राजस्थान में कई चिटफंड कंपनियों के ऑफिसों पर छापामारी एवं गोल्ड सुख के निदेशकों की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस की नजरें दूसरी गोल्ड वाली चिटफंड कंपनियों पर है। पुलिस अब इन कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। पुलिस के सबसे ज्यादा निशाने पर है जीएन गोल्ड चिटफंड कंपनी। इस कंपनी के खिलाफ कुछ महीने पूर्व राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में मामला भी दर्ज कराया गया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने जीएन गोल्ड के कई ऑफिसों पर छापेमारी भी की है। हालांकि यह खबर इन लोगों ने लीक नहीं होने दी। मामले को किसी तरह सलटा दिया है, पर बताया जा रहा है कि जल्द जीएन गोल्ड और इस जैसी दूसरी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होने वाली है।
पब्लिक को झांसा देकर मूर्ख बनाने वाली कई कंपनियों पर राजस्थान पुलिस की नजर है। पीएसीएल एवं अन्य कई कंपनियों की तरह जीएन गोल्ड का रजिस्ट्रेशन भी जयपुर से है। जीएन ग्रुप चिटफंड के अलावा भी कई कामों में हस्तक्षेप रखता है। ये ग्रुप जीएनएन न्यूज एवं जीएनएन भक्ति चैनल के संचालन के अलावा पैरा बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, डेयरी, शिक्षा के कामों में भी लगा हुआ है। जयपुर में गोल्ड सुख कंपनी के फरार होने से लेकर उनके निदेशकों की गिरफ्तारी के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि ग्राहक को मूर्ख बनाने वाली कई कंपनियों पर पुलिस का शिकंजा कसने वाला है। सबसे अधिक निशाने पर जीएन गोल्ड ही बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में पुलिस ने आरसीएम, मेरी गोल्ड प्लस ट्रेड विजन कंपनी, प्रिया परिवार जैसी कंपनियों पर छापेमारी की थी तथा कई लोगों को गिरफ्तार किया था। इन छापों के बाद से ही पुलिस की नजर जयपुर में ही रजिस्टर्ड कंपनी जीएन गोल्ड पर है। जीएन ग्रुप ने जिस तरह से जीएन गोल्ड की वेबसाइट एवं पता अपनी अन्य कंपनियों से अलग रखा है, उससे भी पुलिस को इस कंपनी पर संदेह है। पुलिस जल्द ही इस कंपनी के खिलाफ भी जांच की कार्रवाई कर सकती है। जीएनएन न्यूज एवं भक्ति नाम से दो चैनल वाली जीएन ग्रुप इस छापेमारी की खबर के बाद से दहशत में है। यह कंपनी जीए लैंड डेवलपर्स, जीएन फाइनेंस, जीएन डेयरीज, जीएन हेल्थकेयर, जीएन कानवेंट एवं जीएन इंफोमीडिया जैसी कंपनियों का संचालन करती है। इस कंपनी पर पुलिस की नजर इसलिए भी है कि इसी कंपनी की सहयोगी कंपनी जीएन गोल्ड की सूचना इस मुख्य वेबसाइट पर नहीं दी गई है, इसी के चलते पुलिस इसे संदिग्ध मान रही है।
उल्लेखनीय है कि जीएन ग्रुप की दो प्रमुख वेबसाइटें हैं – www.gngroup.in तथा www.gnnnews.tv. इन दोनों में इनके अलग-अलग व्यवसायों की जानकारी दी गई है, पर दिलचस्प तथ्य यह है कि किसी भी वेबसाइट में मालिकों या निदेशकों का कोई ब्यौरा नहीं है। सिर्फ डेयरी के बारे में लिखते वक्त एक बार एसएस रंधावा का जिक्र हुआ है। इसी ग्रुप की एक और कंपनी जीएन गोल्ड (www.gngold.net) भी है, जिसका मालिक तो जीएन ग्रुप ही है, पर मुख्य वेबसाइट पर इस कंपनी का कोई पता नहीं दिया गया है। यह कंपनी भी जनकपुरी में जीएन ग्रुप की बिल्डिंग में ही है, बावजूद इसके मुख्य वेबसाइट से इसको अलग रखना इसे और संदिग्ध बनाता है। जीएन गोल्ड कंपनी वैसे तो सोने की खरीद-बिक्री का दावा करती है, पर इसका धंधा भी दूसरी चिटफंड कंपनियों की तरह ही है। कंपनी ने जीएन गोल्ड की वेबसाइट पर अपनी सफाई भी प्रस्तुत की है, जो मामले को संदिग्ध बनाता है।
जीएन गोल्ड के खिलाफ भी राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में कुछ समय पहले मामला दर्ज हुआ था। ये मामला सोने के गहनों के नाम पर रुपए जमा करने पर दर्ज किया गया था। पुलिस नेजीएन गोल्ड लिमिटेड के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया था। कंपनी के चित्तौडग़ढ़ कस्टमर सर्विस इंचार्ज को भी गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने जीएन गोल्ड लिमिटेड के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420 व इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबंदी) अधिनियम 1978 की धारा 3,4,5 व 6 के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने इस लिमिटेड कंपनी की चित्तौडग़ढ़ ब्रांच के कस्टमर सर्विस इंचार्ज मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में इटारसी निवासी स्वतंत्र उबनारे को भी गिरफ्तार किया था। माना जा रहा है कि गोल्ड सुख के बाद अब जीएन गोल्ड की बारी है।
Sabhar- Media darbar.com
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