इंदौर : दैनिक भास्कर प्रबंधकों पर शीघ्र ही आपराधिक प्रकरण दर्ज हो सकता है. जिन दो कर्मचारियों को कभी बिना वजह हटा दिया गया था, उनकी लड़ाई रंग ला रही है.
मामला कुछ इस प्रकार है. दो कर्मचारियों प्रमोद दाभाड़े और सुभाष चौहान को दैनिक भास्कर के तत्कालीन महाप्रबंधक अनिल धुपड़ ने 1996 में इसलिए हटा दिया था कि वे भविष्य निधि आयुक्त के यहां स्वयं को पीएफ न दिए जाने और पीएफ के दायरे में लाए जाने की शिकायत-गुजारिश करने गये थे. भास्कर से हटाए जाने के बाद दोनों मीडियाकर्मी लेबर कोर्ट पहुंच गए. इस मामले में उनकी पैरवी एडवोकेट बीके प्रधान ने की.
2005 में दोनों कर्मचारियों को श्रम न्यायालय ने बाकायदा नौकरी पर रखने और 1996 से 2005 तक का आधा वेतन देने का निर्णय सुनाया. इस निर्णय के बावजूद आज तक भास्कर भास्कर समूह ने इन दोनों को नौकरी पर नहीं रखा. बार-बार वकील के मार्फत नोटिस पहुंचाने के बाद भी जब भास्कर नहीं जगा तो वकील बीके प्रधान ने श्रमायुक्त से दैनिक भास्कर के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिये अभियोजन की कार्रवाई करने की स्वीकृति मांगी.
सन 1996 में उक्त स्वीकृति का आवेदन किया था, लेकिन अब जाकर श्रमायुक्त कार्यालय ने 30 जुलाई को सुनवाई की तारीख दी है। 30 जुलाई को अभियोजन की कार्रवाई का नोटिस भास्कर प्रबंधकों के खिलाफ निकल जाता है, तो भास्कर प्रबंधकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा. संभव है कोर्ट की अवमानना के कारण प्रबंधकों गिरफ्तारी भी हो.
मामला कुछ इस प्रकार है. दो कर्मचारियों प्रमोद दाभाड़े और सुभाष चौहान को दैनिक भास्कर के तत्कालीन महाप्रबंधक अनिल धुपड़ ने 1996 में इसलिए हटा दिया था कि वे भविष्य निधि आयुक्त के यहां स्वयं को पीएफ न दिए जाने और पीएफ के दायरे में लाए जाने की शिकायत-गुजारिश करने गये थे. भास्कर से हटाए जाने के बाद दोनों मीडियाकर्मी लेबर कोर्ट पहुंच गए. इस मामले में उनकी पैरवी एडवोकेट बीके प्रधान ने की.
2005 में दोनों कर्मचारियों को श्रम न्यायालय ने बाकायदा नौकरी पर रखने और 1996 से 2005 तक का आधा वेतन देने का निर्णय सुनाया. इस निर्णय के बावजूद आज तक भास्कर भास्कर समूह ने इन दोनों को नौकरी पर नहीं रखा. बार-बार वकील के मार्फत नोटिस पहुंचाने के बाद भी जब भास्कर नहीं जगा तो वकील बीके प्रधान ने श्रमायुक्त से दैनिक भास्कर के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिये अभियोजन की कार्रवाई करने की स्वीकृति मांगी.
सन 1996 में उक्त स्वीकृति का आवेदन किया था, लेकिन अब जाकर श्रमायुक्त कार्यालय ने 30 जुलाई को सुनवाई की तारीख दी है। 30 जुलाई को अभियोजन की कार्रवाई का नोटिस भास्कर प्रबंधकों के खिलाफ निकल जाता है, तो भास्कर प्रबंधकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा. संभव है कोर्ट की अवमानना के कारण प्रबंधकों गिरफ्तारी भी हो.
साभार - भड़ास ४ मीडिया .कॉम
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