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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

अब खुलने लगी है नीतीश कुमार के भ्रष्‍टाचार की पोल


कर्नाटक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार भी घोटालों के घेरे में आ गया है। सुशासन बाबू के सुशासन की हवा निकल गई है। ताजा विवाद भूमि आबंटन को लेकर है। वैसे तो इस घोटाले की सुगबुगाहट विपक्षी पार्टियों के बीच एक अरसे से थी। किन्तु विगत सप्ताह से असंतोष में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। विवाद के मूल में बिहार राज्य औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) है। इस संस्थान पर यह आरोप लगा है कि इसने अनियमतता बरतते हुए मंत्रियों और नौकरशाहों के रिश्‍तेदारों को कम कीमतों पर प्लॉटों का आबंटन किया है।

अपने बचाव में इस संस्थान का कहना है कि हमने 90 साल के लिए लीज पर प्लॉटों का आबंटन किया है। जमीन औद्योगिक दर पर मुहैया करवाई गई है। गौरतलब है कि विगत 6 सालों में 450 प्लॉटों का आवंटन बियाडा के द्वारा किया जा चुका है। इसमें 133 प्लॉट पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में आता है। उल्लेखनीय है कि पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र पटना का पॉश इलाका माना जाता है। बियाडा के प्रबंध निदेशक अंशुलि आर्या का कहना है कि जमीनों के आबंटन में किसी भी नियम की अनदेखी नहीं की गई है। चूँकि बिहार में उद्योग अपने शैशव अवस्था में है। इसलिए बियाडा ने नीलामी, टेंडर या लॉटरी की जगह 'पहले आओ पहले पाओ'  की नीति को भूमि आबंटन का आधार बनाया। पुनश्‍च: अंशुलि आर्या का कहना है कि अभी भी बिहार में निवेश करने वालों की संख्या न्यून है। अस्तु प्रतिस्पर्धा के अभाव में यहाँ बियाडा के माध्यम से जमीन पाना आसान है।

विपक्षी दलों के अनुसार इस बवाल पर अंशुलि आर्या जो भी सफाई दें, पर इतना तो तय है कि मंत्रियों और नौकरशाहों के रिश्‍तेदारों को उदारता के साथ जमीन बांटी गई है। ऐसी उदारता आमजनों के बीच जमीन बांटने में क्यों नहीं दिखाई गई, यह निश्चित ही पड़ताल का विषय है। मानव संसाधन मंत्री प्रशांत साही की बेटी को 87,120 वर्ग फीट जमीन का आबंटन किया गया है तो सामाजिक न्याय मंत्री पी अमानुल्लाह की बेटी रहमत फातिमा को 87,120 वर्ग फीट जमीन दी गई है। इसी तारतम्य में शरद यादव के खास माने जाने वाले जदयू के नेता अब्दुल सत्तार को भी कोल्डस्टोर बनाने के लिए 87,120 वर्ग फीट जमीन दी गई।
भाजपा के विधायक अशोक अग्रवाल के बेटे को फारबिसगंज और अररिया में 2,46,114 वर्ग फीट के दो प्लॉटों का आवंटन किया गया है। भाजपा के एमएलसी अवधेष नारायण सिंह के संबंधी डॉ बी.डी. सिंह को बिहटा में 10.53 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध करवाई गई है। 2 एकड़ जमीन आनंद किशोर (आईजी, जेल) के रिश्‍तेदार को दिया गया है। नीतीश कुमार के सचिव एस सिद्धार्थ के रिश्‍तेदार को भी 6,53,400 वर्ग फीट के एक प्लॉट का आबंटन किया गया है। जदयू के सासंद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा को भी बियाडा ने जमीन दी है।

सत्तासीन पार्टियों के अलावा कांग्रेस के ददन सिंह यादव के बेटे मनोज कुमार यादव को 5,000 वर्ग फीट जमीन दी गई है। सहरसा के कांग्रेस नेता गुलाम गौस को सहरसा में लकड़ी के फर्नीचर का कारखाना बनाने के लिए 6800 वर्ग फीट जमीन दी गई है। बिहार उद्योग संघ के पूर्व अध्यक्ष केपीएस केसरी को हाजीपुर में फल एवं वनस्पति प्रसंस्करण संयत्र की स्थापना के लिए डेढ़ एकड़ जमीन दी गई है। प्रख्यात फिल्मकार प्रकाश झा को भी अपनी राजनीतिक पहुँच के बदौलत 4 प्लॉटों से उपकृत किया गया है। एक प्लॉट पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में दिया गया है जोकि 58,066 वर्ग फीट का है। औरंगाबाद में भी 58,066 वर्ग फीट की जमीन दी गई है। मुजफ्फरपुर में 87,773 वर्ग फीट की जमीन उपलब्ध करवाई गई है। इस प्लॉट पर श्री झा मल्टीप्लेक्स बनाना चाहते हैं। श्री झा को हाजीपुर में 1.29 एकड जमीन दी गई है, जिसपर उनकी योजना एक अत्याधुनिक तकनीक एवं सुविधाओं से लैस अस्पताल बनाने की है।

नेताओं और नौकरशाहों के अलावा पत्रकारों को भी इस बंदरबांट में उपकृत किया गया है। श्रीकांत प्रत्युष सन्मार्ग और जी न्यूज से जुड़े हुए पत्रकार तो हैं ही। साथ ही दैनिक अखबार 'नवविहार'  के मालिक भी हैं। इन्हें भी बियाडा ने 20,000 वर्ग फीट जमीन दी है। तथाकथित बियाडा भूमि आबंटन घोटाले को लेकर विपक्षी दलों के बीच भारी असंतोष है। उनकी मांग इस पूरे मामले की सीबीआई से जाँच करवाने की है। वैसे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, मुख्य सचिव के रिर्पोट आने तक विपक्षी दलों को धैर्य रखने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन विपक्षी दल इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता करने के मूड में नहीं हैं। दरअसल विपक्षी दलों को यह आशंका है कि भूमि आबंटन घोटाले का हश्र भी कहीं शराब घोटाले की तरह न हो। ज्ञातव्य है कि शराब घोटाले की जाँच भी मुख्य सचिव ने की थी। परिणामस्वरुप यह मामला टांय-टांय फिस्स हो कर रह गया।

'करैला और नीम चढ़ा'  के तर्ज पर मिस्टर क्लीन के राज में सुशासन का पोल खोलने का काम हाल ही में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी किया है। अपनी जाँच में सीएजी ने पाया है कि राज्यों के विविध विभागों में तकरीबन 1784.41 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमतता बरती गई है। सीएजी का यह भी कहना है कि नियमों की अनदेखी कर काम करने के कारण राज्य को करीब 2399.68 करोड़ रुपयों के राजस्व का नुकसान हुआ है। यह हानि बिक्री कर को छुपाने, परिवहन कर की वसूली में ढिलाई बरतने और श्‍ाराब दुकान की बंदोबस्ती में हेराफेरी करने की वजह से हुई है। सीएजी के रिर्पोट में इस बात का भी उल्लेख है कि राज्य में 7498 अयोग्य लोगों को व्यावसायिक लाइसेंस प्रदान किया गया। 26 डीटीओ में जुलाई 2002 से लेकर जून 2009 के बीच 751 परिवहन वाहनों से संबंधित बकाये 19.52 करोड़ रुपयों का भुगतान सरकार को नहीं किया गया। पटना के बेउर जेल से सटे सरकारी जमीन पर रंगदारों ने कब्जा कर रखा है। जेल में सीसीटीवी कैमरा और वाकी-टाकी काम नहीं कर रहा है। आश्‍चर्यजनक रुप से ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर भी सीएजी ने अपने विचार बड़े बेबाकी से रखे हैं।

इस में दो राय नहीं है कि इस तरह के लापरवाही भरे माहौल में जहानाबाद जेल में घटित घटना (जेल ब्रेक कांड) की पुनरावृति बेउर जेल में अवश्‍य हो सकती है। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि विपक्ष विभिन्न मामलों के आलोक में सरकार को कटघरे में खड़ा करना चाहता है, वहीं सरकार उनके आरोपों को एक सिरे से खारिज कर रही है। सरकार का मानना है कि विपक्ष बस अपनी भूमिका को ईमानदारी पूर्वक निभाहने की कोशिश कर रहा है। बहरहाल बिहार संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। परिवर्तन के इस कालखंड में घोटालों का प्रर्दाफाश होना या संगीन आरोपों का लगना सरकार की साख को कम कर सकता है। लिहाजा आरोपों से घिरी सरकार को सीबीआई से जाँच करवा करके पूरे मामले पर छाए धुंध को साफ करने का प्रयास करना चाहिए। फारबिसगंज गोलीकांड और जेल में कैदियों के द्वारा एक डॉक्टर की हत्या के मामले को लेकर सुशासन बाबू की किरकिरी पहले ही हो चुकी है।

लेखक सतीश सिंह भारतीय स्‍टेट बैंक के अधिकारी के रूप में दिल्‍ली में कार्यरत हैं. पिछले दो वर्षों से स्‍वतंत्र लेखन कर रहे हैं
Sabhar:- news.bhadas4media.com

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