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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

भाजपा की आपति गलत है ; लोकायुक्त होना चाहिये


राज्यों में लोकायुक्त का प्रावधान संघीय ढंचा के खिलाफ़ नही

भाजपा को लोकपाल के मु्ख्यततीन प्रावधानों पर आपति है। पहला  सीबीआई पर सरकार का नियंत्रण , दुसरा लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान और तिसरा अल्पसंख्यको के लिये आरक्षण

सबसे पहले एक बात समझ लेना आव्श्यक है वह है हमारा संविधान । भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुयें । भारत के संविधान को मात्र एक हमला झेलना पडा वह था आपातकाल । पाकिस्तान का संविधान लगातार हमले झेल रहा है ।

दोनो देशों की व्यवस्था में बुनियाद फ़र्क है शासन प्रणाली । भारत में लोकसभा सर्वोच्चय है । सेनाजांच एजेंसी यहां तक की न्यायपालिका भी लोकसभा के प्रति जबाबदेह है ।

पाकिस्तान की सेना स्वतंत्र है । जांच एजेंसी आइ एस आइ सरकार के अधिन नही है । परिणाम सामने है । बार बार सैनिक शासन और आइ एस आइ की मनमानी हरकत ।

सीबीआई या कोई भी संस्था सरकार से स्वतंत्र नही हो सकती । इसके अपने खतरे हैं । कभी भी राजनीतिक फ़ायदे के लिये उसका सर्वोच्चय अधिकारी कुछ भी कर सकता है । सरकार के अधिन होने के भी खतरे हैं , सीबीआई का राजनीतिक दुरुपयोग। लेकिन राजनीतिक दुरुपयोग को संसद में बहस का मुद्दा बनाकर रोका जा सकता है । वैसे सीबीअई पूर्णतसरकार के अधिन नही है। न्यायालय किसी भी मुकदमें की जांच का आदेश दे सकता है और उस जांच की मानिटरिंग कर सकता हैजैसा की टूजी घोटाले में हुआ।

अब दुसरा मामला है लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान : भाजपा तथा अन्य कुछ दल इसे संघीय ढांचा पर प्रहार मानते हैं । भ्रष्टाचार का संबध राज्य के अधिन संस्थाओं से ज्यादा है । चाहे वह प्रखंड कार्यालय हो , आपूर्ति विभाग , थानास्वास्थय या आंगनबाडी , नरेगाजन वितरण ।

एक तरफ़ क्लास सी और डी ग्रेड कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग और दुसरी तरफ़ लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रावधान का विरोध ।

क्या सिर्फ़ केन्द्र सरकार के क्लास सी और डी के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की जांच होनी चाहिये ?

राज्यों में उच्च न्यायालय है , क्या वह  संघीय ढांचा पर प्रहार नही है ।  

अभीतक गुजरात में लोकायुक्त नही है , भाजपा किस आधार पर इस प्रावधान को गलत बता रही है वह तो भाजपा  हीं बता सकती है । लेकिन इस बात से हर आदमी सहमत होगा कि आम जनता को सबसे ज्यादा राज्य सरकार के कर्मचारियों का भ्रष्टाचार झेलना पडता है ।

अब आरक्षण की व्यवस्था पर आता हूं । आरक्षण का आधार सिर्फ़ आर्थिक होना चाहिये । लेकिन हमने जातिय आरक्षण प्रदान किया pपने राजनीतिक फ़ायदे के लिये । जातिय आरक्षण का प्रावधान संविधान में नही है। वहां वंचित वर्गों के लिये आरक्षण का प्रावधान है । देश के कानूनविदो ने जातियों को एक वर्ग में अनुसूचित करके संविधान के प्रावधान की धज्जियां उडाइ ।

जातीय आरक्षण दक्षिण अफ़्रिका की रंगभेद नीति की तरह है । इसका विरोध होना चाहिये था , लेकिन वोट की राजनीति के कारण किसी भी दल ने इसका विरोध नही किया । अब धार्मिक आरक्षण का विरोध क्यों ? इसलिये न की यह वोट की राजनीति के लिये भाजपा के खिलाफ़ है ।

जातीय आरक्षण से जो लोग क्षुब्ध हैं , उन्हें अल्पसंख्यको के आरक्षण का समर्थन जातीय आरक्षण की बुराइयों को दर्शाते हुये करना चाहिये ताकि हमारी संसद जागे और रंगभेद का खात्मा हो ।
sabhar:- biharmedia.com

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