आज बॉलीवुड काफी बदल चुका है। एक वक़्त जब अच्छे गीत लिखे जाते और गाये जाते थे अब तो गीत आया राम और गया राम हो गए। आज के गीतों में नीरसपन साफ़ झलकता है। लिखने की शुरुआत तो कॉलेज के टाइम हो गयी थी। एक बार हमारे कॉलेज में कवि सम्मलेन हुआ।
गीतकार नीरज और अमीन सायानी जी आये थे। मैंने उनको अपनी एक कविता सुनाई। . मुझे इस कविता के लिए अवार्ड मिला था। कुछ दिन बाद पता चला मेरी कविता फिल्मी गीत बन गया। मुझे लगा की मैं गीतकार बन सकती हु।
शादी के बाद मै मुंबई शिफ्ट हो गयी. मैंने कुछ फिल्मो और टीवी सीरियल में भी काम किया। लिखना मेरा शौक नहीं पेशा है। राज कपूर जी से काफी सीखा। वो कहते थे। . नीता बॉलीवुड में मेहनत करनी पड़ती है। तभी ये बॉलीवुड कुछ दे पाता है
मेरी एक सांग की सी डी न जानू कैसा इश्क और एक गीत वी बैचलर,. कर ले कर ले प्यार बहुत चला। इसके अलावा मैंने एक नावेल लिखा है खोजती रही प्यार । पुरानी फिल्म झील के उस पार काफी अच्छी लगती है उसके सभी गीत अच्छे है। मैंने हिंदी फिल्मो के काफी गीत लिखे है। अभी कई फिल्मो के ऑफर आ रहे है उस पर काम चल रहा है।
अभी भी अच्छे गीतकारों की कमी नहीं है कुछ लोगो को मौका नहीं मिलता है। जिनको मौका मिलता है वो प्रोडूसर से हिसाव गीत लिखते है।
बॉलीवुड में कोम्प्रोमाईज़ करना ही पड़ता है। बिना कोम्प्रोमाईज़ के कुछ भी नहीं मिलता है। . जो लोग बॉलीवुड में आना चाहते है वो लोग मेहनत करते रहे। मेहनत सब कुछ मिल जाता है। अभी मै राइटर एसोसिएशन और दादा साहेब फाल्के की एग्जीक्यूटिव कमेटी मेंबर भी हु।
एडिटर
सुशील गंगवार
गीतकार नीरज और अमीन सायानी जी आये थे। मैंने उनको अपनी एक कविता सुनाई। . मुझे इस कविता के लिए अवार्ड मिला था। कुछ दिन बाद पता चला मेरी कविता फिल्मी गीत बन गया। मुझे लगा की मैं गीतकार बन सकती हु।
शादी के बाद मै मुंबई शिफ्ट हो गयी. मैंने कुछ फिल्मो और टीवी सीरियल में भी काम किया। लिखना मेरा शौक नहीं पेशा है। राज कपूर जी से काफी सीखा। वो कहते थे। . नीता बॉलीवुड में मेहनत करनी पड़ती है। तभी ये बॉलीवुड कुछ दे पाता है
मेरी एक सांग की सी डी न जानू कैसा इश्क और एक गीत वी बैचलर,. कर ले कर ले प्यार बहुत चला। इसके अलावा मैंने एक नावेल लिखा है खोजती रही प्यार । पुरानी फिल्म झील के उस पार काफी अच्छी लगती है उसके सभी गीत अच्छे है। मैंने हिंदी फिल्मो के काफी गीत लिखे है। अभी कई फिल्मो के ऑफर आ रहे है उस पर काम चल रहा है।
अभी भी अच्छे गीतकारों की कमी नहीं है कुछ लोगो को मौका नहीं मिलता है। जिनको मौका मिलता है वो प्रोडूसर से हिसाव गीत लिखते है।
बॉलीवुड में कोम्प्रोमाईज़ करना ही पड़ता है। बिना कोम्प्रोमाईज़ के कुछ भी नहीं मिलता है। . जो लोग बॉलीवुड में आना चाहते है वो लोग मेहनत करते रहे। मेहनत सब कुछ मिल जाता है। अभी मै राइटर एसोसिएशन और दादा साहेब फाल्के की एग्जीक्यूटिव कमेटी मेंबर भी हु।
एडिटर
सुशील गंगवार
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