सुशील गंगवार
किसी ने सच कहा है साप निकल गया भिट्टा पीटने से क्या फायदा ? भोपाल गैस त्रासदी के २५ साल बाद सरकार की नीद खुली तो साप निकल चुका था। साप अपने पीछे सपोले नेताओं को छोड़ गया । जो इतने सालो बाद एक दूसरे का मुह ताक रहे है किसी की जुबान हिलने का नाम नहीं ले रही है ।
१५००० मौत १००००० से अधिक अपाहिज बेसहारा फिर भी मेरा भारत महान ? कयामत के पच्चीस बरस गुजर जाने के बाद सपोले नेता गन्दी राजनीति के लिए नया मुद्दा तलाश रहे है । जो जहर मासूम लोगो की रगों बह रहा था उस जहर को फ़ैलाने वाला भारतीय नहीं बल्कि वारेन एंडरसन विदेशी साप था. जो अब ९६ का हो चुका है। अगर उसे २५ साल पहले सलाखों के पीछे डाल दिया होता तो वह भारत की घटिया राजीनीति पर कहे कहे नहीं लगा रहा होता ।
एंडरसन चाय की चुस्की के साथ कहता होगा । India is fool country । सब कुछ बिकता है खरीदार होना मागता है । एंडरसन जिस कार से भोपाल से हवाई अड्डे तक गया वह एक कांग्रेसी नेता की बतायी जाती है । उसे को भागने के लिए किसी बड़े नेता के इशारे पर भारत से जाने की सुविधा दी गयी।
हमारी माँ बाबूजी और मामा का नाम लेकर रोती है हमेशा पागलो की तरह कहती रहती है मेरे बापू होते तो ऐसा कभी नहीं होता । वह पढ़ी लिखी नहीं है । उसे टीवी देखने का शौक है वह टीवी पूरी तरह समझ नहीं पाती है । वह भूल चुकी है उस समय पर गाँधी की सरकार थी । फिर साप भिट्टे से कैसे भाग गया । भोपाल गैस त्रासदी लापरवाही और उदासीनता का नतीजा है।
निश्चित ही लापरवाही का नतीजा है.
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