रायबरेली : क्रूर तानाशाह की तरह थाना चलाने वाली महिला उपनिरीक्षक ने आखिरकार पुलिस विभाग के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी हैं। दलित रामचन्द्र की मौत के बाद भले थानाध्यक्ष रंजना सचान से हरचन्दपुर थाने का चार्ज छीनकर लाइन हाजिर कर दिया गया हो, लेकिन दलित रामचन्द्र की मौत के लिए अकेले थानाध्यक्ष रजना संचान ही जिम्मेदार नहीं हैं। इस थानाध्यक्ष को संरक्षण देने वाले भी जिम्मेदार हैं। इस थानेदार पर पहले भी कई गम्भीर आरोप लग चुके हैं।
क्षेत्रीय ग्रामीणों ने थानाध्यक्ष रंजना सचान की शिकायत पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर दर्ज कराई थी। इस महिला उपनिरीक्षक को चार्ज दिये जाने के पीछे पुलिस उच्चाधिकारियों की जो भी मजबूरी रही हो लेकिन दलित की मौत ने पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है। थानाध्यक्ष रजना संचान की कार्यशैली से हरचन्दपुर क्षेत्रवासी बुरी तरह से त्रस्त थे।
इस महिला को जिले में सबसे पहले जगतपुर थाने का चार्ज दिया गया था। अपने क्रूर तानाशाही के चलते जगतपुर क्षेत्र के लोग आये दिन इस थानाध्यक्ष की खुली गुण्डई से त्रस्त थे। लम्बी लड़ाई के बाद जगतपुर क्षेत्रावासियों को इस महिला थानाध्यक्ष से निजात मिली थी। जगतपुर थाने में तैनाती के समय संभ्रांत नागरिक अपनी पीड़ा लेकर थाने जाने से कतराते थे। लगभग यही आलम हरचन्दपुर थाने का हो गया था।

वैसे भी इस तरह की घटनाओं को अजांम देने वाले उपनिरीक्षकों की कोई कमी नहीं है। दशहरा मेला के दौरान जगतपुर थाने के उपनिरीक्षक ने एक दलित को पीटपीट कर हाथ तोड़ दिया था। उस उपनिरीक्षक पर आजतक कोई कार्यवाही नहीं हुई। उ. प्र. के नंबर वन थाने का खिताब हासिल करने वाले तत्कालीन थानाध्यक्ष अरूण सिंह पर भी जवाहर मौर्या की मौत का इल्जाम लगा था, वह अरूण सिंह भी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मोहित अग्रवाल के सरपरस्ती में अपनी हिटलर व तानाशाही कायम किये थे। ऐस उपनिरीक्षक पुलिस महकमें के लिए बदनामी का बड़ा सबब बन रहे हैं।
रायबरेली से विजय की रिपोर्ट
Sabhar:- Bhadas4media.com
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