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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

हमाम में सभी नंगे है गर किसी का नेकर दिख जाये तो उसे उतार कर फाड़ देने में अपनी चतुराई समझते है

सुशील गंगवार -
फिल्म मनोरंजन का साधन है । फिल्म और मीडिया पर राजीनति नहीं की जा सकती है । प्रकाश झा की फिल्म राजीनति भारत में फैली भ्रष्ट राजनीती को दर्शाती है । आतंक को सही मायने में दर्शाने का श्रेय बॉलीवुड की फिल्मो को जाता है । आज कल प्रिंट - इलेक्ट्रानिक मीडिया हर खबर को बढ चढ़ कर दिखा रहा है .

जिससे अधिक मुनाफा हो सके है। टीवी मीडिया की भाषा में टी आर पी का गन्दा खेल भी कह सकते है । हर तरफ फैले भ्रटाचार की जड़े पेड़ बन चुकी है । जिसे जड़ से उखाड़ कर फैकना इतना आसान नहीं है । गर ईट हटाई जाये तो हर ईट के नीचे एक नेता और पत्रकार पैदा होता है और दोनों ही भ्रष्टाचार में लिप्त है । आदर्श राजनीति कोसो दूर खड़ी होकर दलाल नेता पत्रकार से पूछ रही है अरे तुम कितने गहरे पानी में हो ।
जब भी सवाल चौथे खम्भे का होता है तो चौथा खम्बा भी उखड़ने सा लगा है । इसे उखाड़ने में पत्रकार खुद जिम्मेदार है । अमीरों की दहलीज की जूठन चाटकर गर्व से कहता है, हम पत्रकार है। जेब में रखे रिश्वत के नोट , जो जूठन चाटने से पहले मिले थे उस पर हाथ रखकर गर्व महसूस करता है फिर ऊँगली किसी नेता , अमीर , दलाल की तरफ उठा देता है
हमाम में सभी नंगे है गर किसी का नेकर दिख जाये तो उसे उतार कर फाड़ देने में अपनी चतुराई समझते है । पिछली बार अजीत अंजुम ने लिखा था । लडकिया घुमाने वाला संपादक ? मुंबई में उनके ऑफिस लड़की रो रोकर किसी संपादक की घटिया हरकतों की कहानी सुना रही थी । संपादक ने नौकरी के नाम पर कैसे शोषण किया था। हमें अपने गिरेमान में झाककर देखने की नौबत ही नहीं मिलती है ।

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