-सुशील गंगवार -
पत्रकारिता का मीठा जहर रगों में चला जाये तो अनपढ़ लोग भी पत्रकार बन जाते है । आप लोगो को याद होगा ,मैंने अपने गाँव के फर्जी रिपोर्टर छिदू मामा की कहानी सुनाई थी । पत्रकारिता में फर्जी पत्रकारों को फौज खड़ी हो चुकी है । ऐसे पत्रकारों पर लगाम कैसे लगे, यह तो भारत सरकार की समझ से बाहर है । हर जिले - तहसील में टीवी और प्रिंट पत्रकार बसूली करते घूम रहे है । हर टीवी चेंनल और अखबार अपने रिपोर्टर आल इंडिया स्तर पर बनाते है । यह दुकाने गली कूचो में खुलने लगी है । फर्जी पत्रकार अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर फर्जी रिपोर्टर एडिटर बनाकर मोटी कमाई कर रहे है। यह लोग फर्जी पत्रकारों को पैसा उघाने की तालीम देकर स्टिंग करवाने से नहीं चूकते है। पत्रकार अपनी न्यूज़ साईट खोल कर स्टिंग करने का धंधा डेल्ही N . C. R में पैसा कमाने लिए कर रहे है । इनकी पदाई आठवी तक है परन्तु भेष बदलने में माहिर है । इनके बात करने का ढंग बेहद कुशल -शातिर होता है । यह अपने आपको किसी बड़े पत्रकार से कम नहीं समझते है। कभी कभी मंत्री का नाम लेकर लोगो को चूना लगाने से बाज नहीं आते है । ऐसे पत्रकार साल एक दो बार तिहाड़ जेल की यात्रा कर लेते है । आपको फर्जी पत्रकारों से बचकर रहना होगा ।
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