Feature

Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

यूपी पुलिस ने निर्दोष युवक पर लगाया गैंगस्टर


यूपी पुलिस की उलटबांसी सबको पता है. नित नई कहानियां सुनने-पढ़ने को मिलती हैं. ताजा मामला गाजीपुर जिले का है. यहां की पुलिस ने एक निर्दोष युवक पर गैंगस्टर लगा कर उसे जेल का रास्ता दिखाने का 'साहसिक' कारनामा किया है. संगठित अपराध और गिरोह बनाकर अपराध करने वालों को काबू करने के लिए बनाए गए गैंगस्टर कानून का यूपी पुलिस 'उपयोग' यह कर रही है कि वह निर्दोष युवकों को इस कानून के जंजाल में फंसाकर पेशेवर अपराधी बनने को राह दिखा रही है.
कानून का दुरुपयोग करना यूपी पुलिस के लिए कोई नई बात नहीं है. इसी कारण यूपी में ईमानदार पुलिस अफसरों को पागल करार दिया जाता है और दागियों-दोषियों को महत्वपूर्ण तैनाती दे दी जाती है. इस नए प्रकरण में गैंगस्टर उस युवक पर लगा दिया गया है जो ग्राम प्रधान चुनाव में प्रत्याशी रह चुका है. चुनावी रंजिश के कारण हत्या के एक मामले में उसका नाम एफआईआर में साजिशन डलवा दिया गया. यह मुकदमा अभी तक चल रहा है. इसके अलावा कोई अन्य मुकदमा उस पर नहीं है. उसका न तो कोई आपराधिक अतीत रहा है और न वर्तमान. पर स्थानीय थानेदार की निजी खुन्नस और बसपा के एक नेता के पुलिस अधीक्षक पर दबाव ने इस युवक को गैंगस्टर का 'तमगा' हासिल करने को मजबूर कर दिया.

युवक का नाम रविकांत सिंह है जो गाजीपुर के नंदगंज थाना क्षेत्र के अलीपुर बनगांवा गांव का रहने वाला है. रविकांत वरिष्ठ पत्रकार और भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह के चचेरे भाई हैं. रविकांत 2010 के दिसंबर महीने में यूपी में हुए ग्राम प्रधान के चुनाव में प्रधान पद के प्रत्याशी थे. गांव में हुई हत्या के एक मामले में रविकांत को रंजिशन फंसा दिया गया और उनका नाम एफआईआर में डलवा दिया गया. यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. उस दौरान पुलिस ने बेहद गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाते हुए रविकांत की गिरफ्तारी के लिए उनके परिवार की कई महिलाओं को थाने पर लाकर बिठा दिया.
बिना महिला पुलिस के रविकांत की परिवार की महिलाओं, जिनमें यशवंत की मां भी शामिल हैं, को थाने लाने और रात भर पुरुष थाने में बिठाने के मामले ने तूल पकड़ा तो थानेदार को लाइन हाजिर कर दिया गया था और कई तरह की जांच शुरू हो गई. पर अंततः जांच-पड़ताल की फाइलें दब-दबा दी गईं और मामला ठंडा पड़ गया. आरोपी अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस मामले के आरोपी पुलिस अधिकारी प्रोन्नति पा गए और महत्वपूर्ण पदों पर तैनात कर दिए गए. प्रताड़ना का नया दौर शुरू करते हुए गाजीपुर पुलिस ने एक बार फिर रविकांत को टारगेट किया है और उन पर गैंगस्टर लगा दिया है.
सूत्रों का कहना है कि बसपा के एक नेता उमाशंकर कुशवाहा के दबाव और स्थानीय थानेदार चौरसिया की निजी खुन्नस के कारण रविकांत का नाम गैंगस्टर के लिए प्रस्तावित सूची में जबरन डाल दिया गया और अनाप-शनाप आरोप मढ़ दिए गए. बाद में यह फाइल सीओ, एएसपी से हस्ताक्षरित होते हुए पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची और उन्होंने भी हस्ताक्षर करके इसे डीएम के पास अग्रसारित कर दिया. गैंगस्टर में खुद का नाम आने की भनक जब रविकांत को लगी तो उन्होंने अपने चाचा एडवोकेट रामनगीना सिंह को सूचित किया.
गाजीपुर बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट रामनगीना सिंह ने इस मामले की जानकारी भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह को दी. पत्रकार के निर्दोष परिजन पर गैंगस्टर लगाए जाने की साजिश की जानकारी जब लखनऊ के पत्रकारों को मिली तो उन्होंने एकजुट होकर प्रमुख सचिव सूचना प्रशांत त्रिवेदी से मुलाकात और मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया. पर प्रशांत त्रिवेदी भी कुछ नहीं कर पाए और गाजीपुर के जिलाधिकारी ने गैंगस्टर की फाइल पर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करने के वास्ते पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया. इस घटनाक्रम से गाजीपुर के पत्रकारों और वकीलों में रोष है.
सूत्रों का कहना है कि गाजीपुर जिले के जिलाधिकारी लोकेश एम. और पुलिस अधीक्षक डा. मनोज कुमार ने एक निर्दोष युवक पर जिस तरह से गैंगस्टर एक्ट लगाकर जनविरोधी काम किया है, उसका खामियाजा बहुजन समाज पार्टी को अगले विधानसभा चुनावों में उठाना पड़ सकता है क्योंकि माया राज में पुलिस व प्रशासनिक अफसर मनमानी करते हुए निर्दोषों का लगातार उत्पीड़न कर रहे हैं जिससे आम लोग बेहद त्रस्त व परेशान है. इस मामले में भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह का कहना है कि मायावती के शासन काल में सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी ने मायावती का किया है तो वो है उनका पुलिस महकमा.
अपराधियों को पकड़ने के मायावती के निर्देश की आड़ में पुलिस अधिकारी निर्दोष लोगों को फंसा रहे हैं और जेल भेज रहे हैं. इससे जगह-जगह मायावती सरकार और बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ जन असंतोष उभर रहा है. यही कारण है कि आए दिन पुलिस से त्रस्त जनता सड़कों पर उतरती रहती है. गाजीपुर में पुलिस थानों के घेराव व हमले जैसी घटनाएं यह बताने को पर्याप्त हैं कि पुलिस अधिकारी कानून का दुरुपयोग कर जन असंतोष को भड़का रहे हैं. यशवंत के मुताबिक इस प्रकरण में वे लोग चुप नहीं बैठेंगे. पूरे मामले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएंगे और जनहित याचिका के जरिए यूपी में गैंगस्टर एक्ट का दुरुपयोग रोके जाने की मांग कोर्ट से करेंगे.
पीआईएल दायर करने के लिए वरिष्ठ वकीलों से विचार-विमर्श और सलाह-मशविरे का काम शुरू कर दिया गया है. इसके साथ-साथ महिलाओं को थाने में बिठाने और दुर्व्यवहार किए जाने के प्रकरण की ठंढी पड़ी जांच को भी मुद्दा बनाएंगे ताकि दोषी अफसरों को सख्त से सख्त सजा मिल सके. महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और आरटीआई जैसे लोकतांत्रिक हथियारों का इस्तेमाल कर न्याय की लड़ाई लड़ी जाएगी ताकि पुलिस वालों को समझ में आ सके कि लोकतंत्र में सबसे उपर पुलिस नहीं बल्कि जनता होती है. रविकांत का प्रकरण सिर्फ कोई अलग-थलग इकलौता मामला नहीं है. यूपी में कई जगह निर्दोषों को जबरन अपराधी बनाया जा रहा है. ऐसे सभी लोगों के मामलों को एक साथ मिलकर लड़ा जाएगा
Sabhar:- Bhadas4media.com

No comments:

Post a Comment

Famous Post