किस्सा हिमाचल प्रदेश के एक पत्रकार का है. जिसकी सबको खबर हो गई दरअसल एक नामी अखबार के एक पत्रकार ने उना के रेस्ट हाउस में कांगड़ा से ताल्लुक रखने वाली युवती को ठहराया. लेकिन कुछ स्थानीय पत्रकारों को खबर लग गई.
मामला पेचीदा हो गया. जांच हुई तो पता चला कि रेस्ट हाउस में उस कमरे की बुकिंग एक दूसरे पत्रकार के नाम पर थी. लिहाजा मामला बिगड़ गया. मौके पर तमाम लोग जमा हुये तो युवती से भी लगे हाथ पूछताछ शुरू हो गई. युवती ने बताया कि पत्रकार ने उसे नौकरी दिलाने के लिये ही रात को यहां बुलाया था. हालांकि युवती ने इस से आगे कुछ भी बोलने से मना कर दिया. लेकिन समझा जा सकता है कि अकेले रात में बंद कमरे में हम तुम हों तो क्या गुल खिल सकते हैं?
याद रहे कि पत्रकार अपने आपको हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले एक केन्द्रीय मंत्री का करीबी बताता है. चर्चा तो यह भी है कि विवादों में घिरे इस सज्जन ने युवती को हिमाचल की सत्तारूढ भाजपा सरकार के राजनेता से मिलाने के लिये ही बुलाया था. लेकिन इससे पहले कि कुछ होता, भांडा फूट गया. मामला जगजाहिर नहीं होता अगर कमरा दूसरे पत्रकार के नाम पर बुक नहीं होता. अब स्थानीय पत्रकार अपने इस साथी को कतई बख्शने के मूड में नहीं है. उन्होंने बाकायदा अखबार के संपादक से खतो खिताबत कर मामले पर गौर फरमाने की ताकीद की है ताकि गंदी मछलियां बाहर हो सकें. सुर्खियों में आये इस रंगीन मिजाज अखबार नवीस के किस्से वादियों में खूब चटकारे लेकर सुने जा रहे हैं.
(एक पत्रकार की रिपोर्ट पर आधारित)
मामला पेचीदा हो गया. जांच हुई तो पता चला कि रेस्ट हाउस में उस कमरे की बुकिंग एक दूसरे पत्रकार के नाम पर थी. लिहाजा मामला बिगड़ गया. मौके पर तमाम लोग जमा हुये तो युवती से भी लगे हाथ पूछताछ शुरू हो गई. युवती ने बताया कि पत्रकार ने उसे नौकरी दिलाने के लिये ही रात को यहां बुलाया था. हालांकि युवती ने इस से आगे कुछ भी बोलने से मना कर दिया. लेकिन समझा जा सकता है कि अकेले रात में बंद कमरे में हम तुम हों तो क्या गुल खिल सकते हैं?
याद रहे कि पत्रकार अपने आपको हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले एक केन्द्रीय मंत्री का करीबी बताता है. चर्चा तो यह भी है कि विवादों में घिरे इस सज्जन ने युवती को हिमाचल की सत्तारूढ भाजपा सरकार के राजनेता से मिलाने के लिये ही बुलाया था. लेकिन इससे पहले कि कुछ होता, भांडा फूट गया. मामला जगजाहिर नहीं होता अगर कमरा दूसरे पत्रकार के नाम पर बुक नहीं होता. अब स्थानीय पत्रकार अपने इस साथी को कतई बख्शने के मूड में नहीं है. उन्होंने बाकायदा अखबार के संपादक से खतो खिताबत कर मामले पर गौर फरमाने की ताकीद की है ताकि गंदी मछलियां बाहर हो सकें. सुर्खियों में आये इस रंगीन मिजाज अखबार नवीस के किस्से वादियों में खूब चटकारे लेकर सुने जा रहे हैं.
(एक पत्रकार की रिपोर्ट पर आधारित)
Sabhar- journalistcommunity.com
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