सोशल मीडिया की दुनिया सिर्फ एक साल में कितनी बदल गई ! फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, ब्लॉग और सोशल मीडिया के तमाम दूसरे मंच बीते कई साल से सुर्खियां बटोरते रहे हैं, लेकिन 2011 जैसा साल पहले कभी नहीं दिखा। इस साल सोशल मीडिया के जरिए न केवल बड़े आंदोलन परवान चढ़े बल्कि इसकी ताकत का अहसास दुनिया भर की सरकारों को इस कदर हुआ कि इन मंचों पर पाबंदी के रास्ते खोजे जाने की एक प्रक्रिया शुरु हो गई। सोशल मीडिया पर साल 2011 की आहट मिस्र की क्रांति के बीच हुई। निरंकुश शासन के दमनकारी हथकंडों के बीच खुद को अभिव्यक्त करने का सबसे बड़ा माध्यम बना सोशल मीडिया। हालांकि, इससे पहले ट्यूनीशिया में तानाशाह जाइन अल आबीदीन बेन अली की सरकार के खिलाफ भी जनमत तैयार में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका अदा की लेकिन मिस्र की क्रांति के दौरान पूरी दुनिया की नज़र इन नए माध्यमों पर टिक गई। भारत के लाखों लोगों ने भी मिस्र की क्रांति के दौरान वर्चुअल दुनिया में प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। लेकिन सोशल मीडिया के जरिए परवान चढ़ते आंदोलन की सही भनक उन्हें अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान मिली। भ्रष्टाचार से पस्त और त्रस्त लोगों ने सोशल मीडिया पर अन्ना को जबरदस्त समर्थन दिया। नतीजा यह हुआ कि जमीन पर विरोध की चिंगारी को फेसबुक, ट्विटर से ऐसी हवा मिली कि आंदोलन झटके में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हो गया। पांच अप्रैल को अन्ना पहली बार जंतर मंतर पर धरने पर बैठे तो उनके समर्थन में एक साथ 72 से ज्यादा शहरों में प्रदर्शन हुए। इसके बाद अन्ना की ‘डिजीटल सेना’ ने अभियान को रणनीतिक तरीके से अंजाम देना शुरु किया तो सरकार को भी मानना पड़ा कि वह सोशल मीडिया पर आंदोलन की तीव्रता को भांपने में नाकाम रही। अन्ना के आंदोलन ने अचानक सोशल मीडिया को लेकर लोगों की राय बदल दी। फेसबुक,ट्विटर जैसे मंचों को एक साल पहले तक शहरी युवाओं का चोंचला कहकर खारिज करने वाले लोग भी मानने लगे कि इन माध्यमों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मुख्यधारा के मीडिया में भी इन मंचों को जबरदस्त जगह मिली। मुंबई में 26/11 हमले के वक्त भी सोशल मीडिया की ताकत का अहसास भारतीयों को हुआ था, लेकिन उसका केंद्र मुंबई था और उसका असर चंद दिनों तक सिमटा था। सोशल मीडिया के उपयोक्ताओं के व्यवहार में आया बदलाव यह भी इशारा करता है कि अब ये मंच मनोरंजन का माध्यम भर नहीं रह गए। संवैधानिक अधिकारों को लेकर संबंधित विभागों के कान खींचने से लेकर उपभोक्ता मामलों की शिकायत को लेकर कंपनियों को सीधे सीधे चुनौती देने का काम इन्हीं मंचों से किये जाने की शुरुआत हो गई। एक योजना में कई लोगों का धन लेकर काम की शुरुआत करने यानी ‘क्राउडफंडिंग’ का जरिया बने ये मंच। हां, अभिव्यक्ति की इसी मुखरता में देश-दुनिया में कई बड़े हादसे हुए। वेंकुवर में दंगों के दौरान सोशल मीडिया ट्रायल हुए। ब्रिटेन में दंगा भड़काने में सोशल मीडिया की भूमिका इस तरह सामने आई कि प्रधानमंत्री ने आपातकाल में इन मंचों पर रोक की इच्छा जाहिर कर डाली। सोशल मीडिया की सबसे बड़ी ताकत है ‘शेयरिंग और लाइकिंग’। यानी माउस के एक क्लिक के साथ लिखे-कहे को अपने समूह में बांटना। इस ताकत को इस वर्ष हमनें तमिल-अंग्रेजी मिश्रित गीत ‘कोलावरी डी’ की सफलता के बरक्स भी पढ़ा। हां, सिक्के के दूसरे पहलू की तरह सोशल मीडिया की यही कमजोरी भी है,क्योंकि यहां लाइक, शेयर या रीट्वीट का बटन दबाने से पहले लोग बहुत सोचते नहीं। तमाम राजनेताओं के खिलाफ भद्दे कार्टून और टिप्पणियों के धुआंधार प्रचार के बरक्स इसी कमजोरी को देखा जा सकता है। दिलचस्प है कि दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने इसी नकारात्मक बिन्दु के मद्देनजर सोशल मीडिया पर नकेल की कथित कवायद शुरु कर डाली, जिस पर खासा हल्ला मचा हुआ है। सोशल मीडिया पर नियंत्रण की सरकार की कोशिशें इंटरनेट सेंसरशिप की तरफ इशारा करती हैं, जो ठीक नहीं है। भारत में तो अभी दस फीसदी लोगों तक भी इंटरनेट नहीं पहुंचा है और सरकारी नियंत्रण इंटरनेट का विस्तार प्रभावित करेगा। इस बीच, फेसबुक, ट्विटर जैसे मंचों पर लिखे-कहे का बवाल अदालत की दहलीज पर भी पहुंचा। आईटीसी ने सोहेल सेठ पर 200 करोड़ का मुकदमा ठोंका। दिग्विजय सिंह ने 22 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। और साल के आखिर तक अश्लील व धार्मिक विद्वेष फैलाने वाली सामग्री को लेकर कई सोशल नेटवर्किंग साइट को कोर्ट का समन भेजा गया। सोशल मीडिया के मंचों पर कम शब्दों में बात कहना सहज-सरल है। इसके अलावा लिखे-कहे को फौरी प्रतिक्रियाएं मिल जाती हैं, और यह उपयोक्ताओं का उत्साह दोगुना करता है। लेकिन, शायद इस खासियत का नुकसान ब्लॉग को सबसे ज्यादा उठाना पड़ा है। इस साल ब्लॉगिंग अपनी मूल अवधारणा में सिकुड़ी रही। अधिकांश सेलेब्रिटी ब्लॉगर ब्लॉगिंग को अलविदा कह गए और नियमित अपडेट होने वाले ब्लॉग की संख्या भी कम हो गई। हां, ब्लॉगिंग माइक्रोब्लॉगिंग के रुप में फेसबुक और ट्विटर जैसे मंचों पर खूब परवान चढ़ी। फेसबुक की लोकप्रियता से आतंकित गूगल ने गूगल प्लस मैदान में उतार दिया, जिसके भविष्य का फैसला नए साल में होगा। लोकतंत्र और इंटरनेट की स्वतंत्रता की दुहाई देने वाले अमेरिका ने विकीलीक्स को बंद कराने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए। नतीजा विकीलीक्स की दम तोड़ती हालत के रुप में सामने हैं। यह चिंता का विषय है कि क्या भविष्य में सरकारें इंटरनेट का भविष्य तय करेंगी। इसी साल पोर्न कंटेंट के लिए ट्रिपल एक्स सफिक्स को आईसीएएनएन ने मंजूरी दी। भारत में अभी इस पर पाबंदी है, लेकिन सवाल है कि भारतीय संस्थाओं, कंपनियों, कॉलेजों के नाम से जुड़े डोमेन ट्रिपल एक्स सफिक्स के साथ विदेश में पंजीकृत कराए जाते हैं तो क्या हमने कोई तैयारी की है? निश्चित रुप से साल 2011 सोशल मीडिया के लिए मील का पत्थर रहा। फेसबुक के लिए तो बेहद खास। सुरक्षा और निजी जानकारियों संबंधी कई चिंताओं के बावजूद फेसबुक लोगों की पसंदीदा साइट रही और यह नाम इंटरनेट पर साल का सबसे ज्यादा खोजे जाने वाला शब्द बना। भारत में भी फेसबुक उपयोक्ताओं की संख्या चार करोड़ बीस लाख पार कर गई। लेकिन, मसला आंकड़े नहीं इन मंचों की उपयोगिता है। सोशल मीडिया के रुप में आम नागरिक के हाथों में आयी इस तोप का धमाका 2011 में सुनायी दे चुका है, जिसकी गूंज आने वाले सालों में लगातार सुनायी देती रहेगी। (यह लेख दैनिक भास्कर में प्रकाशित हो चुका है और वहीं से साभार लिया गया है) |
2011 में 'सोशल मीडिया' बना लोकतंत्र की आवाज़
Tags
# सोशल मीडिया' बना
Share This
सोशल मीडिया' बना
Labels:
सोशल मीडिया' बना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Famous Post
-
बॉलीवुड जहा एक तरफ कुआ है दूसरी तरफ खाई | जो इस खेल को पार कर गया, वह बन जाता है फिल्म स्टार या बेकार | बॉलीवुड में काम करने का सपना लेक...
-
यह आश्चर्यजनक तस्वीर इस बात का डरावना सबूत हो सकते हैं कि भूत-पिशाच और हैवानी शक्तियां भी रात में सेक्स करते हैं। डियाने कार्लिस्ले की पोती...
-
मेरे मित्र यशवंत के ' भड़ास ' पर एक पाठक ने पत्र भेज कर ' जागरण ' में ' अश्लील ' फोटो छापने पर ऐतराज़ जताया है...
-
Sunny Leone (born Karen Malhotra ; [ 1 ] May 13, 1981 [ 2 ] ) is an Indo-Canadian pornographic actress , businesswoman and model. ...
-
क्या बात है सन्नी क्या बिग बॉस ५ में घुसी तो उनको अपनी फिल्म मर्डर ३ के लिए महेश भट्ट भी बिग बॉस के घर में जाने के बारे में सोचने लगे | ...
-
क्या बीपी गौतम अपनी पत्नी साध्वी चिदर्पिता का प्रयोग प्रसिद्ध होने के लिए कर रहे है | साध्वी चिदर्पिता से शादी करने से पहले कितने लोग पत...
-
नागपुरी गद्य के सौ साल PUSHKAR MAHTO 2008 में नागपुरी गद्य साहित्य लेखन के सौ साल पूरे हुए। सौ साल की इस साहित्यिक यात्रा में नागपुरी गद्य...
-
साध्वी चिदर्पिता रानियो की तरह रहती थी फिर अचानक स्वामी से कैसे बगाबत पर उतर आयी | आखिर कौन से जंगल की बूटी वी पी गौतम ने सुघा दी, जो सा...
No comments:
Post a Comment