जाने माने पत्रकार उदयन शर्मा की याद में ’उदयन शर्मा फाउंडेशन ट्रस्ट’ द्रारा ‘लाबीइंग पैसे के बदले खबर और समकालीन पत्रकारिता’ पर आयोजित संवाद संवाद-2010 में मीडिया जगत के दिग्गजों ने बेबाकी से अपनी राय रखी। इसी मौके पर अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने कहा कि पत्रकारिता बिक रही है, इससे निपट पाना मुश्किल है। आयोजन में राहुल देव, सतीश के सिंह, रामबबहादुर राय, आलोक मेहता, श्रवण गर्ग, राजदीप सरदेसाई, आशुतोष जैसे वरिष्ठ पत्रकार वक्ताओं में शामिल थे।
प्रसून बाजपेयी ने कहा कि पत्रकारिता बिक रही है, इससे निपट पाना बहुत मुश्किल है । उन्होंने पेड न्यूज के लिए कॉरपोरेट जगत को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि राजनीति और मीडिया दोनों ही इसके प्रभाव से अछूते नहीं हैं।
वरिष्ट पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा कि पेड न्यूज के लिए बाजारीकरण जिम्मेदार है। आज मीडिया पर कॉरपोरेट क्षेत्र हावी है। आप राजनेताओं को एक्सपोज कर सकते हैं लेकिन कॉरपोरेट को एक्सपोज नहीं कर सकते है। कंटेंट की वजह से आज पत्रकारो का सम्मान कम हो रहा है। संपादको को जिम्मेवारी लेनी होगी। आज के युवाओं में काफी संभावना है वह पत्रकारिता में बड़ा दायरा लेकर आता है लेकिन जब देखता है कि उसके रोल मॉडल ही गलत हैं तो वह कुछ समझ नहीं पाता। भ्रष्टाचार समाज में उपर है नीचे नहीं है।
राहुल देव पेड न्यूज से निपटने के लिए एक ऐसी शक्ति संपन्न संस्था के गठन का सुझाव दिया जिसके पास संबधित मामलों की शिकायत सुनने के साथ उसको लागू करने का भी अधिकार हो। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट सेक्टर बड़ी ताकत है मीडिया अपनी प्रकृति से उसी का हिस्सा है। चाहे तो भी उससे बाहर नहीं जा सकती है। उसका ऑक्सीजन उसी से मिलता है।
सतीश के सिंह ने सवालिया अंदाज में कहा कि क्या हम कॉरपोरेट को मिटा देंगे? आज पेड न्यूज को रोकना है, तो एक सिस्टम तैयार करना होगा वरिष्ट पत्रकार रामबहादुर राय ने पेड न्यूज को पत्रकारिता की साख पर संकट बताते हुए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन और चुनाव आयोग को शिकायतों पर कार्रवाइ करने का अधिकार देने का सुझाव दिया। उन्होने कहा कि पत्रकारिता बचेगी तो लोकतंत्र बचेगा।
आलोक मेहता ने कहा कि बहुत पहले से पेड न्यूज का दौर चला आ रहा है लेकिन इससे दुनिया नही नष्ट हो जाएगी। समाज पर भरोसा रखिए आज का पत्रकार ज्यादा जुझारु और इमानदार है।श्रवण गर्ग ने पत्रकारों की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आज आपातकाल हो जाय तो हमारी भूमिका क्या रहेगी? आज हम आपातकाल में नहीं जी रहें हैं क्या? शायह हम पेड न्यूज का मामला उठाकर कुछ दबाने की कोशिश कर रहें है। क्या साल के 365 दिन यह गुंजाइश नहीं है कि जिन क्षेत्रों में बगैर किसी दबाव के हमें जो जिम्मेवारी दी गई है उन क्षेत्रों में हम अपने पाठकों को वह दे। मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिहं ने कहा कि पेड न्यूज की बात ठीक नहीं है, लेकिन लाबीइंग और विज्ञापन के बगैर अखबार या न्यूज चैनल चल सकते हैं क्या? विश्वसनीयता हमारे उपर निर्भर करती है। हमारा लोकतंत्र इवोल्यूशन के दौर से गुजर रहा है। वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा।
प्रसून बाजपेयी ने कहा कि पत्रकारिता बिक रही है, इससे निपट पाना बहुत मुश्किल है । उन्होंने पेड न्यूज के लिए कॉरपोरेट जगत को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि राजनीति और मीडिया दोनों ही इसके प्रभाव से अछूते नहीं हैं।
वरिष्ट पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा कि पेड न्यूज के लिए बाजारीकरण जिम्मेदार है। आज मीडिया पर कॉरपोरेट क्षेत्र हावी है। आप राजनेताओं को एक्सपोज कर सकते हैं लेकिन कॉरपोरेट को एक्सपोज नहीं कर सकते है। कंटेंट की वजह से आज पत्रकारो का सम्मान कम हो रहा है। संपादको को जिम्मेवारी लेनी होगी। आज के युवाओं में काफी संभावना है वह पत्रकारिता में बड़ा दायरा लेकर आता है लेकिन जब देखता है कि उसके रोल मॉडल ही गलत हैं तो वह कुछ समझ नहीं पाता। भ्रष्टाचार समाज में उपर है नीचे नहीं है।
राहुल देव पेड न्यूज से निपटने के लिए एक ऐसी शक्ति संपन्न संस्था के गठन का सुझाव दिया जिसके पास संबधित मामलों की शिकायत सुनने के साथ उसको लागू करने का भी अधिकार हो। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट सेक्टर बड़ी ताकत है मीडिया अपनी प्रकृति से उसी का हिस्सा है। चाहे तो भी उससे बाहर नहीं जा सकती है। उसका ऑक्सीजन उसी से मिलता है।
सतीश के सिंह ने सवालिया अंदाज में कहा कि क्या हम कॉरपोरेट को मिटा देंगे? आज पेड न्यूज को रोकना है, तो एक सिस्टम तैयार करना होगा वरिष्ट पत्रकार रामबहादुर राय ने पेड न्यूज को पत्रकारिता की साख पर संकट बताते हुए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन और चुनाव आयोग को शिकायतों पर कार्रवाइ करने का अधिकार देने का सुझाव दिया। उन्होने कहा कि पत्रकारिता बचेगी तो लोकतंत्र बचेगा।
आलोक मेहता ने कहा कि बहुत पहले से पेड न्यूज का दौर चला आ रहा है लेकिन इससे दुनिया नही नष्ट हो जाएगी। समाज पर भरोसा रखिए आज का पत्रकार ज्यादा जुझारु और इमानदार है।श्रवण गर्ग ने पत्रकारों की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आज आपातकाल हो जाय तो हमारी भूमिका क्या रहेगी? आज हम आपातकाल में नहीं जी रहें हैं क्या? शायह हम पेड न्यूज का मामला उठाकर कुछ दबाने की कोशिश कर रहें है। क्या साल के 365 दिन यह गुंजाइश नहीं है कि जिन क्षेत्रों में बगैर किसी दबाव के हमें जो जिम्मेवारी दी गई है उन क्षेत्रों में हम अपने पाठकों को वह दे। मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिहं ने कहा कि पेड न्यूज की बात ठीक नहीं है, लेकिन लाबीइंग और विज्ञापन के बगैर अखबार या न्यूज चैनल चल सकते हैं क्या? विश्वसनीयता हमारे उपर निर्भर करती है। हमारा लोकतंत्र इवोल्यूशन के दौर से गुजर रहा है। वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा।
साभार - समाचार ४ मीडिया .कॉम
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