सूत्रों की माने तो मुमुक्षु आश्रम में साध्वी के आने के बाद स्वामी से ज्यादा वहां साध्वी का ही डंका बजता था। मुमुक्षु आश्रम शाहजहांपुर में स्वामी से यदि किसी को मिलाना होता था तो साध्वी की बिना अनुमति के वह स्वामी से मिल भी नहीं सकता था। यह तो एक बानगी है, हकीकत में स्वामी पर साध्वी का एक पत्नी की तरह पूरा कमांड था। स्वामी जी वही करते थे जो साध्वी चाहती थीं। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर स्वामी ने साध्वी के साथ कुछ गलत किया है तो इसमें साध्वी की पूरी स्वीकृति थी। चूंकि साध्वी ने अपने ब्लॉग पर कहा था कि वह मन ही मन में स्वामी को अपना पति मान चुकी थी। भारतीय नारी यदि किसी को एक वार मन से पति स्वीकार कर लेती है तो वह उस का साथ जीवन भर निभाती है फिर चाहे पति कितना भी अत्याचारी क्यों न हो, पर पत्नी उस का विरोध कभी भी नहीं करती है। इसी कारण साध्वी ने अपने पत्नी का फर्ज निभाते हुये दोनों की बातों को कभी भी जग जाहिर नहीं किया था। पर न जाने पत्रकार बंधु ने चिदर्पिता को कौन सी बूटी सुंघा दी जिस से वह स्वामी से बगावत करने की हिम्मत जुटा पाईं और स्वामी के साम्राजय को चुनौती देने की ठान ली हैं।
जब साध्वी स्वामी को अपना पति मान कर उनकी लंका में राज करने लगी थी और अपनी इच्छा से स्वामी के साथ शारीरिक शुख भोगा तो फिर अब वही सम्बंध दैहिक शौषण कैसे हो सकते हैं? साध्वी के दूसरे पति पत्रकार हैं फिर वह पत्रकारों से दूरी क्यों बढ़ा रही हैं। साध्वी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये जब पुलिस कार्यालय शाहजहंपुर में आई थीं तो पत्रकारों ने उनसे उनके द्वारा स्वामी पर लगाये जा रहे आरोपों के बारे में जानने का प्रयास किया तो वह बस इतना कहते हुये चली गईं कि मुझे कानून पर भरोसा है। उन्हें क्या पत्रकारों के सवालों का सामना करने में भय लग रहा है? या उन्हें इस बात का डर कि उन की कहानी की पोल खुल जायेगी। सूत्रों की माने तो साध्वी की हिटलरी से मुमुक्षु आश्रम का स्टाफ आजिज आ चुका था। उनके जाने से सभी स्टाफ के चेहरे पर भी चमक लौट आई है।
झूठा कौन- कालेज का रिर्काड या साध्वी? : साध्वी ने एसएस ला कालेज से 2003 में एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था, 2004 में द्वितीय वर्ष किया, 2005 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। साध्वी ने तहरीर में कहा है कि 2005 में स्वामी के बंदूकधारी उनहे हरिद्वार से मुमुक्षु आश्रम शाहजहांपुर में लाये और वर्षों तक बंधक बनाकर रखा गया। पर जब वह 2003 में एसएस कालेज शाहजहांपुर से एलएलबी की संस्थागत छात्रा थीं तो उनकी यह बात किसी के भी गले नहीं उतर रही है। मतलब झूठा कौन? कालेज का रिर्काड या साध्वी?
लेखक सौरभ दीक्षित शाहजहांपुर में आईबीएन7 से जुड़े हुए हैं.
Sabhar:- Bhdas4media.com
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