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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

चिदर्पिता को सुने समूचा हिंदू समाज


विभांशु दिव्याल
लेखक
चिदर्पिता को सुने समूचा हिंदू समाज
स्वामी चिन्मयानंद

अब स्वामी चिन्मयानंद कलंक चर्चाओं में हैं.
अपने कृपा पात्रों के लिए ‘शैक्षिक, सामाजिक और राजनीतिक त्रिवेणी का दिव्य आध्यात्मिक नाम’ तथा भाजपा सरकार में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद पर स्वामी की एक पूर्व शिष्या साध्वी चिदर्पिता ने अपने यौन उत्पीड़न, बलात्कार तथा जबरन गर्भपात करवाने के जो सनसनीखेज आरोप लगाए हैं वे अब दबाने की लाख कोशिशों के बावजूद अखबारों से लेकर वेबसाइटों तक चकफेरी मार रहे हैं. चिदर्पिता कह रही है कि स्वामी ने दर्जनों लड़कियों को बर्बाद किया है, वह वहशी है, दरिंदा है और मानसिक रूप से बीमार. चार से छह साल की बच्चियों के साथ भी वह कुकर्म करता है.., स्वामी की सबसे बड़ी कमजोरी लड़की है. .. उसके सभी आश्रमों में लड़कियां हैं. लड़कियों को गर्भवती करके उनकी शादी कभी किसी नौकर से, कभी गनर से करा देता है... उसने अपनी चचेरी बहन के साथ रेप किया था और भाग गया था. 376 का उस पर पहले से ही मुकदमा है. वह गोंडा के रमाईपुर, तबोरसी गांव का गुंडा है.
एक महत्वाकांक्षी और अरबों की संपदा के स्वामी, किसी स्वामी का इस तरह उधड़ना पहली बार नहीं हुआ है. ऐसे स्वामियों, गुरुओं, साधुओं और महाराजों की लंबी फेहरिस्त है जिनके नाम इस तरह के कुकर्मो में उछले हैं और जिनमें से कई पुलिस के शिकंजे में भी आये हैं. पिछले कुछ वर्षो में ही उत्तर प्रदेश-दिल्ली के भीमानंद उर्फ इच्छाधारी, गुजरात के केशवानंद भारती, कर्नाटक के नित्यानंद जैसे धनपति स्वामियों के कारनामें उजागर हुए हैं. स्वामी भीमानंद तो बाकायदा लड़कियों को अपने ईश्वरीय ‘अध्यात्म’ में फंसाकर देह व्यापार में उतारने का धंधा चला रहा था.
यहां कृपालु जी महाराज को भी याद करिए जिन पर उनके आश्रम में अध्यात्म की खातिर पहुंची लड़कियों ने ठीक वैसे ही आरोप लगाए थे जैसे कि चिदर्पिता ने चिन्मयानंद पर लगाए हैं. मेघना शर्मा नाम की लड़की ने एक मार्मिक पत्र लिखकर जहां कृपालु की वास्तविक ‘कृपा’ का पर्दाफाश किया था तो दूसरी ओर स्वामियों, गुरुओं के जाल में फंसी लड़कियों की उस डरावनी विवशता और लाचारी का भी उल्लेख किया था जिसके चलते ये अपनी जुबान नहीं खोल पातीं और चुपचाप अपने तन-मन के बलात्कार को सहती रहती हैं. मेघना लिखती है- लज्जा, ग्लानि और किसी भी तरह की क्षति पहुंचा सकने में सक्षम शक्तिशाली संगठन के भय के कारण लड़कियां जुबान खोलने में संकोच कर जाती हैं.
स्वामी चिन्मयानंद कृपालु जी महाराज और नित्यानंद जैसे अरबपति और विशाल भक्त संख्या वाले प्रभावशाली नाम भले ही कभी-कभार सामने आते हों, लेकिन छोटे-मोटे साधु-संन्यासियों, उपदेशकों, तांत्रिकों आदि की महिलाओं के यौन शोषण और ठगी की कहानियां तो आये दिन अखबारों में रहती हैं. पर हैरानी इस तरह के धूतरे के प्रति सामाजिक चुप्पी पर होती है. और कभी-कभी तो इनके बचाव में ‘ये सब हिंदुओं को बदनाम करने की इटली माफिया की साजिश है’ जैसे बेहूदा और शर्मनाक तर्क तक उछाल दिये जाते हैं.
जिन घटनाओं और व्यक्तियों पर सामाजिक शर्मिन्दगी होनी चाहिए, एक धर्म समुदाय के तौर पर आत्मनिरीक्षण की भावना पैदा होनी चाहिए, एक सभ्य नागरिक समाज के तौर पर चिंता जागनी चाहिए और ऐसे परिव्याप्त कूड़े-करकट को झाड़-बुहार कर सामाजिक धार्मिक ढांचे से बाहर फेंकने के वैचारिक सांस्कृतिक प्रयास होने चाहिए, वहां ऐसे व्यक्तियों, गुरुओं, स्वामियों से अपने-अपने स्वाथरे के कारण जुड़े लोग इनके बचाव में धरती-पाताल एक कर देते हैं और कभी-कभी तो शर्मनाक हद तक नीचे उतर जाते हैं.
सवाल यह नहीं है कि माफिया की तर्ज पर काम करने वाले ये लोग सैक्स मैनियक होते हैं. सैक्स आदिम काल से मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोर रही है और रहेगी भी. यौन विचलन धर्म संप्रदाय से परे समूची मनुष्य जाति में मौजूद हैं. यह एक स्वाभाविक प्रवृत्ति या दुष्प्रवृत्ति है जिस पर नियंत्रण के लिए अनेकानेक सामाजिक और विधायी उपाय मौजूद हैं. लेकिन जब कोई व्यक्ति अपनी विकृत यौनेच्छा पर धर्म और आध्यात्मिकता का आवरण डालने का प्रयास करता है तब समाज के लिए कई तरह के खतरे पैदा हो जाते हैं.
मैं अगर खुलकर कहता हूं कि मैं रूढ़ यौन नैतिकता में भरोसा नहीं करता तो यह बात मैं आदमी और औरत दोनों के लिए कहता हूं और इसके लिए जिसे मुझे गाली देनी होगी वह गाली दे लेगा और जिसे समर्थन करना होगा वह समर्थन कर देगा. ज्यादा से ज्यादा इससे एक तर्क-वितर्क युक्त विवाद पैदा हो सकता है, मगर विकृति नहीं. लेकिन जब एक गुरु या स्वामी तमाम यौन शुचिताओं और नैतिकताओं का प्रवचन करते हुए छुपे तौर पर औरतों, लड़कियों को अपनी विकृत यौन पिपासा के गुलाम में बदलने की कुचेष्टाएं करता है तो वह अक्षम्य सामाजिक अपराध करता है. और उससे भी बड़ा अपराध वे लोग करते हैं जो इसमें धार्मिक सहयोग देते हैं और इसे लगातार छिपाए रखने की कोशिश में जुटे रहते हैं.
स्वामी चिन्मयानंद के शिष्य और समर्थक चिदर्पिता पर अब चरित्रहीनता से लेकर चोर, लालची, महत्वाकांक्षी होने तक के कई आरोप लगा रहे हैं. अगर चिदर्पिता ऐसी है या हुई है तो किसके कारण हुई? एक वास्तविक आध्यात्मिक व्यक्ति के संपर्क में कोई भी औरत ऐसी नहीं हो सकती. एक औरत का ऐसा चरित्र एक लंपट, धूर्त, आडम्बरी और महत्वाकांक्षी व्यक्ति के संपर्क से ही विकसित होता है. लेकिन स्वामी के चेले-चांकुटे इस सवाल से मुठभेड़ करने से भी कतरा जाते हैं. मूल चिंता तो समग्र हिंदू समुदाय की होनी चाहिए कि वह हिंदुत्व की घिनौनी और लंपट छवि निर्मित करने वालों से कैसे निपटे. शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन दबाए रखने से काम नहीं चलेगा

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