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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ पैसे लेते दिखे


किसी सज्जन ने यूट्यूब पर ''missionnd'' नाम से एकाउंट क्रिएट कर एक वीडियो अपलोड किया है. इस वीडियो में दैनिक जागरण, नोएडा के ब्यूरो चीफ अनिल निगम एक व्यक्ति से पैसे लेते हुए दिख रहे हैं. पैसे देने वाला तीस हजार रुपये नगद तुरंत और बीस हजार रुपये बाद में देने की बात कह रहा है. पर उससे कहा जा रहा है कि वह पांच लाख रुपये दे. अनिल निगम के अलावा 'प्रधान जी' नामक कोई तीसरा शख्स बैठा हुआ है.
रिश्वत देने वाला हाथ पैर जोड़ते हुए कह रहा है कि वह लाखों रुपये नहीं दे पाएगा. वह कम पैसे देने के लिए तरह-तरह की दलीलें दे रहा है. खुद के ब्राह्मण होने का भी वास्ता दे रहा है. वह हर बार यही कह रहा है कि वह पचास हजार रुपये दे सकेगा जिसमें अभी तीस हजार रुपये दे सकता है. वीडियो के आखिर में रिश्वत देने वाला तीस हजार रुपये अनिल निगम को देता है और अनिल निगम इसे अपने जैकेट की जेब में रख लेते हैं. वह दस हजार रुपये फिर देता है और अनिल निगम उसे भी जैकेट में रख लेते हैं.
मामला पुराना जान पड़ता है क्योंकि वीडियो की तस्वीरों से जाहिर है कि सर्दियों के समय यह सब शूट किया गया है. यह भी स्पष्ट है कि जो पैसे दे रहा है, उसी ने स्टिंग प्लान किया था क्योंकि कैमरा ज्यादातर वक्त अनिल निगम के चेहरे व हावभाव को शूट कर रहा है. पैसे देने वाले शख्स की पैसे देने की हड़बड़ी से भी समझ में आ रहा है कि वह ब्यूरो चीफ को पैसे देने को इसलिए उतावला है ताकि स्टिंग करने का उसका मकसद पूरा हो सके.
बताया जाता है कि इस मामले में स्टिंग करने वाले लोगों ने जागरण प्रबंधन के पास वीडियो की सीडी भेजी थी. तब जांच पड़ताल के बाद अनिल निगम को दोषी न पाते हुए क्लीन चिट देने का ऐलान कर दिया गया था. सूत्रों के मुताबिक अनिल निगम ने जागरण प्रबंधन को अपनी सफाई में बताया था कि वे खुद स्टिंग करने गए थे कि किस तरह अवैध काम कराने के लिए ये लोग पैसे का आफर देते हैं.
यह वीडियो अभी तक स्टिंग करने के वाले पास था या फिर जागरण प्रबंधन के पास. पर किसी शख्स ने इसे यूट्यूब पर अपलोड कर दिया है इसलिए पूरा माजरा दुनिया के सामने आ गया है. इसलिए इस मामले में आरोपी दैनिक जागरण, नोएडा के ब्यूरो चीफ अनिल निगम से अपेक्षा है कि वे प्रकरण के संबंध में अपना पूरा पक्ष सार्वजनिक कर दें ताकि दूसरा पक्ष भी सामने आ सके।
साभार - भड़ास४ मीडिया डाट काम

2 comments:

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  2. खुद्दार एवं देशभक्त लोगों का स्वागत है!
    सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का स्वागत और सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य है। इसलिये हम प्रत्येक सृजनात्कम कार्य करने वाले के प्रशंसक एवं समर्थक हैं, खोखले आदर्श कागजी या अन्तरजाल के घोडे दौडाने से न तो मंजिल मिलती हैं और न बदलाव लाया जा सकता है। बदलाव के लिये नाइंसाफी के खिलाफ संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है।

    अतः समाज सेवा या जागरूकता या किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को जानना बेहद जरूरी है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम होता जा है। सरकार द्वारा जनता से टेक्स वूसला जाता है, देश का विकास एवं समाज का उत्थान करने के साथ-साथ जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों द्वारा इस देश को और देश के लोकतन्त्र को हर तरह से पंगु बना दिया है।

    भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, व्यवहार में लोक स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को भ्रष्टाचार के जरिये डकारना और जनता पर अत्याचार करना प्रशासन ने अपना कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं। ऐसे में, मैं प्रत्येक बुद्धिजीवी, संवेदनशील, सृजनशील, खुद्दार, देशभक्त और देश तथा अपने एवं भावी पीढियों के वर्तमान व भविष्य के प्रति संजीदा व्यक्ति से पूछना चाहता हूँ कि केवल दिखावटी बातें करके और अच्छी-अच्छी बातें लिखकर क्या हम हमारे मकसद में कामयाब हो सकते हैं? हमें समझना होगा कि आज देश में तानाशाही, जासूसी, नक्सलवाद, लूट, आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका एक बडा कारण है, भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के हाथ देश की सत्ता का होना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास)- के सत्रह राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से मैं दूसरा सवाल आपके समक्ष यह भी प्रस्तुत कर रहा हूँ कि-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! क्या हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवक से लोक स्वामी बन बैठे अफसरों) को यों हीं सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस संगठन से जुडना चाहे उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर लिखें या फोन पर बात करें :
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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