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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

चैनल के खिलाफ खबर चलाई तो मिलने लगी जान से मारने की धमकी


भारत में वेब के मीडिया बनने की अभी ठीक से शुरूआत भी नहीं हुई है. लेकिन वेब मीडिया के स्वतंत्र अस्तित्व को बाधित करने के लिए न केवल सरकार सक्रिय है बल्कि अपने आप को व्यवस्था का चौथा खंभा कहनेवाले मीडिया घराने भी इसकी औकात बताने पर उतारू हैं. आये दिन वेब मीडिया से जुड़े लोगों को धमकियां, नोटिस तो मिलती ही रहती हैं, अब जान से मारने की धमकी भी मिलने लगी है.
ताजा मामला पुष्कर पुष्प और उनकी वेबसाइट मीडियाखबर.कॉम से जुड़ा हुआ है. उन्होंने दिल्ली के एक झोलाछाप समाचार चैनल आजाद न्यूज के खिलाफ स्टोरी की सीरिज चलाई जिसमें चैनल के अंदर व्याप्त अनियमितताओं के बारे में लिखा. इसका परिणाम यह हुआ कि पुष्कर पुष्प को जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं जिससे घबराकर उन्होंने दिल्ली के पाण्डव नगर थाने में अपनी जान की सुरक्षा की गुहार लगाई है. इस वक्त वेबसाइट भी बंद है, हालांकि वेबसाइट ओनर का कहना है कि ऐसा उन्होंने नयी साइट लांच करने के लिए किया है.
आज़ाद न्यूज़ या इसके किसी भी व्यक्ति के खिलाफ ख़बर करोगे तो जान से जाओगे. यह धमकी पिछले कुछ दिनों से लगातार मीडिया ख़बर.कॉम के संपादक को मिल रही है. धमकी फ़ोन से दी जा रही है. यह फ़ोन बार - बार आ रहा है. फ़ोन का नंबर है - (+911203140856 / +911204262205). फ़ोन के जरिये धमकाया जा रहा है कि कमलकांत गौरी (इनपुट हेड), रवींद्र शाह (आउटपुट हेड), नवीन सिन्हा (पॉलिटिकल एडिटर) या हिंदी समाचार चैनल आज़ाद न्यूज़ के खिलाफ कुछ भी लिखा तो अच्छा नहीं होगा. अंजाम बुरा होगा. कुछ भी हो सकता है. कुछ भी...
मीडियाखबर.कॉम के संपादक की खता इतनी है कि कुछ वक़्त पहले मीडिया खबर पर मिशन आज़ाद नाम से कुछ स्टोरीज प्रकाशित की गयी थी. उसमें चैनलों के अंदर चल रहे फर्जीवाड़े और उसमें संलिप्त ऊँचे पद पर बैठे कई कथित पत्रकारों का पर्दाफाश किया गया था. चैनलों के अंदर की अव्यवस्था, पत्रकारों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार और श्रम कानूनों के उल्लंघन को बेनकाब किया गया था. हालाँकि किसी खास व्यक्ति का नाम नहीं दिया गया था. इससे कुछ लोग खफ़ा थे. लिहाजा, इन लोगों ने साम, दाम, दंड, भेद हर तरीके से ख़बरें रूकवाने की कोशिश की. लेकिन जब खबर रूकवा नहीं पाए तो ओछेपन पर उतर आये. पहले अलग - अलग माध्यमों से धमकाया गया. फिर झूठे केस में फंसाने की धमकी दी गयी. चैनल का रूतबा दिखाकर पुलिस से पिटवाना चाहा. लेकिन जब कुछ नहीं कर पाए तो लगे फ़ोन से धमकी देने.
इसके पहले आज़ाद न्यूज़ के इनपुट हेड कमलकांत गौरी, आउटपुट हेड रवींद्र शाह और पॉलिटिकल एडिटर नवीन सिन्हा ने मीडिया खबर.कॉम को मेल के जरिये नोटिस भेजा था जिसका जवाब मीडिया खबर के लीगल सेल की तरफ से दे दिया गया. लेकिन इस बीच, मीडिया खबर के संपादक पुष्कर पुष्प को डराने और धमकाने की कोशिशें लगातार जारी रहीं. घर पर गुंडे भेजे गए. नोटिस मिला है की नहीं. यह पूछने के लिए कई लोगों को मीडिया खबर के संपादक के घर भेजा गया. यह लोग सफ़ेद रंग की कार से आये. कार में कई लोग थे. इनका मकसद नोटिस के बारे में पूछना नहीं बल्कि टोह (रेकी) लेना था. यदि नोटिस के बारे में ही पूछना था तो फोन करके या मेल के जरिए पूछा जा सकता था। मुंहज़बानी पूछने का क्या मतलब? यदि पूछने ही आये तो कार भर के आदमियों के साथ क्यों आये? उसके बाद भी कई संदिग्ध लोगों का आना - जाना जारी रहा. इसके बाद मीडिया खबर.कॉम के संपादक ने पांडव नगर थाने में शिकायत दर्ज करवा दी.
उसके बाद से फोन आने का सिलसिला शुरू हुआ. फोन करके मीडिया खबर के संपादक को कहा गया कि तुम्हारा घर देख लिया है. अब बाहर निकलो तो बताते हैं. बहुत रिपोर्ट लिखते हो. वेबसाईट बंद करवा देंगे. अभी तो नोटिस ही भेजा है. अब घर में घुस कर मारेंगे. तब अपनी रिपोर्ट बनाकर साईट पर लगाना. फिर भद्दी गालियों की बौछार की गयी. इससे भी मन नहीं भरा तो उठवा लेने की धमकी दी गई. यानी, डराने-धमकाने की हरसंभव कोशिश की गयी. गौरतलब है कि इन लोगों का मारपीट का इतिहास रहा है. कुछ वक़्त पहले आज़ाद न्यूज़ के दफ्तर में अलीगढ़ के स्ट्रिंगर चंद्रशेखर मिश्रा को बुलाकर बेदर्दी से उनकी पिटाई की गयी थी. चंद्रशेखर अपने हक के पैसे वापस पाना चाहते थे. लेकिन, पैसे तो वापस नहीं मिले. बदले में मिला लात, जूता और घूँसा. बाद में उन्होंने थाने में एफआईआर दर्ज करवायी. उस स्ट्रिंगर ने बयान दिया था कि आजाद में ऊँचे पद पर बैठे कई पत्रकारों ने उसके साथ खुद मारपीट की. चैनल के आउटपुट हेड रवींद्र शाह का भी स्ट्रिंगर ने नाम लिया था.
मीडिया खबर।कॉम के संपादक पुष्कर पुष्प का कहना है कि ऐसी किसी भी धमकी के आगे हमलोग नहीं झुकने वाले हैं. यह वर्चुअल स्पेस पर हमला है. नयी मीडिया से जुड़े लोगों के प्रति एक खतरनाक प्रवृति की शुरुआत है. मीडिया वेबसाईट को कुचलने की साजिश है और इसका प्रतिरोध जरूरी है. मीडिया से जुड़ी तमाम वेबसाइटों पर सभी पक्षों को समान रूप से जगह दी जाती है. यह खुला मंच है. यदि आप किसी वेबसाईट की रिपोर्ट से इत्तफाक नहीं रखते तो कलम के जरिए विरोध कीजिये. प्रतिकार का यह कैसा तरीका है?
साभार - विस्फोट.कॉम

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