आज चुने जाएंगे विधायक दल के नेता, 12 मार्च को 30वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण : लखनऊ। अब यह लगभग तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की ऐतिहासिक जीत के नायक, युवाओं के प्रिय नेता और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव सूबे के नए मुख्यमंत्री होंगे। आज शनिवार को हो रही विधायक दल की बैठक में उन्हें प्रदेश सपा विधायक दल का नेता चुना जाएगा और 12 मार्च को वे 30वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। साइकिल, लाल टोपी और समाजवाद के आधुनिक स्वरूप को अपनी कड़ी मेहनत, दो टूक बात करने की शैली, त्वरित निर्णय की क्षमता और विरोधियों के वार को ध्वस्त करने की नई और सक्षम शैली के जरिए बहुसंख्य जनता के दिलों में उतारने का श्रेय युवा नेता अखिलेश को ही जाता है। अखिलेश यादव अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे।
इस बार के विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह थे। इस चुनौती को पूरी गंभीरता से लिया समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने। पर इसे तेवर और गति दी युवा राजनेता अखिलेश यादव ने। जब अन्य राजनीतिक दलों के तमाम अनुभवी व दिग्गज नेता अपनी-अपनी पार्टियों को सत्ता के शिखर तक ले जाने के लिए जी-जान से जुटे हुए थे, तब अखिलेश यादव ने अपनी आक्रामक और धारदार वक्तृता से न केवल मायावती के भ्रष्टाचार व लूटपाट की पोल खोली बल्कि कांग्रेस व भाजपा के दिग्गजों के अंतरविरोधों और चालों की बखिया उधेड़कर सपा के पक्ष में चल रही हवा को एक सुनामी में बदलने का अप्रत्याशित काम कर दिखाया।
स्वयं मुलायम सिंह यादव ने भी इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय अखिलेश यादव को देने में तनिक संकोच नहीं किया। पिछले दो दिनों से यह सवाल तमाम लोगों के जेहन में कौंध रहा था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। पिता या पुत्र? संसदीय दल द्वारा नेता चुने जाने के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने राज्यपाल से मुलाकात में सरकार बनाने का दावा न करके लोगों को इस सवाल पर माथापच्ची का मौका दे दिया था। पर पार्टी के भीतर जमीनी कार्यकर्ताओं से लेकर संगठन में शीर्ष स्तर तक, लगभग सभी लोग चाहते थे कि पार्टी को एक नए शिखर तक ले जाने का श्रेय अखिलेश यादव को है, इसलिए प्रदेश सरकार के नेतृत्व का मौका भी उन्हें ही दिया जाना चाहिए।
संघर्ष और राजनीति मिली विरासत में : मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव का जन्म सैफई (इटावा) में एक मई 1973 को हुआ। उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी (कर्नाटक) से बीई और एमई की तकनीकी शिक्षा ग्रहण की। पहली बार वे तेरहवीं लोकसभा के लिए 2000 में हुए उप चुनाव में चुने गए। वे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण पर संसदीय समिति के सदस्य रहे। 2000 से 2004 तक वे विज्ञान, पर्यावरण आदि से सम्बंधित समितियों के सदस्य रहे। 2004 में वे फिर से 14 वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। इस बार भी उन्होंने संसद की विभिन्न समितियों में सदस्य के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन किया। 2009 में वे तीसरी बार 15 वीं लोकसभा के लिए सांसद चुने गए। उनका चुनाव क्षेत्र कन्नौज रहा।
समाजवादी राजनीति में अपनी सशक्त पहचान रखने वाले नेता, तीन बार मुख्यमंत्री के रूप में प्रतिष्ठित, केन्द्र सरकार में रक्षा मंत्रालय समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले योग्य पिता मुलायम सिंह यादव से अखिलेश यादव को राजनीति विरासत में मिली। छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र सहित अनेक समाजवादी चिंतकों से जनता के हितों की राजनीति सीखने का अवसर पाकर वे खुद को निखारते गए। उनका विवाह 24 नवंबर 1999 को डिंपल यादव के साथ हुआ। संघर्ष की लपटों में खरे उतरने के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला किया। आशा है कि वे अपने कथन को अपने कर्म में उतारते हुए प्रदेश की जनता की उम्मीदों पर भी खरे उतरेंगे।
यह लेख लखनऊ-इलाहाबाद से प्रकाशित डेली न्यूज एक्टिविस्ट में छप चुका है. वहीं से साभार लिया गया है
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