इसे झारखण्ड और पाकुड़ की बदकिस्मती ही कहेंगे कि सरकारी कार्यालयों में अनुबंध पर बहाल हुए कम्प्यूटर आपरेटर को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी से भी कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है लिहाजा कम्प्यूटर आपरेटर आज बेरोजगारी के कारण सरकारी कार्यालयों में काम तो कर रहें है, लेकिन वे लोग अंदर से संतुष्ट नही दिख रहें है। लेकिन उनके साथ मजबूरी है कि वे करें तो क्या करें। सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले चर्तथवर्गीय कर्मचारियों को सरकार जितनी वेतन दे रही है, उससे भी कम राशि अनुबंध पर काम करने वाले कम्प्यूटर आपरेटर को मिलता है। आज स्थिति यह हो गयी है कि कई कम्प्यूटर आपरेटर अब काम छोड़ने का मन बना रहा है। समाहरणालय कार्यालय हो या फिर शिक्षा विभाग का, सभी कार्यालयों में कम्प्यूटर आपरेटर की यही स्थिति है। इन कम्प्यूटर आपरेटर को 4 से 5 हजार रूपया ही मिल पाता है। जबकि चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को इससे अधिक रूपया मिलता है। कई कम्प्यूटर आपरेटर ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया कि बेरोजगारी आज के समय में इतना फैल गया है कि युवक किसी न किसी तरह से एडजेस्ट होना चाह रहें है, जिस कारण आज युवक कम वेतन में ही जहां-तहां नौकरी करने को विवश है। अनुबंधित कर्मचारियों ने बताया कि एक ओर तो बेरोजगारी के कारण युवक परेशान है, वहीं दूसरी ओर युवक रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर रहें है। हालांकि पलायन की पुष्टि सरकारी तौर पर नही की गयी है। लेकिन पलायन के दृष्टिकोण से झारखण्ड बिहार से आगे निकल चुका है देखना है सरकार कब इसकी सुध लेती है
Sabhaar : Neeraj Kumar : www.pukarnews.blogspot.com
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