शुक्रवार, 2 मार्च, 2012 को 00:51 IST तक के समाचार
क्या इस ब्रह्माणड में मनुष्यों के अलावा एलियन या दूसरे प्राणी भी रहते हैं इस बात को लेकर कई वर्षों से विवाद बना हुआ है.
कुछ लोगों का मानना है कि एलियन होते हैं तो कुछ लोग इसे कोरी कल्पना क़रार देतें हैं.
यहां तक की वैज्ञानिकों की राय भी इस मामले में बटी हुई है.
लेकिन अब एलियन की खोज के लिए एक और पहल की गई है.
एलियन की खोज में आम आदमी को शामिल करने के लिए एक वेबसाइट को लॉंच की गई है.
अमरीकी शहर लॉस एंजेल्स में टेड( टेक्नोलोजी, इंटरटेनमेंट और डिज़ाइन) कॉंफ़्रेंस के दौरान ये वेबसाइट लॉंच की गई है जिसका नाम है 'सेटीलाइव डॉट ओआरजी'.
ये वेबसाइट सेटी(सर्च फॉर एक्सट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) एलेन टेलिस्कोप के ज़रिए संचारित रेडियो तरंगों को सीधे प्रसारित करेगा.
इसमें भाग लेने वालों को कहा जाएगा कि अगर उन्हें कोई भी असामान्य गतिविधि दिखे तो वे फ़ौरन इसकी जानकारी दें.
ऐसा माना जाता है कि इंसानों का दिमाग़ उन चिज़ो को भी देख सकता है जो कि शायद कोई स्वचालित मशीन नहीं देख सकता.
इस वेबासाइट को लॉंच किए जाने का मुख्य उद्देश्य ये है कि धरती पर रहने वाले आम आदमी भी अगर चाहे तो ब्रह्माणड में अपने किसी एलियन साथी को खोज में शामिल हो सकता है.
जिलियन टार्टर
इस परियोजना की निदेशक हैं डॉक्टर जिलियन टार्टर जिन्हें 2009 में टेड एवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
डॉक्टर टार्टर ने अपना पूरा करियर एलियन की खोज में लगा दिया है.
उनका मानना है कि इस वेबसाइट के लॉच होने से एलियन की खोज में जुटे वैज्ञानिकों और दूसरे विशेषज्ञों को एक साथ आने का मौक़ा मिलेगा.
डॉक्टर टार्टर के अनुसार ढेर सारे कार्यकर्ता होने के कारण उन तरंगों का विश्लेषण करना आसान हो जाएगा जिन पर अब तक ध्यान नहीं जा पाता था.
पिछले कुछ वर्षो में सेटी इंस्टीच्यूट को चलाना एक बड़ी समस्या बन गई थी और ये लोगों के चंदों पर निर्भर रहता है.
हालाकि इस परियोजना को आर्थिक मदद देने वालों में पूर्व अंतरिक्ष यात्री बिल एंडर्स, साइ-फ़ाई के लेखक लैरी निवेन और हॉलीवुड की हीरोइन जोडी फॉस्टर जैसे कुछ बड़े नाम भी शामिल है.
इससे पहले भी कई दूसरे वैज्ञानिक परियोजनाओं में आम लोगों के शामिल होने से काफ़ी लाभ हुए हैं.
मिसाल के तौर पर 'ज़ूनीवर्स' परियोजना इंटरनेट का सबसे बड़ा और सफल वैज्ञानिक परियोजना है जिसमें आम लोग शामलि हैं.
ज़ूनीवर्स भी इस नई पहल का समर्थन कर रहा है शुक्रवार, 2 मार्च, 2012 को 00:51 IST तक के समाचार
क्या इस ब्रह्माणड में मनुष्यों के अलावा एलियन या दूसरे प्राणी भी रहते हैं इस बात को लेकर कई वर्षों से विवाद बना हुआ है.
कुछ लोगों का मानना है कि एलियन होते हैं तो कुछ लोग इसे कोरी कल्पना क़रार देतें हैं.
यहां तक की वैज्ञानिकों की राय भी इस मामले में बटी हुई है.
लेकिन अब एलियन की खोज के लिए एक और पहल की गई है.
एलियन की खोज में आम आदमी को शामिल करने के लिए एक वेबसाइट को लॉंच की गई है.
अमरीकी शहर लॉस एंजेल्स में टेड( टेक्नोलोजी, इंटरटेनमेंट और डिज़ाइन) कॉंफ़्रेंस के दौरान ये वेबसाइट लॉंच की गई है जिसका नाम है 'सेटीलाइव डॉट ओआरजी'.
ये वेबसाइट सेटी(सर्च फॉर एक्सट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) एलेन टेलिस्कोप के ज़रिए संचारित रेडियो तरंगों को सीधे प्रसारित करेगा.
इसमें भाग लेने वालों को कहा जाएगा कि अगर उन्हें कोई भी असामान्य गतिविधि दिखे तो वे फ़ौरन इसकी जानकारी दें.
ऐसा माना जाता है कि इंसानों का दिमाग़ उन चिज़ो को भी देख सकता है जो कि शायद कोई स्वचालित मशीन नहीं देख सकता.
इस वेबासाइट को लॉंच किए जाने का मुख्य उद्देश्य ये है कि धरती पर रहने वाले आम आदमी भी अगर चाहे तो ब्रह्माणड में अपने किसी एलियन साथी को खोज में शामिल हो सकता है.
जिलियन टार्टर
इस परियोजना की निदेशक हैं डॉक्टर जिलियन टार्टर जिन्हें 2009 में टेड एवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
डॉक्टर टार्टर ने अपना पूरा करियर एलियन की खोज में लगा दिया है.
उनका मानना है कि इस वेबसाइट के लॉच होने से एलियन की खोज में जुटे वैज्ञानिकों और दूसरे विशेषज्ञों को एक साथ आने का मौक़ा मिलेगा.
डॉक्टर टार्टर के अनुसार ढेर सारे कार्यकर्ता होने के कारण उन तरंगों का विश्लेषण करना आसान हो जाएगा जिन पर अब तक ध्यान नहीं जा पाता था.
पिछले कुछ वर्षो में सेटी इंस्टीच्यूट को चलाना एक बड़ी समस्या बन गई थी और ये लोगों के चंदों पर निर्भर रहता है.
हालाकि इस परियोजना को आर्थिक मदद देने वालों में पूर्व अंतरिक्ष यात्री बिल एंडर्स, साइ-फ़ाई के लेखक लैरी निवेन और हॉलीवुड की हीरोइन जोडी फॉस्टर जैसे कुछ बड़े नाम भी शामिल है.
इससे पहले भी कई दूसरे वैज्ञानिक परियोजनाओं में आम लोगों के शामिल होने से काफ़ी लाभ हुए हैं.
मिसाल के तौर पर 'ज़ूनीवर्स' परियोजना इंटरनेट का सबसे बड़ा और सफल वैज्ञानिक परियोजना है जिसमें आम लोग शामलि हैं.
ज़ूनीवर्स भी इस नई पहल का समर्थन कर रहा है
Sabhar- bbc.co.uk
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