इस सत्र से कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा व्यक्तिगत स्नातक तथा परास्नातक परीक्षा के प्रथम वर्ष की सभी कक्षाओ के परीक्षा फॉर्म केवल ऑनलाइन भरने के तुगलकी फरमान का पुरे कुमाऊँ के छात्रों ने एक स्वर से विरोध किया है I इस फैसले के विरोध में पुरे कुमाऊँ में जगह-जगह छात्र आंदोलन करने के लिए सड़को पर उतर आये है I
दरअसल कुमाऊँ विश्विद्यालय ने इस वर्ष से बीए, बीकॉम, बीएससी तथा एमए, एमकॉम, एमएस- सी प्रथम वर्ष के परीक्षा फॉर्म ऑनलाइन भरने का निर्णय लिया है I कुविवि के अनुसार अगले वर्ष से सभी परीक्षा फॉर्म ऑनलाइन ही भरे जायेंगे I ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भरने के लिये विद्यार्थी कुमाऊँ विश्वविध्यालय की वेबसाइट केयूएनटीएल डॉट को डॉट इन में चालन फॉर्म का प्रिंटआउट लेकर चालन बैंक में जमा कर सकते है I फिर चालान के नंबर को कुविवि की साइट में लिखने से परीक्षा फॉर्म मिल जाएगा I इस फॉर्म को भरकर कॉलेज में जमा करने से परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी I
परन्तु इस प्रक्रिया का पुरजोर विरोध पुरे कुमाऊँ के छात्र कर रहे है I अभाविप तथा एनएसयूआई दोनों छात्र सगठनो ने इसे जटिल प्रणाली बताते हुए इसका विरोध किया है I छात्र सगठनो का कहना है कि कुविवि ने बिना छात्रों को विश्वाश में लिए इस प्रणाली को छात्रों के ऊपर थोपने का प्रयास किया है जिसको बिलकुल भी बर्दास्त नहीं किया जाएगा I पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ललित जोशी का कहना है कि पहाड़ के कई सुदूरवर्ती क्षेत्रो में मोबाइल तो ढंग से काम नहीं कर पाते है फिर वहाँ पर नेट द्वारा ऑनलाइन फॉर्म भरने के बारे में सोचना भी हास्यापद है I ललित जोशी ने कुलपति के निर्णय कि आलोचना करते हुए कहा है कि उनके इस निर्णय के कारण हज़ारो छात्र परीक्षा देने से वंचित रह सकते है I कुविवि के इस फैसले के विरोध में एनएसयूआई ने हल्द्वानी में एमबी कॉलेज के बाहर अपना अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है I
वास्तव में जबकि कुमाऊँ विश्वविधालय अभी मुख्य परीक्षाओं के रिजल्ट कि अंकतालिकाओ की गड़बड़ियो को दुरुस्त नहीं कर पा रहा है, जिससे कई विधार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है , वहाँ इस तरह की ऑनलाइन फॉर्म भरने की कुविवि प्रसासन की हाईटेक सोच के प्रति संदेह उभरना स्वाभाविक ही है I
एडवोकेट शरद तिवारी
भाई शरद जी एक बात बताओ । अगर कोई अधिवक्ता अंग्रेजी में फ़ैसला सुनाने का या फ़िर बयान तहरीर देने का विरोध करे तो आप उसे क्या कहोगे ? मैं भी आपके हीं पेशे से हुं। आप जानते हैं सभी ला बुक अंग्रेजी में है और विवाद की स्थिति में अंग्रेजी के बुक को हीं आधार मानते हैं । उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय रुल के अनुसार न्यायालय में दाखिल होने वाले सभी कागजात अंग्रेजी में होने चाहिये । यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय में ट्रांसलेटर होता है। जो लडके बीए में पढ रहें हों और कम्प्युटर की जानकारी नहीं रखते , उनको पहले कम्प्युटर सीखना चाहिये । अन्यथा उनका पढना बेकार है। अपना समय और मां - बाप की गाढी कमाई बरबाद करने से अच्छा है कोई काम करें।
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