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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

तूने खबर लिखी अब, गोली खा

अमर उजाला के पत्रकार को गोली मारी : देश के सबसे वीवीआईपी क्षेत्र रायबरेली में खबर लिखने पर पत्रकार को गोली मारी गई . लेकिन पुलिस कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं है. घटना रायबरेली जिले के लालगंज थाना क्षेत्र की है. मामला नामजद दर्ज होने के बाद भी प्रशासन हाथ पर हाथ रखे बैठा हुआ है. स्थानीय बदमाश केशव सिंह के ऊपर कई मुकदमे पहले से दर्ज हैं. उस बदमाश के खिलाफ खबरें छपी थीं.
इस बदमाश के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा अमर उजाला के पत्रकार अवनींद्र उत्कर्ष ने अपनी खबरों के माध्यम से उजागर किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाही नहीं की. दो दिन पहले अवनींद्र अपने अखबार के ऑफिस से रात करीब 9.30 बजे घर जा रहे थे. तभी बदमाश केशव ने रायबरेली रेल कोच फैक्टरी के पास उन्हें घेरकर उन पर कातिलाना हमला किया. ईश्वर की कृपा से गोली कार के शीशे को तोड़ती हुई बगल से निकल गई और अवनींद्र साफ बच गए.
घटना के दो दिन बीत गए हैं लेकिन पुलिस अभी तक कोई कार्रवाई करने से बच रही है. स्थानीय लोग बताते हैं कि माया के राज में पुलिस एकदम निष्क्रिय पड़ गई है. लोग तो यहां तक कहते हैं कि माया और सोनिया के बीच छिड़ी राजनीतिक जंग को भुगतना रायबरेली की जनता को पड़ रहा है. खबरें कई चैनलों और अखबरों में चलने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है. अमर उजाला जैसे बड़े अखबार से जुड़े होने के बावजूद अवनींद्र अपने उपर हुए हमले के आरोपियों के खिलाफ पुलिस प्रशासन से कार्रवाई नहीं करा पाए हैं और इस समय न्याय की तलाश में भटक रहे हैं.
कहने को लखनऊ में ढेर सारे पत्रकार संगठन हैं और कई दिग्गज पत्रकार हैं लेकिन ज्यादातर की स्थिति मायाराज में सियार की हो गई है जो दिखाने को तो हुआं हुआं करते हैं लेकिन जब असली जगह पर, बड़े अधिकारियों के सामने दबंगई से अपनी बात रखने की बारी आती है तो इनकी आवाज गले में ही घुट कर रह जाती है और पूंछ हिलाते हुए विरोध की बजाय अफसरों की चाटुकारिता पर उतारु हो जाते हैं, मुंहदेखी बोलने को मजबूर हो जाते हैं. जाने कैसी मजबूरी इन पत्रकार नेताओं की है. उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक कई घटनाएं हो रही हैं, पत्रकार व पत्रकारों के परिजन प्रताड़ित किए जा रहे हैं पर पुलिस प्रशासन चुप्पी साधे हुए है. पत्रकार संगठन व पत्रकार नेता केवल अपने निजी फायदे नुकसान के तहत सत्ता के आगे पीछे घूम रहे हैं.
साभार : भड़ास ४ मीडिया.कॉम

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