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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

महिला अपराध पर देश का पहला कविता संग्रह


थी. हूं.. रहूंगी... किताब की भूमिका से

यह पहला मौका है जब कविता की कोई किताब पूरी तरह से महिला अपराध के नाम है।

सालों की अपराध की रिपोर्टिंग का ही यह असर है कि अपराध पर कुछ कविताएं लिखी गईं।

मेरे लिए औरत टीले पर तिनके जोड़ती और मार्मिक संगीत रचती एक गुलाबी सृष्टि है और सबसे बड़ी त्रासदी भी। वह चूल्हे पर चांद सी रोटी सेके या घुमावदार सत्ता संभाले – सबकी आंतरिक यात्राएं एक सी हैं।


इस ग्रह के हर हिस्से में औरत किसी न किसी अपराध की शिकार होती ही है। ज्यादा बड़ा अपराध घर के भीतर का जो अमूमन खबर की आंख से अछूता रहता है। यह कविताएं उसी देहरी के अंदर की कहानी सुनाती हैं। यहां मीडिया, पुलिस, कानून और समाज मूक है। वो उसके मारे जाने का इंतजार करता है और उसके बाद भी कभी-कभार ही क्रियाशील होता है।

हां, मेरी कविता की औरत थक चुकी है पर विश्वास का एक दीया अब भी टिमटिमा रहा है।

दुख के विराट मरूस्थल बनाकर देते पुरूष को स्त्री का इससे बड़ा जवाब क्या होगा कि मारे जाने की तमाम कोशिशों के बावजूद वह मुस्कुरा कर कह दे - थी. हूं.. रहूंगी...।

अपराधी समाज और अपराधों को बढ़ाते परिवारों को यही एक औरत का जवाब हो सकता है..होना चाहिए भी।

जब तक अपराध रहेंगें, तब तक औरत भी थी, है और रहेगी .
किताब का नाम – थी. हूं..रहूंगी...
कवयित्री – वर्तिका नन्दा
प्रकाशक – राजकमल
मूल्य – 250 रूपए
विश्व पुस्तक मेले में उपलब्ध - हॉल नंबर 11
Sabhar- Mediakhabar.com

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