पटना के एक बड़े हिन्दी अखबार में काम करने वाले पत्रकार इन दिनों बेबसी का घूंट पीकर काम कर रहे हैं। कारण उनके ब्यूरो चीफ की तुगलकी अदा है। इसी अखबार के एक दूसरे एडिशन में कभी संपादक रहे इस 'बंधु' को डिमोशन देकर उन्हें पटना बुला लिया गया और ब्यूरो चीफ की उस कुर्सी पर बैठा दिया गया जो पूर्व में एक कद्दावर ब्यूरो चीफ के रिजाइन देने से खाली पड़ा था।
डिमोशन होने के बावजूद पटना ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद से ही इस बंधु ने बेहयायी की सारी हदें पार कर अपने जलवे दिखाने शुरू कर दिए। कोई दिन ऐसा नहीं जब ब्यूरो और सिटी डेस्क पर काम करने वाला कोई पत्रकार ब्यूरोचीफ से गालियां नहीं सुनता हो। अगर कोई पत्रकार उन्हें देखकर प्रणाम न करने और कुर्सी से खड़ा न होने की भूल करता है तो तुरंत उसे गर्दन में हाथ डालकर बाहर का रास्ता दिख देने की धमकी दी जाती है। खुद तो अनुभवहीन हैं पर 'राजदरबार' से ताल्लुक रखने वाले इस ब्यूरोचीफ पर अखबार का प्रबंधन भी मेहरबान रहता है।
यहां तक की इस ब्यूरो चीफ से इस अखबार के संपादक भी घबराते हैं और कई अवसरों पर तो संपादक को इस ब्यूरो चीफ के पीछे खड़ा देखा गया है। ब्यूरो चीफ की करतूतों और उनके द्वारा आए दिन किसी न किसी को बेइज्जत करने की घटना से यहां काम करने वाला हर पत्रकार आहत है। डर यह है कि कहीं अंदर ही अंदर सुलग रहे पत्रकारों का गुस्सा एक दिन उबाल पर न आ जाए और वह घटना न घट जाए जिसकी संभावना काफी दिनों से दिखायी दे रही है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Sabhar;- Bhadas4media.com
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