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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

हरामखोर है मुंबई पुलिस और निरीह हैं असली पत्रकार

मुंबई. मिड डे के वरिष्ठ पत्रकार ज्योर्तिमय डे की हत्या को पुलिस प्रशासन ही नहीं, पत्रकारों को भी बहुत ही गंभीरता से लेनी होगी. इसके लिए सिर्फ पुलिस की ढिलाई को ही जिम्मेदार मानकर पत्रकार अपने कर्तब्यों से मुंह नहीं मोड़ सकते. डे की दिनदहाड़े हुई हत्या ने साफ़ कर दिया है कि अपराधियों का मनोबल बहुत ज्यादा बढ़ चुका है. अब वे मीडिया तक को अपना निशाना बनाने लगे है.
आज भी मुंबई पुलिस पत्रकारों के मामले में गंभीर नहीं रहती. पत्रकारों ने बार-बार पुलिस से निवेदन किया है कि वे अपने पुलिस स्टेशन के अंतर्गत रहने वाले पत्रकारों की सूची पुलिस स्टेशन में रिकार्ड के तौर पर रखें, लेकिन आश्चर्य आज तक ऐसा नहीं हुआ. मैं इस बारे में सबसे पहले अपने बारे में बताना चाहता हूं. मैं कुरार विलेज पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में करीब 30 साल से रहता हूं और पिछले 20 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हूं, लेकिन कुरार पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है. इतना ही नहीं, 19 नवम्बर 2002 को मैंने सबसे पहले साँझा लोकस्वामी में तेलगी स्कैंडल से जुड़ी खबर प्रकाशित की थी.
यहाँ इस बात को बताने के पीछे मेरा मकसद सिर्फ यह है कि मुंबई पुलिस पत्रकारों के बारे में कितनी लापरवाह है. अगर किसी थाने में एक नया अधिकारी आता है तो वह वहां के विशिष्ट व सम्मानित लोगों के बारे में जानकारी रखने में अपनी उत्सुकता नहीं दिखाता क्योंकि उससे उन्हें कुछ लाभ होने वाला नहीं है. वह वहां के गैरकानूनी धंधों से जुड़े अड्डे, जैसे बियर बार, देशी दारु व मटका अड्डा, क्लब आदि की जानकारी रखने में ज्यादा रूचि दिखाता है. खैर, इस बारे में हम लोग फिर कभी बात करेंगे. आज हमारे एक ऐसे साथी पत्रकार की निर्मम हत्या हुई है जो, कभी अपनी लेखनी को किसी से डर कर रोका नहीं.
मुंबई में अपराधियों का मन बढाने के पीछे उन तथाकथित छुटभैय्ये पत्रकारों का सहयोग है, जो दो-पांच सौ रुपये के लिए घंटों शराब माफियाओं, मटका-क्लब के अड्डों पर खड़े रहते हैं. इतना ही नहीं दो पैग शराब के लिए रात भर उसकी वाचमैनी (पहरेदारी) करने से भी नहीं कतराते और इनके कर्मों का नतोजा जे डे जैसे निडर पत्रकारों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है. तथाकथित पत्रकारों की लिस्ट अगर आपको देखनी हो तो मुंबई सबअर्ब के किसी भी ब्यूटी पार्लर या बियर बार वाले से पूछ लें. इनकी पत्रकारिता का वसूल ही हफ्ताखोरी है.
जेडे जी को असली श्रद्धांजलि यही होगी कि उसके असली हत्यारे तत्काल पकड़े जायें और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले. इसके साथ ही हमें भी उन तथाकथित खबरियों पर रोक लगानी होगी, जो पत्रकारिता को बदनाम करने की सुपारी लिए घूम रहे हैं.
विजय यादव
जर्नलिस्ट
मुंबई
Sabhar:- bhadas4media.com

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