दैनिक जागरण, कानपुर से खबर है कि यहां के मीडियाकर्मियों को एक कागज पर दस्तखत करने को कहा गया और सबने कर भी दिया. कुछ लोगों ने कहा कि वे पहले पढ़ लेना चाहते हैं फिर साइन करेंगे लेकिन उन्हें भी पढ़ने नहीं दिया गया. अलग अलग लोगों ने सरसरी निगाह से कागज में अंकित अक्षरों को देखा और जोड़ा तो पता चला कि यह मजीठिया न देने का जागरण प्रबंधन का प्रबंध कौशल है. जिस कागज पर साइन कराया गया उस लिखा था कि...
''मैं जागरण की सेवाओं से संतुष्ट हूं और जागरण मेरे और मेरे परिवार के हितों की पूरी तरह सुरक्षा कर रहा है. मुझे मजीठिया आयोग की सिफारिशों के अनुरूप कोई वेतनमान नहीं चाहिए.''
संपादकीय प्रभारी विनोद शील के कमरे में संपादकीय के लोग एक एक कर बुलाये जाते रहे और सभी से दस्तखत कराए जाते रहे. किसी ने भी हस्ताक्षर करने से इनकार नहीं किया. ये वही पत्रकार साथी हैं जो सरोकार व जनहित की बातें करते हैं, गलत के खिलाफ लड़ने की बातें करते हैं लेकिन जब उनकी आंखों के सामने उनके हाथों से गलत करवाया जाता रहा तो किसी ने चूं तक नहीं किया. ज्ञात हो कि जागरण प्रबंधन काफी पहले से मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के खिलाफ अभियान चला रहा है. यहां तक कि दैनिक जागरण कानपुर के निदेशक संदीप गुप्ता ने एक लेख लिखकर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों की लानत मलानत की थी और इंडस्ट्री के लिए घातक बताया था.
Sabhar:- Bhdas4media.com
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