अरे संसंद में जूते चले और चले है लाठी
मुझसे आके लड़ ले जिसकी उची काठी
जुबा मेरी फिसल गयी अब करता हू खेद
हम सबकी जाति एक है ना करना भेद
अगली बार तुम मुझे कुछ भी कह देना
मैंने खेद कहा है तुम भी खेद कह देना ।
http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html
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