समय के अनुसार नहीं थी और अगले दिन शाम तक किसी भी हाल में मुंबई से जयपुर पहुचना जरुरी था सो खड़े खड़े ही गाडी में सवार हो गया ... और बीच में तीन गाड़िया बदलनी पड़ी वो अलग .......जयपुर पहुंचा एक रात आराम करने के बाद सुबह ऑडिशन के लिए जब मैं सीतापुर समय से १ घंटा पहले पहुंचा सबसे पहले आने वाला मैं अकेला ही वहां था पर चार घंटे बाद हमारे ग्रुप का नंबर आया जिसमे ग्रुप डिस्कशन न कराया गया और और खेल खत्म ऑडिशन में सेलेक्शन करने वाले बन्दे भी मेनेजमेंट के नज़र आ रहे थे .....जब एंकर हंट प्रोग्राम में एंकर को शार्टलिस्ट मैनेजमेंट के लोग करेगें तो फिर आगे के दौर में महारथी जज सही टैलेंट को कैसे पहचान पायेगें .
मेरे ग्रुप में जिस बन्दे ने सब से ज्यादा चिल्लाया था उसे ग्रुप डिस्कशन में सेलेक्ट कर लिया गया .
मैंने उसे बधाई दी और पूछा यार तुम चिल्ला क्यों रहे थे? (चूँकि वो बिलकुल मेरे बगल में बैठा था इसलिए कम से कम मुझे तो समझ में आना ही चाहिए था उसके बेवजह चिलाने कि वजह क्या थी .) उसने जवाब दिया मुझे खुद नहीं पता . उसके बाद मैं वहां से चलता बना , क्योंकि अब मुझे पता चल गया था कि एंकर हंट के जरिये एंकर बनने का सपना यहाँ पूरा नही हो सकता .वहां से बाहर निकला तो मेरी नज़र नम आँखों के साथ बाहर कड़ी गरिमा पर गयी . गरिमा आसाम से आई थी .सुबह में ऑडिशन में जाने से कुछ देर पहले गरिमा और उसके भाई से पहचान हुई थी , वहां पर हम दो ही नमूने ऐसे थे जो इतनी दूर से आए थे . उसने पूछा "तुम्हारा कैसा रहा ?"मैंने कहा अन्दर मच्छी बाज़ार में मै मच्छी नहीं बेच पाया .. हंसते हुए उसके आँख से आंसू टपक गए मानो मैंने उसकी दुखती रग पर उंगली रख दी हो ....उसके भाई ने हम दोनों को सांत्वना दी , पता नहीं कब तक वो लोग वहां खड़े रहे , मैं उसे गुड लक बोलकर वहां से बस स्टैंड कि ओर बढ़ गया
बस मै बैठे बैठे मुझे सर कि बात याद आई जिन्होंने कहा था अगर घूमने जा रहे हो तो जाओ उम्मीद लगा कर मत जाना .फिर क्या वहां से पिंक सिटी गया फिर अजमेर में बाबा के दरगाह पर दुआ मांगने के बाद अंत में पुष्कर में ब्रह्मा जी का आशीर्वाद लेने के बाद मुंबई के लिए गाड़ी पकड़ ली.
(हमें यह अनुभव एक युवा पत्रकार ने स्टार न्यूज़ के एंकर हंट शो में भाग लेने के बाद भेजी है . पत्रकार के भविष्य को ध्यान में रखते हुए यहाँ उनके नाम को प्रकाशित नहीं किया गया है । )
साभार- मीडिया मंच .कॉम
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