एस निहाल सिंह, ‘द स्टेट्समैन’ के पूर्व संपादक
‘नेटवर्क18’और ‘ईटीवी’ समूह के बीच हुए समझौते पर मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि भारत के लिए यह सही समय है कि मीडिया में एकाधिकार के विरूद्ध एक कड़ा कानून लाया जाए। सभी प्रजातांत्रिक देशों, यहां तक कि सबसे अधिक विकसित देशों में भी इस तरह के कानून/प्रथा/आदर्श हैं।
भारत का प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया इसके नए अध्यक्ष, न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू की वजह से पूरी तरह से बेकार हो गया है, क्योंकि वे मीडिया के साथ बात करने या विचारों का आदान-प्रदान करने में विश्वास नहीं रखते।
Sabhar- samachar4media.com
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