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http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

गूगल ने कहा नहीं हटाएंगे विवादित सामग्री


नई दिल्‍ली : सोशल नेटवर्किंग साइट्स को लेकर सरकार की नजरें टेढ़ीं हैं, लेकिन ये कंपनियां भी घुटने टेकने के लिए तैयार नहीं हैं. इंटरनेट पर आपत्तिजनक सामग्री को लेकर विवाद के बीच इंटरनेट सर्च कंपनी गूगल इंडिया ने कहा है कि वह सिर्फ इसलिए किसी सामग्री को नहीं हटाएगी, क्योंकि वह विवादास्पद है. गूगल ने कहा है कि वह कानून का पालन कर रही है. दरअसल, सरकार फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसी वेबसाइट पर चाबुक चला सकती है. संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने सोमवार को इन कंपनियों के अफसरों को बुलाकर कहा था कि वो अपनी वेबसाइट पर अभद्र जानकारी न आने दें.
भारत में फेसबुक के 2.5 करोड़ और गूगल के 10 करोड़ यूजर हैं. अन्ना के आंदोलन में भी फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों ने अहम भूमिका निभाई थी. कपिल की सफाई के बाद भी विवाद ये खड़ा हो गया है कि सरकार देश की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. मामला सोनिया गांधी औऱ मनमोहन सिंह के बारे में चल रही मुहिम से जुड़ा है, इसलिए बीजेपी सरकार की नीयत पर ही सवाल उठा रही है. हालांकि इंटरनेट की दुनिया से जुड़े लोग मान रहे हैं कि कायदे-कानून बनाने में कोई हर्ज नहीं है.
इंटरनेट सेंसरशिप को लेकर सरकार के यह नियम क्या होंगे या किस तरह के होंगे ये अभी साफ नहीं है, लेकिन सिब्बल की नुक्ताचीनी सोशल नेटवर्किंग की कंपनियों को बहुत रास नहीं आई है. गूगल ने यह साफ कर दिया है कि वो सेंसरशिप की सरकार की मांग के आगे नहीं झुकेगी. गूगल के मुताबिक, 'हम पूरी कोशिश करते हैं कि कानून का पालन करते हुए जानकारी तक लोगों की ज्यादा से ज्यादा पहुंच हो. इसका मतलब है कि जब कोई चीज़ गैरकानूनी होती है तो हम स्थानीय कानूनों का पालन करते हैं और इसे हटा लेते हैं और जब कंटेंट कानूनी हो और हमारी नीतियों के खिलाफ नहीं हो तो हम इसे सिर्फ इसलिए ही नहीं हटा देंगे क्योंकि ये विवादित है. क्योंकि हमारा मानना है कि जब तक लोगों के विचार कानून की सीमा में हैं उनका सम्मान होना चाहिए और उनकी रक्षा होनी चाहिए.'
गूगल के इस दो टूक जवाब से साफ है कि वो विवादित सामग्री को हटाने वाली नहीं है. करीब डेढ़ साल पहले गूगल ने चीन की अड़ियल सरकार की सेंसरशिप के सामने भी झुकने से इनकार कर दिया था. यहीं नहीं गूगल ने चीन में अपना कामकाज समेट लिया था. अब गूगल सिर्फ हांगकांग में ही कामकाज करती है. याहू और माइक्रोसॉफ्ट का पक्ष अब तक पता नहीं चल पाया है. हालांकि फेसबुक कुछ नरम जरूर है. फेसबुक के मुताबिक, 'हम इंटरनेट पर उपलब्ध अभद्र जानकारी को कम करने में सरकार की दिलचस्पी समझते है और इस महत्वपूर्ण मसले पर भारतीय अधिकारियों से बातचीत जारी रखेंगे.' सवाल यह है कि सरकार इस मामले को कितना आगे लेकर जाएगी. अगर सोशल नेटवर्किंग कंपनी उसकी मन मुताबिक काम नहीं करती तो वो क्या करेगी. साभार : स्‍टार

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