नई दिल्ली. तेजी से प्रगति और विकास के बाद भी महिलाओं की स्थिति में भारत में खास सुधार नहीं हो रहा है। लिंग अनुपात के मामले में भारत अपने पड़ोसी देशों व दुनिया के कई बड़े देशों से काफी पीछे है। भारत में हर साल 6 लाख बेटियां पैदा नहीं हो पातीं। देश में 6 साल से कम उम्र के लोगों में लिंग अनुपात महज 914 का है।
अल्टरनेटिव इकोनॉमिक सर्वे के लिए जुटाए गए आंकड़ों में मुताबिक, हर साल ऐसी 6 लाख बच्चियां जन्म नहीं ले पातीं जिन्हें देश के औसत लिंग अनुपात के हिसाब से दुनिया में आना था। 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में प्रति 1000 पुरुषों पर 940 महिलाएं हैं।
यह आंकड़ा भी उत्साहवर्धक नहीं है। यूं तो यह सेक्स अनुपात पिछले 20 साल में सबसे बेहतर है लेकिन हमारे पड़ोसी, विकसित या तेजी से विकास कर रहे देशों के मुकाबले बेहद कम है। पड़ोसी देशों की बात करें तो नेपाल में प्रति 1000 पुरुषों पर 1041 महिलाएं हैं।
इंडोनेशिया में 1000 पुरुषों पर 1004 महिलाएं व चीन में यह अनुपात 944 का है। पाकिस्तान भी लिंग अनुपात में 938 के आंकड़े के साथ भारत की बराबर पर पहुंच रहा है। वल्र्डफैक्ट बुक के आंकड़ों के मुताबिक, अधिकांश विकसित देशों में तो महिलाओं की तादाद पुरुषों से अधिक दर्ज की गई है।
वर्ल्ड फैक्ट बुक द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं विश्व में औसतन 1000 पुरुषों पर 990 महिलाएं हैं। ब्राजील, अमेरिका, रूस, जापान, नाईजीरिया, फ्रांस, वियतनाम व इजरायल में भी लिंग अनुपात अधिक है।
अमीरों में होती है ज्यादा भ्रूण हत्या
विशेषज्ञों का मानना है कि कन्या भ्रूण हत्या का प्रचलन अमीरों में ज्यादा है। इसकी एक वजह लिंग की पहचान व उसको नष्ट करने की महंगी प्रक्रिया भी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि संभ्रांत परिवार के लोग ही इसका खर्च उठा पाते हैं। ऐसे में संभ्रांत वर्ग में बेटे की चाहत में कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं ज्यादा हैं और इस वर्ग में बाल लिंग अनुपात कम है।
ईसाइयों में सर्वाधिक सिख सबसे पीछे
भारत के मुख्य धार्मिक समुदायों को आधार मान कर गणना करने से मालूम हुआ है कि ईसाई संप्रदाय में लिंग अनुपात सबसे अधिक है। दूसरे नंबर पर मुस्लिम व तीसरे पर हिंदू हैं। बच्चों में लिंग अनुपात (0-6 वर्ष के बच्चों के लिए) के आधार पर ईसाई संप्रदाय में लिंग अनुपात 964 है।
लिंग अनुपात के मामले में मुस्लिम दूसरे नंबर पर हैं और यहां स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। पिछली जनगणना के मुताबिक मुस्लिम समुदाय में प्रत्येक 1000 पुरुषों पर 950 महिलाएं हैं। वहीं सिख समुदाय में लिंग अनुपात सबसे कम 786 बताया गया है।
जैन संप्रदाय में यह अनुपात 870 है। देश की 80.5 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है और यहां लिंग अनुपात 925 है। साफ है कि देश की बहुसंख्य आबादी में लिंग अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है
Source - Bhaskar.com
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