Feature

Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

महिला पत्रकार ने क्यों की खुदकुशी?

सुप्रिया
डिप्रेसन की शिकार थीं सुप्रिया : पहले भी कर चुकी थीं आत्महत्या की कोशिश : इस बाजारवादी व्यवस्था में सब कुछ होने के बावजूद आदमी अकेले है. तनहा है. डिप्रेसन में है. परेशान है. आशंकाओं से भरा है. असुरक्षाबोध से ग्रस्त है. लखनऊ की महिला पत्रकार सुप्रिया योगई की मौत ने शहरी जिंदगी और बाजारीकरण पर सवाल खड़ा किया है. आखिर वो कौन सी व्यवस्था बनाई जा रही है, जिसमें किसी की मनःस्थिति ऐसी हो रही है जिसमें जीने से ज्यादा सुकून मरने में दिखने लगे. ये कैसा सिस्टम है जो आदमी को सब कुछ दे रहा है पर संतुष्टि व खुशी नहीं प्रदान कर रहा.
स्वतंत्र भारत, लखनऊ की महिला जर्नलिस्ट सुप्रिया योगी की मौत के बारे में उनके पत्रकार पति विमल योगी तिवारी का कहना है- ''सुप्रिया लम्बे समय से अवसाद में थीं. उनका इलाज चल रहा था. इसके पहले भी वह खुदकुशी का प्रयास कर चुकी थीं. पूर्व में छत से कूदने की वजह से उनके पैर व कूल्हे की हड्डी टूट गई थी. इसी वजह से वह छड़ी का सहारा लेकर चलती थीं.''
ज्ञात हो कि फन मॉल, गोमतीनगर में गुरुवार शाम जब चहल-पहल थी, तब महिला पत्रकार सुप्रिया योगी तिवारी (48) चौथी मंजिल पर टहल रही थीं. शाम करीब 6:20 बजे वह अचानक कूद गईं. खून से लथपथ सुप्रिया को लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। उनकी दो बेटियां हैं. सुप्रिया की बड़ी बेटी भव्या अमेरिका में पीएचडी व छोटी बेटी विदुषी दिल्ली में एमबीए कर रहीं हैं.
पुलिस का कहना है कि सुप्रिया के पति विमल योगी तिवारी ने चालक से डाक्टर के यहां जाने को कहा था पर रास्ते में सुप्रिया ने चालक से कहा कि उन्हें खरीदारी करनी है और वह मॉल आ गई. चालक बाहर ठहर गया और सुप्रिया भीतर चली गईं. मॉल के एक कर्मचारी के मुताबिक सुप्रिया चौथी मंजिल पर रेलिंग के पास काफी देर से टहल रही थीं. पुलिस के अनुसार वीडियो फुटेज से पता चला कि वह कुछ देर टहलने के बाद रेलिंग पकड़कर खड़ी हो गयीं और फिर दोनों हाथ छोड़ दिए, जिससे नीचे आ गिरीं.
घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची. कुछ ही देर में वहां मीडिया कर्मियों का भी हुजूम लग गया. फर्श पर खून का गहरा धब्बा व पास ही नीले रंग का जूता पड़ा था. चौथी मंजिल पर रेलिंग के पास सुप्रिया का पर्स, एक छड़ी व दुपट्टा रखा मिला. पर्स में मिले परिचय पत्र से उनकी पहचान हुई. घटना की सूचना पाकर पति विमल योगी तिवारी लोहिया अस्पताल पहुंचे. जहां से कूदकर सुप्रिया ने खुदकुशी की है, वहीं से पिछले दिनों एक निजी इंजीनियरिंग कालेज की छात्रा श्रुति ने भी कूदकर खुदकुशी कर ली थी.
खुदकुशी के छोटे-मोटे कारण तो घर-परिवार, रिश्ते-नाते, डिप्रेसन आदि में तलाशे जा सकते हैं लेकिन बड़ा कारण तो कहीं न कहीं सिस्टम है, बाजार है, व्यवस्था है, जो हर आदमी को भीड़ में तनहा किए हुए है. जो जितना भी कमा ले, पा ले, वह कम लगता है. एक अंधी दौड़ है 'सफल' होने की. भौतिक सफलताओं को इस सिस्टम में कोई अंत नहीं है. बाहरी तामझाम, दिखावे और तड़क-भड़क के बीच छिपे कमजोर आदमी के मन में कब कुंठा पैदा हो जाए, कब विकृति आ जाए, कब असंतुलन शुरू हो जाए, कोई नहीं जानता.
आत्महत्या कर लेने के बाद पता चलता है कि किसी ने जान दे दी। लेकिन तमाम लोग तो सुसाइडल मनःस्थिति में जी रहे हैं. आत्महत्या करने की हिम्मत भर नहीं जुटा पा रहे हैं बाकी वो सारे कारक उनके अंदर है जिसके चलते वे कहीं उपर से छलांग लगा दें. सुप्रिया की मौत का संदेश कहीं यह तो नहीं कि हम शहर के तड़क-भड़क, बाजार के प्रमुख चालक होने व व्यवस्था के भ्रष्ट होते जाने के बाद दिनोंदिन अकेले होते जा रहे हैं?

साभार - भड़ास ४ मीडिया .कॉम

No comments:

Post a Comment

Famous Post