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http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

मीडिया दुधारी तलवार है, इस्तेमाल सावधानी से करना है : राहुल देव


मीडिया का विस्तार : अवसर और चुनौतियां विषय पर राहुल देव के विचार
आज न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में विकास और विस्तार की असीम संभावनाएं हैं। यह बात मीडिया के साथ भी लागू होती है। सभी को लगता है कि विस्तार हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही यह चिंता भी है कि क्या यह विकास टिक पाएगा। इस विकास के साथ लोगों की उम्मीद भी बढ़ रही है, तो क्या हम उम्मीदों पर टिक पा रहे हैं। लेकिन इन सब चिंताओं के बीच से ही विकास की राह भी निकल रही है। 40 प्रतिशत लोगों तक ही प्रिंट मीडिया की पहुंच है, बाकि 60 प्रतिशत लोगों तक इसे पहुंचना हैं। टीवी की पहुंच ज्यादा है, लेकिन अभी भी इसे घर-घर में पहुंचना है। तो विस्तार की जगह है, गुंजाइश है। एक बड़ा स्पेस ऐसा है जो ‘मीडिया डार्क’ हैं। वहां अभी मीडिया को पहुंचना है।

विस्तार के बीच चुनौतियों की चर्चा भी बहुत जरूरी है। जो बाजार इन सभी गतिविधियों को संभव बनाता है, वहां सस्टेन करना भी बड़ा मुश्किल होता जा रहा है। आज हमारे देश में करीब 65 हजार अखबार रजिस्टर्ड हैं। मीडिया को लेकर किसी भी देश में इतनी विविधता नहीं है। लेकिन छपना है, तो दिखना भी तो है। दिखना बड़ी समस्या हो गई है। कुछ बड़े संस्थानों को छोड़ दें, तो ज्यादातर मीडिया हाउस घोर घाटे में चल रहे हैं। इसके बावजूद भी अखबारों और टीवी, दोनों ही माध्यमों में नए प्रयोग हो रहे हैं। लोगों को जोड़ने की लगातार कोशिश हो रही है।

इन सबके बीच एक चुनौती और है जिसकी चिंता करना जरूरी है। पत्रकारिता से जुड़े पुराने मूल्य टूट रहे हैं, सही और गलत के बीच की दीवार घुंधली हो रही है, लेकिन यह बाजार की मांग है। इसलिए मीडिया एक दुधारी तलवार की तरह है, इसका इस्तेमाल सावधानी से करना है। आज पत्रकारिता की सबसे बड़ी समस्या स्पॉन्सर्ड एडिटोरियल का होना है। यह समस्या केवल हमारे यहां ही नहीं, यह वैश्विक मीडिया की चुनौती है। हम सब गांधी नहीं हो सकते, हर कोई कुर्बानी नहीं दे सकता। फिर भी सुधार की कोशिशें की जा रही है।
साभार- समाचार ४ मीडिया .कॉम

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