Feature

Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

संघवी और भू माफिया, क्या मजाक है?


Alok Tomar
इंदौर के किसी पत्रकार मित्र ने अपना नाम बताए बगैर राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी द्वारा ’’भू माफिया’’ पंकज संघवी परिवार से सम्मान करवाने और गुजराती समाज एजुकेशनल सोसायटी के स्कूल में अपना समारोह आयोजित करने पर बहुत छाती पीटी है।

ये पत्रकार मित्र राजस्थान पत्रिका के हो नहीं सकते क्योंकि होते तो गुलाब कोठारी का अपमान करने की हिम्मत शायद ही करते। दैनिक भास्कर और नई दुनिया के नहीं हो सकते क्योंकि अग्रवाल और छजलानी लोग तो खुद काफी बड़े भू माफिया हैं। रहा पीपुल्स समाचार तो उनका दायरा दूसरा है और वे शिक्षा क्षेत्र में हैं इसलिए वहां के शायद ही हो। राज एक्सप्रेस के मालिक तो सरेआम और शानदार तरीके से बिल्डर हैं इसलिए उन्हें कोई ऐतराज होने से रहा।

यहां मुद्दा हमारे पत्रकार मित्र और वे किस अखबार में काम करते हैं, इसका है ही नहीं। सवाल इस परिभाषा का है कि भू माफिया है कौन? ''क्या गुलाब कोठारी ने भूमाफिया से सम्‍मान करवाया!'' शीर्षक से लिखा गया है कि गुलाब कोठारी जो संस्कार की दुहाई देते हैं, उन्होंने 14 दिसंबर को इंदौर में स्कूली बच्चों के लिए दिशा बोध कार्यक्रम आयोजित किया था और यह जलसा जिस स्कूल में था वह गुजराती समाज एजुकेशन सोसायटी का है और इस सोसायटी के अध्यक्ष पंकज संघवी हमारे इन मित्र के अनुसार भू माफिया है।

कम से कम इंदौर में रहने वाले जानते हैं कि संघवी परिवार सबसे बड़े भाई सुरेंद्र संघवी के नेतृत्व में भूमि और इमारतों का काफी सफल कारोबार करते हैं और मध्य भारत के शायद सबसे अमीर परिवारों में उनकी गिनती होती होगी। एक अखबार भी निकालते हैं और चौथा संसार नाम का यह अखबार पहले दूसरे तीसरे दर्जे की होड़ में नहीं हैं, लेकिन सुरेंद्र संघवी को इतना इतिहास बोध अवश्य हैं कि नरेश मेहता और प्रभाकर माचवे जैसे विद्वानों को इंदौर बुला कर अपने अखबार का संपादक बनाने का सम्मान दिया।

छजलानियों और अग्रवालों को संपादक का मतलब ही नहीं मालूम, उन्हें सिर्फ गुलाम समझ में आते हैं। कुछ दिन पहले रमेश अग्रवाल बहुत गर्व से कह रहे थे कि अब तो हमारे यहां इतने संपादक हो गए हैं कि मुझे उनके नाम ही याद नहीं रहते। रमेश जी को नमक, सीमेंट और इमारतों का कारोबार करने वालों के नाम जरूर याद रहते हैं।

सुरेंद्र संघवी रियल एस्टेट का काम करते हैं और ऐसे धंधे में जो भी इधर-उधर करना होता होगा, जरूर करते होंगे। उनके यहां कुछ समय पहले इनकम टैक्स का एक बड़ा छापा भी पड़ा था। लेकिन जहां तक उनके स्कूल की बात हैं तो वह तो इंदौर में शादी ब्याह तथा अन्य समाजिक समारोहों के अलावा हर तरह के उत्सव के लिए बगैर पैसा लिए उपलब्ध करा दिया जाता है। संघवी परिवार कांग्रेसी हैं लेकिन उसने संघ परिवार को भी अपने शिविर के लिए स्कूल का परिसर दिया था।

पंकज संघवी बाकायदा राजनीति में हैं और काफी गुस्सैल हैं। विधानसभा के चुनाव लड़ चुके हैं और इंदौर में अगर कोई अपनी सुमित्रा ताई को ठीक से टक्कर दे सका है तो वह पंकज ही हैं। जमीन के कारोबार से उनका कोई रिश्ता नहीं है। वह सब सुरेंद्र संघवी देखते हैं। अगर सुरेंद्र संघवी बेईमान या चालू इंसान होते तो प्रभाष जोशी जैसा सादा और अपने सिद्वांतों से कभी समझौता नहीं करने वाला व्यक्ति इस परिवार को इंदौर में अपना दूसरा परिवार नहीं मानता।

अगर संघवी भू माफिया होते तो उनके पांच भाईयों के एक साथ हुए गृह प्रवेश में मध्य प्रदेश का पूरा मंत्रिमंडल और सारी अफसरशाही भोपाल से उठ कर इंदौर नहीं आ जाती। इसके बावजूद भू माफिया चालीसा लिखने वाले हमारे पत्रकार मित्र मानेंगे कि उग्र पंकज संघवी के विपरीत सुरेंद्र संघवी परम विनम्र आदमी है लेकिन विनम्रतावश चाहे जिसके चरणों में नहीं गिर पड़ते।

रही बात राजस्थान पत्रिका ने संघवी को भू माफिया छापा था या नहीं इसकी तो मैंने वे खबरें नहीं पढ़ी हैं, मगर अब पता लग रहा है कि राजस्थान पत्रिका ने मेयर के चुनाव में पंकज सांघवी को हराने की अपील जारी की थी। अगर ऐसा हुआ था तो राजस्थान पत्रिका को अखबार मानने के पहले दस बार सोचना पड़ेगा। कौन सा अखबार किसी चुनाव में अपील जारी करता है। सुरेंद्र संघवी, पंकज संघवी या बाकी तीन संघवियों से इन पत्रकार मित्र का बैर क्या है नहीं मालूम, लेकिन उनके सवाल बहुत ही बचकाने हैं जैसे संघवी समूह के विज्ञापन पत्रिका क्यों छापता है? इस सवाल का जवाब किसी के पास हो तो दे सकता हैं, वरना सारे अखबार विज्ञापन छापते हैं यह सब जानते हैं। समूह संपादक का सम्मान स्कूल के सोसायटी का अध्यक्ष नहीं करेगा तो क्या सिमी का कोई कार्यकर्ता करेगा? इस साहब ने पत्रिका से जवाब मांगे हैं और अपन राजस्थान पत्रिका के वकील नहीं हैं लेकिन बीस साल से काफी अंतरंग तौर पर जानने के कारण यह पता है कि संघवी परिवार जमीन का धंधा करता हैं, काफी सफल है मगर भू माफिया नहीं है।
लेखक आलोक तोमर देश के जाने-माने पत्रकार हैं.
Sabhaar : bhadas4media.com

No comments:

Post a Comment

Famous Post