मेरा कहानी आईडिया लिखना फिर डिरेक्टर और प्रोडूसर , एक्टर को बैठ कर उसे विस्तार से बताना शौक नहीं है पेशा है . चाहे उस पर काम करे या नहीं करे | अभी भी जब खाली समय होता है तो ये काम करने मै डिरेक्टर और प्रोडूसर के पास पहुच जाता हु |
देव साब को से २००३ में मिला था वह भी फिल्म के आईडिया की सिलसिले में ? मेरे दिमाग में काफी दिनों से एक आईडिया कुलबुला रहा था | वह बोले तुम घर चले आओ |
पहली बार जिन्दा दिल इन्सान से मिल रहा था | देव बोले अभी तो मैंने सफ़र शुरू किया है | मंजिल दूर है | कभी भी न थकने वाले इन्सान दूर चला गया | मन को चोट लगी | दिल में दर्द हुआ |
मैंने जब आईडिया सुनाना शुरू किया तो बीच में रोकते हुए बोले , गर तस्वीर बनानी है तो कागज पर मत बनाओ दिल में तस्वीर बना लो जो कभी ख़राब नहीं होती है | वह अपनी यादे छोड़ जाती है |
बॉलीवुड में रहकर दूसरे कलाकारों प्रेरित करना देव की साब की अपनी पहचान थी | देव ने मेरी आखो में झुकर देखा और कहा , तुम लिखते रहो , अच्छा लिखते हो | तुम कहानीकार बन सकते हो | तुम्हारी आखो में सच्चाई नजर आती है | वह मुलाकात मेरे जीवन की यादगार मुलाकात थी | जिसे मै पूरी उम्र नहीं भुला सकता हु |
सुशील गंगवार पिछले ११ बर्षो से प्रिंट , इलेक्ट्रोनिक , वेब मीडिया के लिए काम कर रहे है | वह साक्षात्कार.कॉम , साक्षात्कार टीवी. कॉम और साक्षात्कार. ओर्ग के संपादक है |
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