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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

अमर उजाला, वाराणसी में तीस लाख का घोटाला!

वाराणसी। अमर उजाला से एक बड़ी खबर यह है कि इसमें सर्कुलेशन के कूपन फर्जीवाड़े के नाम पर कोई तीस लाख रूपये के गोलमाल की आवाज हर रोज नगर के विभिन्न वितरण सेंटरों में सुनी जा रही है। इस बाबत अखबार वितरण सेंटरों पर कितनी किचकिच होती है, इसे सेंटरों पर जाकर हर कोई सुबह साढ़े तीन से छह बजे सुना जा सकता है। और, सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि खासतौर पर रेलवे, कचहरी और पांडेयपुर सेंटरों से जुड़े वितरकों ने अमर उजाला की उठान कम कर दी है।
अमर उजाला के अंदरूनी सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इसकी जांच भी शुरू हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि अमर उजाला ने 2009-2010 वर्ष में अपने अखबार की बिक्री के बाबत दो करोड़ रूपये खर्च करने का टार्गेट रखा है। इसके तहत पहले दौर में 40 हजार कूपन छपवाए गये थे। हर कूपन का दाम 150 रूपये रखा गया था। इससे अमर उजाला के सेल में 20 हजार का इजाफा होने की खबर है। बाद में दावा किया गया कि यह सेल बढ़कर चालीस हजार तक हो गयी है। आज की तारीख में कूपन के दम पर 22 से 25 हजार की सेल बढ़ने की बात प्रचारित की जा रही है। वितरकों, प्रचार आदि में इस दो करोड़ की रकम खर्च करने का पूरा प्रावधान है।

जानकारों का यह भी कहना है कि एक सोची समझी नीति के तहत 20 हजार और कूपन बाद में छपवा लिए गए। इस बीस हजार कूपन की रकम 30 लाख रूपये बैठती है। नियमानुसार हर कूपन की वापसी पर दस रूपये वितरक को मिलना तय है। हर वितरक का पांच सौ से पांच हजार तक की रकम इस फर्जीवाड़े में फंसी बतायी जा रही है। अब जब वितरक कूपन के पैसे मांगने जा रहे हैं तो उन्हें टका सा जवाब दिया जा रहा है। कारण यह है कि अखबार का खजांची पैसे रिलीज नहीं कर रहा है। उसका कहना है कि उसे बीस हजार कूपन छपने की न तो जानकारी है, न सबूत है और न उसके पास इस बाबत कोई मेल आयी है। इस मामले को लेकर अमर उजाला के दो बड़े अफसरों में मारपीट तक हो चुकी है। बीस हजार कूपन बेचने वाले जितने भी वितरक थे, उन्होंने कूपन के बाबत पैसे न पाने की वजह से अखबार की बिक्री घटा दी है। इसे लेकर प्रबंधन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। इस तीस लाख के बोफोर्स में देखिए कौन-कौन नपता है। अमर उजाला के मालिक नान परफरमेंस के नाम पर जब तब संपादकों से इस्तीफा रखवा लेते हैं तो देखा जाए इस तीस लाख के घपले में वह क्या-क्या करते हैं? साभार : पूर्वांचल दीप

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