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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

भाजपा मीडिया प्रभारी ने लखनवी पत्रकारों को भंडारे में खाना खिलवाया

आडवाणी की जनचेतना यात्रा में पत्रकारों को नोट बांटने और बिजली का अवैध कनेक्शन लेने का मामला जोरों पर मीडिया में उछल रहा है. इसी बीच राजनाथ और कलराज की जनस्वाभिमान यात्रा में हुए एक वाकए ने पत्रकारों में भाजपाइयों की मानसिकता को उजागर कर दिया है. राजनाथ की यात्रा कवर करने गए लखनऊ के पत्रकारों को मीडिया प्रभारी नरेंद्र सिंह राणा ने कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में चल रहे भंडारे में खाना खिलवाया.
प्रकरण 13 अक्टूबर का है. हमको राणा जी माफ करना गल्ती म्हारे से हो गई... कुछ यही कहकर राजधानी लखनऊ के भाजपा कवर करने वाले पत्रकार इन दिनों मीडिया प्रभारी नरेन्द्र सिंह राणा के साथ पार्टी के आयोजनों में जाने से तौबा कर रहे हैं. राणा की शिफत यह है कि वे जब कभी कार्यसमिति की बैठक या रथयात्राओं जैसे आयोजनों में लखनऊ से पत्रकारों की टीम को लेकर जाते हैं तो उन्हें वे खाने पिलाने के बजाय रामायण और महाभारत के प्रसंग सुनाकर उनको जीवन का यथार्थ समझाते हैं. जब गंतव्य पर पहुंचते हैं तो वे पहले यह पता करते हैं कि वहां किस पदाधिकारी का बेहतर होटल या गेस्ट हाउस है. यदि है तो उसी में ले जाकर सारे पत्रकारों के रहने, खाने का मुफ्त में जुगाड़ कर देते हैं. यदि जुगाड़ नहीं बना तो पता करते है कहां सस्ती धर्मशाला या कोई औसत दर्जे का होटल है, वहीं पर ले जाकर सबको टिका देते हैं.
यदि उनके साथ कहीं मथुरा, अयोध्या या फिर वाराणसी जाने का मौका लगे तो यह तय जानिए कि हर पत्रकार को भंडारे का भोजन करना पड़ेगा. 13 अक्टूबर को जनस्वाभिमान यात्रा के कवरेज के लिए लखनऊ छपने वाले लगभग सभी प्रमुख अखबारों के पत्रकार मथुरा गए थे. अपनी चिरपरिचित शैली में राणा जी ने मथुरा में एक पदाधिकारी के गेस्ट हाउस में पत्रकारों को ठहराया. दिन में पदाधिकारियों के साथ पत्रकारों को आधा अधूरा खाना खिलवाया. रात में जब कृष्ण जन्मभूमि का दर्शन कराने ले गए वहां भी चल रहे सामूहिक भंडारे में सारे पत्रकारों को खाना खिलवा दिया. कुछ लोगों का कहना है कि क्या भाजपा जैसी पार्टी का यूपी प्रदेश मुख्यालय पत्रकारों के लाने, ले जाने, खाने-पीन पर बजट जारी नहीं करता. अगर करता है तो वह कहां जाता है?
ऐसे में कई पत्रकार दबी जुबान से आपस में बतियाते हैं कि खाने पीने के नाम पर पार्टी मुख्यालय से जो नगद मिला, सब कहां गया, ये तो राणा जी जाने. यह कोई पहला मौका नहीं था. इससे पहले भी जब कभी लखनऊ के पत्रकारों को अयोध्या जाना होता है तो उन्हें खाना किसी मंदिर में चल रहे भंडारे का नसीब होता है. राणा जी की इस प्रवृत्ति से पत्रकार अब कहने लगे हैं कि राणा जी माफ करना गल्ती हम्हीं लोगों से हो गई। राणा की इस कारगुजारी से इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार उनके बुलावे पर कहीं जाना पसंद नहीं करते हैं.
लखनऊ के एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

Sabhar:- Bhadas4media.com

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