जनलोकपाल के लिए अनशन और बाद में हर एक मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया मीडिया में देकर हमेशा मीडिया में छाए रहने वाले अन्ना हजाने ने अब अपने गांव रालेगण सिद्धि में अघोषित कर्फ्यू लगा दिया है. पहले उन्होंने पुलिस से मीडिया को बाहर करने को कहा, लेकिन पुलिस ने उन्हें मौखिक रूप से कहने की बजाय लिखित मांगा तो परेशान अन्ना ने खुद ही अघोषित कर्फ्यू लगा दिया.
अन्ना मीडिया के सामने कमरे से बाहर निकलते हैं, लेकिन किसी ने कैमरा निकाला तो उसकी खैर नही, ऐसी ही धमकी उनके कार्यकर्ता भी देने लगे हैं जिससे मीडिया सकते में है. इसी के चलते मीडिया की दुकानदारी पांच दिनों से बंद है. सिर्फ अन्ना चाहेंगे तो ही बाइट मिलेगी वरना चुपचाप बैठे रहो पेड़ के नीचे. ना तो किसी से कुछ कह सकते हैं और ना ही उल्टी खबर चला सकते हैं. गौरतलब है कि एक दिन में पूरे विश्व से मीडिया के बलबूते ही अन्ना हजारे का परिचय हुआ, लेकिन अपनी वाणी को हद में ना रखने वाले अन्ना सिर्फ मीडिया के कारण ही उनकी छवि खराब हो रही है, वे बदनाम हो रहे हैं, कहकर मीडिया से बचते हुए निकलते हैं. मीडिया ने पीछा करना शुरू किया तो अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल बना दिया.
मीडिया वाले अपने पूरे यूनिट के साथ मौजूद तो रहते हैं लेकिन अन्ना की आज्ञा के बगैर कोई बात नहीं कर सकता है. इस बात से नाराज कुछ मीडियाकर्मियों ने रालेगण में अपने एजेंट रख दिए हैं और उन्हें सिर्फ ध्यान रखने को कहा है. अन्ना अब बात करने से मना करते हैं साथ ही उनके कार्यकर्ता धमकी देते हैं कि अन्ना को देखकर कैमरा निकला तो उसे जब्त कर लिया जाएगा. ऐसी धमकी के चलते मीडिया की दुकानदारी में गिरावट दर्ज हो रही है. मीडिया पर आरोप ठीक है लेकिन स्वयं संभलकर बात ना करते हुए कुछ भी टिप्पणी करने वाले अन्ना अपने शब्दों का ठीकरा भी मीडिया पर फोड़ रहे हैं. उनके हैरतअंगेज कारनामे से पूरा मीडिया सकते में है. क्या करे कोई इंटरव्यू नहीं, कोई खबर नहीं सिर्फ अन्ना के मूड का इंतजार करो. अगर अन्ना को दया आई तो ठीक नहीं तो बैठे रहो. एक बैठा इसलिए सभी बैठे हैं कि कहीं कोई खबर न छूट जाए, चूक हो जाए. इसे अघोषित कर्फ्यू ही कर सकते हैं.
शरद पवार को थप्पड़ पड़ा लेकिन उसकी ज्यादा गूंग अन्ना के कारण से ही सुनाई दी. और अन्ना ने अपनी उम्र का जरा भी विचार ना करते हुए कहा था कि एक ही थप्पड़ पड़ा, बल्कि बाद में इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि मैंने ऐसा कहा नहीं बल्कि पूछा था एक ही पड़ा और कहीं ज्यादा चोट तो नहीं आई. खैर अन्ना हजारे ने अपनी जुबान से पांच से छह राजनैतिक दलों से सीधा बैर ले लिया है. इस स्थिति में लोकसभा में जनलोकपाल पर चर्चा होकर मतदान हुआ तो क्या होगा? लोकपाल के बाद अन्ना अब विदेशी मुद्दों पर भी कूद पड़े हैं. मीडिया में ज्यादा छाए रहने का नतीजा भी अन्ना ने देख लिया है, लालच इंसान को अंधा बना देती है. अब देखते हैं कि मीडिया को मनाने के लिए अन्ना कौन से नई चाल चलते हैं.
मीडिया में छाए रहने के लिए अन्ना के साथियों ने मुंबई के एक पत्रकार, जो कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के काफी करीबी माने जाते हैं, ने रामलीला के आंदोलन को मीडिया में चलाने की बड़ी सुपारी ली, जिसके खिलाफ मुंबई के ही दूसरे पत्रकार राजू पारुलेकर ने नया पासा फेंकते हुए अन्ना से ब्लॉग शुरू करने की अपील की, जो शुरू तो हुआ लेकिन लोगों को पूरी तरह समझ में आने से पहले ही विवादों में छा गया. अब दुबारा रालेगण स्थित मीडिया को शांत रखते हुए फिर से दिल्ली में आन्दोलन की अपील हेतु कवायद तेज हो गई है. एक बात जरूर है, पिछली बार अन्ना को आंदोलन से पहले लोगों से अपील नहीं करनी पड़ी थी लेकिन इस बार पहले से माहौल बनाते हुए लोगों को आंदोलन में साथ देने की टीम अन्ना अपील कर रही है. सीधी बात है यह आंदोलन पिछले के मुकाबले काफी फीका रहेगा. इंसान मगरूर होने पर अपने हाथ में आया सब कुछ गंवा देता है. वैसा ही अन्ना के साथ होता दिख रहा है.
रालेगण सिद्धि से सुनील दत्ता की रिपोर्ट.
Sabhar:- Bhdas4media.com
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