हरियाणा के सिरसा जिले में पिछले कुछ समय से पत्रकारिता के नाम पर सैर-सपाटा का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ है जो थमने का नाम नहीं ले रहा। पत्रकारों का झंडा बुलंद करने वाले दो संगठनों की आपसी टसलबाजी का यहां के पत्रकार जमकर लाभ उठा रहे हैं। जब एक यूनियन अपने पत्रकारों को किसी टूर पर ले जाती है तो दूसरी यूनियन के सदस्य भी टूर पर जाने की मांग उठाने लगते हैं।
टूर पर जाने की इस अंधी प्रतिस्पर्धा में प्रतिवर्ष हजारों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। देखा जाए तो पत्रकारों का उद्देश्य सैर-सपाटा नहीं बल्कि अपनी लेखनी से जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाना है। हालांकि भ्रमण से ज्ञान में वृद्धि होती है मगर एक बार भी ऐसा देखने में नहीं आया जब टूर पर इस उद्देश्य को लेकर कोई पत्रकार गया होगा क्योंकि जिन लोगों को भ्रमण के माध्यम से ज्ञानवृद्धि की जरूरत है उनके पास भ्रमण पर जाने के लिए समय नहीं है और जो लोग भ्रमण पर जाते हैं, उनके लिए भ्रमण महज मौज-मस्ती होता है। इसलिए भ्रमण के नाम पर जो राशि खर्च की जाती है वह सिवाय फिजूलखर्ची के कुछ नहीं है।
पत्रकारों व उनके झंडाबरदारों को चाहिए कि भ्रमण के नाम पर जो राशि खर्च होती है, उस राशि से किसी गरीब पत्रकार के बच्चों को शिक्षा दिलाए। किसी बेसहारा का उपचार कराए या फिर गरीब कन्या की शादी में मदद दी जाए। टूर पर खर्च होने वाली राशि से यूनियन द्वारा पुस्तक खरीदकर पुस्तकालय बनाया जाए, लेकिन अफसोस कि इस दिशा में कोई नहीं सोचता। सेमिनार या कार्यक्रम के नाम पर फंड एकत्रित कर उसे टूर के नाम पर उड़ाना यहां के पत्रकारों की आदत बन चुकी है जो आने वाले समय के लिए घातक बन सकती है।
कमल शर्मा
सिरसा
हरियाणा
टूर पर जाने की इस अंधी प्रतिस्पर्धा में प्रतिवर्ष हजारों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। देखा जाए तो पत्रकारों का उद्देश्य सैर-सपाटा नहीं बल्कि अपनी लेखनी से जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाना है। हालांकि भ्रमण से ज्ञान में वृद्धि होती है मगर एक बार भी ऐसा देखने में नहीं आया जब टूर पर इस उद्देश्य को लेकर कोई पत्रकार गया होगा क्योंकि जिन लोगों को भ्रमण के माध्यम से ज्ञानवृद्धि की जरूरत है उनके पास भ्रमण पर जाने के लिए समय नहीं है और जो लोग भ्रमण पर जाते हैं, उनके लिए भ्रमण महज मौज-मस्ती होता है। इसलिए भ्रमण के नाम पर जो राशि खर्च की जाती है वह सिवाय फिजूलखर्ची के कुछ नहीं है।
पत्रकारों व उनके झंडाबरदारों को चाहिए कि भ्रमण के नाम पर जो राशि खर्च होती है, उस राशि से किसी गरीब पत्रकार के बच्चों को शिक्षा दिलाए। किसी बेसहारा का उपचार कराए या फिर गरीब कन्या की शादी में मदद दी जाए। टूर पर खर्च होने वाली राशि से यूनियन द्वारा पुस्तक खरीदकर पुस्तकालय बनाया जाए, लेकिन अफसोस कि इस दिशा में कोई नहीं सोचता। सेमिनार या कार्यक्रम के नाम पर फंड एकत्रित कर उसे टूर के नाम पर उड़ाना यहां के पत्रकारों की आदत बन चुकी है जो आने वाले समय के लिए घातक बन सकती है।
कमल शर्मा
सिरसा
हरियाणा
आभार - भड़ास ४ मीडिया .कॉम
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