प्रदीप 1986 में स्वतंत्र चेतना अखबार गोरखपुर से अपना पत्रकारिता का सफ़र शुरू किया था वह 1992 से राष्ट्रीय सहारा में कार्येरत थे । पत्रकारिता के साथ एक अच्छे कवि भी थे । प्रदीप की कविता राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर के परिशिष्ट 'आजकल' छपी थी । जिन लोगों ने आज दुबारा कविता पढ़ीं , तो हर किसी की आखे नम हो गयी । प्रदीप कुछ सामान लेने जा रहे थे तभी उनकी कार हो दुर्घटनाग्रस्त गयी। वह अपने पीछे अपने माता पिता को छोड़ गए है। जो अपने बेटे का आने का इंतजार कर रहे थे । वह नहीं जानते थे कि उनका बेटा प्रदीप हमेशा के लिए कोसो दूर जा रहा है । जहा से लौटना आसान नहीं है।
साक्षात्कार.कॉम
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