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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

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डा. सचान की कथित खुदकुशी : यूपी की जेलों में दफन होते रहे हैं राज


लखनऊ : यूपी की जेलों में हमेशा 'राज' दफन होते रहे हैं। यहां की जेलें अभियुक्तों की खुदकुशी को लेकर हमेशा सवालों से घिरी रही हैं। राजधानी के डबल सीएमओ मर्डर केस के मुख्य आरोपी डा. वाईएस सचान की लखनऊ जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से फिर कई सवाल खड़े हो गये हैं। अभी लोग बहुचर्चित कविता चौधरी काण्ड भूले नहीं होंगे। इस मामले में तत्कालीन सरकार से जुड़े मंत्रियों और प्रभावशाली लोगों का नाम सामने आया था।

कविता काण्ड में पकड़े गये अभियुक्त रवीन्द्र प्रधान को लेकर उम्मीद बनी थी कि अदालत में उसके जवाब रहस्य से परदा उठा देंगे, लेकिन एक दिन संदिग्ध परिस्थितियों में प्रधान की डासना जेल में मौत हो गई। रवीन्द्र की मौत ने रहस्य का कोहरा और घना कर दिया और तमाम सवालों के बीच उसकी मौत को खुदकुशी करार दे दिया गया। न तो कविता की लाश मिली और न ही अन्य अभियुक्तों पर कानून का फंदा कसा। यह अलग बात है कि उसकी मां बलवीरी आरोप लगाती रही कि रवीन्द्र को मारा गया है।

डासना जेल तो वैसे भी खुदकुशी के लिए बदनाम रही है। इसी जेल में फ्रंटियर मेल ट्रेन के बम विस्फोट के आरोपी शकील ने 15 जून 2009 को खुदकुशी कर ली। संदिग्ध परिस्थितियों में शकील की मौत को लेकर सवाल दर सवाल खड़े हुए। इसके पूर्व इसी जेल में पीएफ घोटाले के आरोपी आशुतोष अस्थाना ने भी खुदकुशी की। आरोप लगा कि एक सिपाही के उत्पीड़न के चलते आशुतोष ने खुदकुशी की, लेकिन दबी जुबान से कुछ और ही बातें सामने आती रहीं।

आगरा की सेंट्रल जेल से लेकर सूबे की कई जेलों में खुदकुशी के बहुतेरे मामले सामने आये हैं, जिनके चलते जांचें प्रभावित हुई। एक आंकड़े के मुताबिक यूपी में जेलों में खुदकुशी के लगभग तीन सौ मामलों की जांच चल रही है। इससे इतर सबसे बड़ा मामला डा. सचान की खुदकुशी का है। अभी इसी महीने लखीमपुर जिले के निघासन थाने में शुरू में सोनम नाम की नाबालिग बालिका की मौत को खुदकुशी करार देने के बाद सरकार को उसकी मौत को हत्या बतानी पड़ी।

अब डा. सचान की मौत को लेकर चाहे जो तर्क दिये जायें, लेकिन सरकार के खिलाफ हमलावर विपक्ष को एक और मौका मिल गया है। डा. सचान तब डबल सीएमओ मर्डर के मुख्य सूत्रधार बताये, जब विपक्ष ने सीएमओ हत्याकाण्ड समेत कई मामलों की सीबीआइ जांच के लिए हंगामा खड़ा कर दिया। वैसे बहुत पहले से ही इस पूरे मामले में कई बड़े लोगों पर उंगलियां उठ रही हैं। सचान के मुख्य सूत्रधार घोषित होने के साथ ही यह चर्चा तेज हो गई थी कि अपनी गर्दन फंसने के बाद सचान ने उन लोगों को भी कानून के घेरे में लाने का मन बना लिया है, जो लोग तमाम आरोपों के घेरे में हैं।

दैनिक जागरण, लखनऊ में प्रकाशित आनन्द राय की रिपोर्ट


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