Feature

Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

मार्केट में रोज नए अखबार आते हैं और चले जाते हैं - हरिवंश

पिछले कुछ महीनों से झारखंड प्रिंट मीडिया के लिए सबसे चर्चित केंद्र हो गया है। ऐसे में एक-दूसरे से आगे निकलने की मुहिम तेज हो गई है। कीमत को लेकर पहला पासा फेंका प्रभात खबर ने और अपनी कीमत आधी कर दी। भास्कर जहां भी नया पब्लिकेशन शुरू करता है सब्सक्रिप्शन के लिए मुफ्त में ढेरों उपहार बांटता है। अभी दैनिक भास्कर ने अपना प्रकाशन शुरू नही किया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि प्रकाशन शुरू होने के बाद कीमतों को लेकर जंग में और तेजी आयेगी। प्रभात खबर के इस कदम से दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान में भी हलचल बढ़ गयी हैं। यदि दैनिक भास्कर पंजाब की तरह यहां भी कुछ सौ रूपये में पूरे साल अखबार और गिफ्ट देने की रणनीति अपनाता है तो झारखंड में अखबारों की कीमतों का उतार-चढ़ाव और भी बढ़ेगा, लेकिन अखबारों के संपादक ऐसी किसी स्थिति से इनकार रहे हैं।

समाचार4मीडिया से बात से बात करते प्रभात खबर के संपादक हरिवंश ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे पाठक ज्यादा से ज्यादा बढ़ें। हमारा मकसद यह है कि हम झारखंड को आगे ले जायें। और यह तभी संभव है। जब आम इंसान जागरूक हों इसीलिए जागरूकता बढ़ाने के लिए हमने अखबार की कीमत कम की ताकि हम आम इंसान तक अखबार को पहुंचा सके।

मार्केट में तो रोज नए अखबार आते हैं और चले जाते हैं, इसलिय यह कहना गलत होगा कि नए अखबारों की एंट्री को देखते हुए कीमतों में कटौती का फैसला किया गया है। आज से दस साल पहले जब झारखंड बना था तब से लेकर अब तक आठ सरकारें बदल चुकी हैं। यह 40 साल का सफर 10 साल में पूरा हो गया है। यह सब जनता राजनीतिक समझ कम होने के की वजह से हुआ है। हम लोगों को जागरूक करना चाहते हैं। इसलिए हमारा लक्ष्य है कि आम आदमी तक हमारा अखबार पहुंचे।

हमसे बात करते हुये प्रभात खबर के मैनेजिंग डायरेक्टर के के गोयनका ने बताया कि ताजा रीडरशीप सर्वे के मुताबिक झारखंड में 18-20 फीसदी लोग ही अखबार पढ़ते हैं। एक बड़ा तबका है जो अधिक कीमत होने के कारण अखबार नही पढ़ पाता। हमने कीमत इसीलिए कम की है, ताकि अधिक से अधिक लोग अखबार पढ़ सकें।

दूसरी ओर दैनिक हिंदुस्तान के संपादक शशि शेखर का मानना है कि झारखंड में अखबारों की प्रति कॉफी प्रॉफिटिबिलिटी बहुत कम है। तो रांची के बाजार में अखबारों के लिए यह एक गंभीर मसला है। हालांकि आईआरएस के हालिया सर्वे के मुताबिक हिंदुस्तान को सबसे ज्यादा बढ़त यहीं से मिली है, लेकिन यदि वहां पर प्रॉफिटिबिलिटी कम है तो फिर अखबार का दाम कम कर पाना मुश्किल ही होगा। यही मुश्किल जागरण के सामने भी आएगी।

हालांकि आई-नेक्स्ट के संपादक आलोक सांवल ने समाचार4मीडिया से की गई बातचीत में कहा था कि उन्हें प्रॉफेबिलिटी की कोई समस्या नजर नहीं आती क्योंकि कन्ज्यूमर मार्कटिंग इंडेक्स में रांची की स्थिति बेहतर है। जबकि प्रभात खबर और हिंदुस्तान, दोनों के ही विचार इसके विपरीत हैं। दैनिक भास्कर ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन जिस तरह की तैयारी से वे वहां आ रहे हैं तो इस प्राइस वार पर वे भी गौर कर रहे होंगे। बहरहाल जो भी हो इस प्रकरण का फायदा पाठक को मिलेगा यह तो तय है।
साभार - समाचार ४ मीडिया .कॉम

No comments:

Post a Comment

Famous Post