गाजीपुर पत्रकार एसोसिएशन की कैम्प कार्यालय, टैगोर मार्केट, कचहरी, गाजीपुर में आयोजित एक बैठक में गाजीपुर पुलिस के रवैए को शर्मनाक करार दिया गया. बैठक में भडास4मीडिया के सीईओ व एडिटर यशवंत सिंह जे गाजीपुर के नन्दगंज थाने के बनगांवा गांव में रहने वाले परिजनों के साथ पुलिस के शर्मनाक व्यवहार की निंदा की गई. बैठक में कहा गया कि गाजीपुर निवासी यशवंत वर्तमान में दिल्ली रहकर अपना कार्य कर रहे हैं. उनकी मां गांव पर ही रहती हैं. पिछले दिनों पंचायत चुनाव को लेकर हुए हत्या के बाद पुलिस आरोपियों पर शिकंजा कसने के लिए इनकी मां यमुना सिंह के साथ ही उनकी विकलांग चाची जो चल फिर पाने में असमर्थ हैं, के साथ ही 2 अन्य महिलाओं को थाने पर पूरी रात व अगले दिन दोपहर तक अवैध तरीके से बैठाये रखा.
इन निर्दोष महिलाओं के खिलाफ न कोई शिकायत थी और न ही कोई तहरीर या एफआईआर. बावजूद इसके स्थानीय पुलिस अपने बड़े अफसरों के निर्देश पर नियम कानून को भूलकर कार्य करती रही. इन महिलाओं को पुरुष थाने पर रखा गया. थाने लाते समय कोई महिला पुलिस नहीं थी. भूखे प्यासे 12 से 18 घंटे तक थाने में रहीं इन महिलाओं को तभी घर जाने दिया गया जब इनके परिवार के एक युवक ने सरेंडर कर दिया जिनका नाम एक एफआईआर में था. पत्रकार एसोसियेशन के सदस्यों ने पुलिस के इस कृत्य की निन्दा की और कहा कि जब एक पत्रकार की मां को घंटों पुलिस थाने में बिठाया जा सकता है तो आम इन्सान की क्या बिसात.
एक दूसरा मामला पंचायत चुनाव के दुसरे चरण के समाचार संकलन से संबंधित है. सूचना विभाग ने पत्रकारों के लिए एक खटारा वाहन उपलब्ध कराया था. इसमें विभाग के बड़े बाबू सहित 9 पत्रकार बैठ कर जा रहे थे. उन पत्रकारों में एक मान्यता प्राप्त पत्रकार थे जिनके पास प्रदेश सरकार के द्वारा निर्गत मछली छाप वाला पास भी उपलब्ध है, के वाहन का चक्का निकल जाने से वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और पत्रकारों की जान जाते जाते बची. इसके बाद पत्रकारों ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए जनपद के आला अधिकारियों के यहां लगातार फोन किया लेकिन किसी ने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा. जब प्रभारी सूचना अधिकारी को इस बात की जानकारी इलेक्ट्रानिक चैनल के लोगों ने दी तो उनका कथन था का उस गाड़ी में बैठे सभी पत्रकार फर्जी हैं, उनका समाचार से कोई लेना देना नहीं है. वे सभी तफरी करने के लिए गये हैं. बैठ कर इन्तजार करें. इस कथन की सभी पत्रकारों ने कड़ी आलोचना की और सभी ने एक स्वर में कहां कि इस विभाग का प्रभार किसी और को दे देना चाहिए. पत्रकारों ने यह निर्णय लिया कि वे लोग तीसरे चरण के मतदान कवरेज का बहिष्कार करेंगे. इस बात की सूचना फैक्स व रजिर्स्टड डाक से प्रमुख सचिव, सूचना निदेशक लखनउ, मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को दे दी गई है.
बताते चलें कि जनपद के लगभग 200 पत्रकारों को खुद सूचना अधिकारी जो वर्तमान में अल्प बचत अधिकारी व विकलांग विभाग का भी प्रभार देख रहे हैं, के हस्ताक्षर से पास जारी किया गया है. और उक्त वाहन में जाने वाले सभी पत्रकारों के पास भी उनके हस्ताक्षर से जारी पास था. फिर भी वे सभी पत्रकारों को फर्जी घोषित कर रहे हैं जो शर्मनाक है. ऐसे में अब पत्रकारों को ये समझ में नही आ रहा है कि उक्त पास फर्जी है, या पास पर किया हस्ताक्षर फर्जी है या इनके पास प्रदेश सरकार के द्वारा कोई नया डाटा उपलब्ध कराया गया है जिसको देखने के बाद इन्हें पता चला कि मैंने जो पास जारी किया है उसमें से 9 पत्रकार फर्जी हैं जो वाहन से तफरी करने के लिए घूम रहे हैं. इस बैठक में पत्रकार अशोक सिंह, अशोक श्रीवास्तव, कार्तिक चटर्जी, अरविन्द जी, अनिल उपाध्याय, नवीन श्रीवास्तव, आरसी खरवार, चन्द्र कुमार तिवारी, अजय तिवारी, रविन्द्र सैनी, राजेश सिंह, शशिकान्त सिंह, शशिकान्त यादव, विश्वनाथ यादव, राजेन्द्र प्रसाद, प्रवीण गुप्ता, प्रमोद राय आदि पत्रकार उपस्थित रहे. इस बैठक की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष उधम सिंह ने किया व संचालन महामंत्री अनिल कुमार ने किया. पर
इन निर्दोष महिलाओं के खिलाफ न कोई शिकायत थी और न ही कोई तहरीर या एफआईआर. बावजूद इसके स्थानीय पुलिस अपने बड़े अफसरों के निर्देश पर नियम कानून को भूलकर कार्य करती रही. इन महिलाओं को पुरुष थाने पर रखा गया. थाने लाते समय कोई महिला पुलिस नहीं थी. भूखे प्यासे 12 से 18 घंटे तक थाने में रहीं इन महिलाओं को तभी घर जाने दिया गया जब इनके परिवार के एक युवक ने सरेंडर कर दिया जिनका नाम एक एफआईआर में था. पत्रकार एसोसियेशन के सदस्यों ने पुलिस के इस कृत्य की निन्दा की और कहा कि जब एक पत्रकार की मां को घंटों पुलिस थाने में बिठाया जा सकता है तो आम इन्सान की क्या बिसात.
एक दूसरा मामला पंचायत चुनाव के दुसरे चरण के समाचार संकलन से संबंधित है. सूचना विभाग ने पत्रकारों के लिए एक खटारा वाहन उपलब्ध कराया था. इसमें विभाग के बड़े बाबू सहित 9 पत्रकार बैठ कर जा रहे थे. उन पत्रकारों में एक मान्यता प्राप्त पत्रकार थे जिनके पास प्रदेश सरकार के द्वारा निर्गत मछली छाप वाला पास भी उपलब्ध है, के वाहन का चक्का निकल जाने से वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और पत्रकारों की जान जाते जाते बची. इसके बाद पत्रकारों ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए जनपद के आला अधिकारियों के यहां लगातार फोन किया लेकिन किसी ने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा. जब प्रभारी सूचना अधिकारी को इस बात की जानकारी इलेक्ट्रानिक चैनल के लोगों ने दी तो उनका कथन था का उस गाड़ी में बैठे सभी पत्रकार फर्जी हैं, उनका समाचार से कोई लेना देना नहीं है. वे सभी तफरी करने के लिए गये हैं. बैठ कर इन्तजार करें. इस कथन की सभी पत्रकारों ने कड़ी आलोचना की और सभी ने एक स्वर में कहां कि इस विभाग का प्रभार किसी और को दे देना चाहिए. पत्रकारों ने यह निर्णय लिया कि वे लोग तीसरे चरण के मतदान कवरेज का बहिष्कार करेंगे. इस बात की सूचना फैक्स व रजिर्स्टड डाक से प्रमुख सचिव, सूचना निदेशक लखनउ, मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को दे दी गई है.
बताते चलें कि जनपद के लगभग 200 पत्रकारों को खुद सूचना अधिकारी जो वर्तमान में अल्प बचत अधिकारी व विकलांग विभाग का भी प्रभार देख रहे हैं, के हस्ताक्षर से पास जारी किया गया है. और उक्त वाहन में जाने वाले सभी पत्रकारों के पास भी उनके हस्ताक्षर से जारी पास था. फिर भी वे सभी पत्रकारों को फर्जी घोषित कर रहे हैं जो शर्मनाक है. ऐसे में अब पत्रकारों को ये समझ में नही आ रहा है कि उक्त पास फर्जी है, या पास पर किया हस्ताक्षर फर्जी है या इनके पास प्रदेश सरकार के द्वारा कोई नया डाटा उपलब्ध कराया गया है जिसको देखने के बाद इन्हें पता चला कि मैंने जो पास जारी किया है उसमें से 9 पत्रकार फर्जी हैं जो वाहन से तफरी करने के लिए घूम रहे हैं. इस बैठक में पत्रकार अशोक सिंह, अशोक श्रीवास्तव, कार्तिक चटर्जी, अरविन्द जी, अनिल उपाध्याय, नवीन श्रीवास्तव, आरसी खरवार, चन्द्र कुमार तिवारी, अजय तिवारी, रविन्द्र सैनी, राजेश सिंह, शशिकान्त सिंह, शशिकान्त यादव, विश्वनाथ यादव, राजेन्द्र प्रसाद, प्रवीण गुप्ता, प्रमोद राय आदि पत्रकार उपस्थित रहे. इस बैठक की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष उधम सिंह ने किया व संचालन महामंत्री अनिल कुमार ने किया. पर
साभार :- भड़ास ४ मीडिया .कॉम
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