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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

मीडिया की खबर लेती मायावती सरकार

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में दलित, वंचित, महिला और मीडिया सभी सरकार के निशाने पर हैं। कभी बुजुर्ग महिला को बंधक बनाकर रात भर थाने में रखा जाता है तो एक दलित बच्ची के साथ अगड़ी जातियों के दबंग लंपट सामूहिक बलात्कार करते हैं और पुलिस इसकी रपट लिखने में कोताही करती है। अपाहिज महिला को थाने में ढाई घंटे तक खड़ा रखा जाता है। कानपुर में पुलिस एक के बाद दूसरे अख़बार की खबर लेने में जुटी है। इसे लेकर पत्रकार संगठन आवाज उठा रहे हैं। यह कोई एकाध घटना नहीं है बल्कि मायावती के सत्ता में आने के बाद से यह सिलसिला जारी है।
बुजुर्ग पत्रकार महरुद्दीन खान को पुलिस ने एक नेता के इशारे पर लड़की भगाने के षड़यंत्र के आरोप में मुजफ्फरनगर जेल भेज दिया गया और जनसत्ता की खबर पर जब यह मामला संसद में उठा तो सरकार चेती और वे रिहा हुए। इसी तरह लखीमपुर में सम्युद्दीन नीलू को फर्जी मुठभेड़ में मारने की साजिश हुई और नाकाम रहने पर फर्जी मामले में फंसा कर जेल भेज दिया गया। यह सब हुआ तत्कालीन एसपी एन पदम्जा के इशारे पर जो बाद में जब गोंडा गईं तो वहां के पत्रकार राजेंद्र सिंह को फरार होना पड़ा। यह बानगी है उस उत्तर प्रदेश की जहाँ पिछले छह महीने में आधा दर्जन पत्रकार मारे जा चुके हैं।
ताजा मामला दिल्ली के पत्रकार यशवंत सिंह का है जिनकी माँ को गाजीपुर की पुलिस ने अठारह घंटे तक थाने में बंधक बना कर रखा। इस मामले आला अफसरों से गुहार लगाने के बावजूद भी कोई कायर्वाही अभी तक नही हुई है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा- मायावती सरकार मीडिया को सबक सिखा रही है। जिस तरह की घटनाएं सामने आई है उससे लगता नहीं की सरकार नाम की कोई चीज है। किसी बुजुर्ग महिला को थाने में बंधक बनाकर रखना शमर्नाक है और उस पर दोषी पुलिस वालों को बचाना सरकार की नीयत को दर्शाता है। इस मामले में दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कायर्वाही होनी चाहिए। आजमगढ़ में जिस तरह दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार होता है वह दलित मुख्यमंत्री के राजकाज का पर्दाफाश कर देता है।
गौरतलब है कि पंचायत चुनाव की रंजिश में हत्या के बाद गाजीपुर की पुलिस पत्रकार यशवंत सिंह की माँ को भी थाने ले आई जाकि आरोपी उनका चचेरा भाई था। यशवंत सिंह ने कहा- यह प्रकरण आला पुलिस अफसरों करमवीर सिंह और बृजलाल के आदेश पर घटित हुआ। नीचे के अफसरों से बात करने पर जवाब मिलता है कि ऊपर का दबाव है। दरअसल किसी आम आदमी से पुलिस कैसा व्यवहार करती है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यशवंत की माँ के साथ उनकी अपाहिज चाची को बैसाखी पर खड़ा रखा गया।
भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा- गाजीपुर पुलिस ने एक पत्रकार की माँ के साथ जो व्यवहार किया वह अक्षम्य है। इसी तरह आजमगढ़ में दलित के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सरकार की साख को ख़त्म करने वाला है, बेहतर हो सरकार दोनों मामलों में कड़ी कायर्वाही करे। इस बीच दलित किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले की जानकारी अनुसूचित जाति आयोग को भेज दी गई है।
यह घटना आजमगढ़ के कुरहंस गाँव की है। जहाँ 18 अक्तूबर को सायं सात बजे 17 वर्ष की युवती के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। युवती के पिता जयराम के मुताबिक 19 अक्टूार को जब वह अपनी पुत्री को लेकर थाने गये तो उसे न्याय देने की बजाय पुलिस के लोग पैसे का प्रलोभन देकर सुलह करने के लिए दबाव बनाने लगे, इसके बाद 20 अक्तूबर को शाम चार बजे प्राथमिकी दर्ज की गयी और शाम सात बजे के बाद चिकित्सीय परिक्षण कराया गया। प्राथमिकी दर्ज होने की इस देरी के पीछे पूरे मामले को हल्का बनाने की कोशिश थी। इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका बहुत ही अन्यायपूर्ण तथा उपेक्षापूर्ण है। इन दोनों उदाहरणों से साफ़ है कि उत्तर प्रदेश में पुलिस अब पूरी तरह अराजक हो चुकी है।
साभार : जनसत्ता

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