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गूगल से डर


गूगल से डर तो लगता है


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पीयूष पांडे, साइबर पत्रकार
क्या आपने गूगल की नई निजता नीति को पढ़ा है? 1 मार्च से गूगल ने नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू कर दी है। इसे लेकर दुनिया भर में बवाल मचा हुआ है। यूरोप में तो नई निजता नीति के खिलाफ आधिकारिक जांच आरंभ कर दी गई है। गूगल की सेवाओं का इस्तेमाल करने वाले लोगों की निजी जानकारियों के सार्वजनिक होने की आशंका के बीच प्राइवेसी पॉलिसी पर इंटरनेट कार्यकर्ताओं ने निशाना साध दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या जीमेल, यूट्यूब, ?लॉगर, गूगल प्लस जैसी गूगल की तमाम सेवाओं का इस्तेमाल करने वाले आम इंटरनेट उपयोक्ता नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर चिंतित हैं? 
एक वक्त था जब गूगल की उपयोगिता सिर्फ सर्च इंजन तक सीमित थी। लेकिन, गूगल कंपनी ने अपनी सेवाओं का विस्तार इस तेजी से किया कि आज इंटरनेट की तमाम महत्वपूर्ण सेवाओं पर उसका क?जा है। सबसे प्रमुख ई?मेल सेवा जीमेल से लेकर सबसे बड़ी वीडियो शेयरिंग साइट यूट्यूब पर उसका अधिकार है। गूगल मैप्स, डॉक्स, ?लॉगर जैसी तमाम दूसरी सेवाएं भी खासी लोकप्रिय हैं। आम इंटरनेट उपयोक्ता इन तमाम सेवाओं का इस्तेमाल करते हुए गूगल को तमाम सूचनाएं मुहैया कराता है। सूचनाओं और जानकारियों का यही खजाना गूगल की सबसे बड़ी ताकत है। गूगल अपनी इस ताकत का व्यावसायिक इस्तेमाल करता रहा है। विशेषीकृत विज्ञापन देकर। लेकिन, अपनी सेवाओं के विस्तार और शोध में आने वाली पूंजी को जुटाने और विज्ञापन बाजार में फेसबुक से लोहा लेने के लिए गूगल ने प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव कर दिया है। अभी तक 60 से ज्यादा गूगल की सेवाओं की अलग अलग निजता नीति थी। 
एक मार्च से लगभग सभी सेवाओं की एक निजता नीति तय कर दी गई है। अब गूगल की सेवाओं का उपयोग करने वाले हर श?स की सारी जानकारी भी एक ही जगह सहेज कर रखी जा रही है। ऐसा कतई नहीं है कि गूगल की नई निजता नीति लागू होने के बाद से अचानक साइट उपयोक्ताओं की जानकारियां संग्रहित करना शुरु कर देगी। गूगल हमेशा से अपनी सेवाओं के उपयोक्ताओं की जानकारी संग्रहित करती रही है, और इसका इस्तेमाल लोगों के सर्च संबंधी अनुभव को वैयक्तिक रुप देने में किया भी जाता रहा है। लेकिन, अब इस कवायद का विस्तार किया जा रहा है। गूगल अब उपयोक्ताओं के अनुभव को अत्यधिक निजी बना रहा है। उदाहरण के तौर पर अगर आपने गूगल सर्च इंजन में फिल्म प्रशिक्षण संबंधी कोर्स खोजा तो यूट्यूब पर लॉग?इन करते ही देखने लायक वीडियो की सूची में अपने आप आपको फिल्म प्रशिक्षण संबंधी वीडियो दिखाए जाएंगे। यूं ऐसा तभी होगा, जब आपने गूगल की किसी न किसी सेवा में लॉग?इन कर रखा हो। व्यावहारिक रुप में ऐसा होता ही है। दूसरा, ऐसा न होने की स्थिति में भी गूगल आपकी इंटरनेट गतिविधियों को ट्रैक करेगी ही। इससे आप बच नहीं सकते। उल्लेखनीय है कि गूगल की लगभग सभी सेवाएं नि:शुल्क हैं और कंपनी के राजस्व का लगभग 90 फीसदी हिस्सा ऑनलाइन विज्ञापनों से आता है। गूगल को विज्ञापनों से आय भी उसी स्थिति में होती है, जब लोग उन विज्ञापनों को देखते अथवा 'क्लिक' करते हैं। साफ है कि गूगल का उद्देश्य अति वैयक्तिक विज्ञापनों को उपयोक्ताओं तक पहुंचाना और उन्हें देखने के लिए बाध्य करना है। इसी रणनीति का हिस्सा है नई प्राइवेसी पॉलिसी। 
लेकिन,बड़ा सवाल है कि क्या उपभोक्ताओं से प्राप्त डाटा के सार्वजनिक होने का खतरा बढ़ गया है? इस सवाल का भी सीधा जवाब नहीं है। आखिर गूगल के पिटारे में अभी भी हमारी तमाम निजी और व्यावसायिक जानकारियां हैं हीं। गूगल ने प्राइवेसी पॉलिसी में साफ कहा है कि वो जानकारियों को बिना अनुमति के किसी तीसरी कंपनी को कभी नहीं देगी। इसके अलावा उपयोक्ता चाहें तो गूगल से खुद से जुड़ी जानकारियां हटाने का आग्रह कर सकते हैं। तो चुनौती आम इंटरनेट यूजर्स के सामने हैं कि वो कैसे कम से कम निजी सूचनाएं बांटते हुए सेवाओं का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाएं। इस कड़ी में भी पहली जरुरत तो कंपनियों की प्राइवेसी पॉलिसी समझने की है
Sabhar- Samachar4media.com

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