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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

रेल सफर में लुटी महिला जर्नलिस्ट

कांस्टेबल ने लुटेरे को भगाने में मदद की : भड़ास4मीडिया से बातचीत में आपबीती सुनाई : इस महिला जर्नलिस्ट के साथ जो कुछ हुआ, वह रेल सफर के दौरान सुरक्षा के दावे को तार-तार करने के लिए काफी है. किस तरह चोर-पुलिस मौसेरे भाई बन चुके हैं, जर्नलिस्ट मीनाक्षी गांधी के साथ हुए हादसे से समझा जा सकता है. मीनाक्षी के साथ रेल सफर के दौरान लूट होने की सूचना भड़ास4मीडिया को मिलने पर जब उनसे संपर्क किया गया तो उन्होंने अपनी पूरी आपबीती सुनाई. उन्हीं की जुबानी पूरी कहानी पेश है. उम्मीद करते हैं कि रेल मंत्रालय से जुड़े अधिकारी इस महिला जर्नलिस्ट को न्याय दिलाएंगे और दोषियों को दंडित कराएंगे. -एडिटर, भड़ास4मीडिया

मैं सोमवार रात को अपने बेटे के साथ जयपुर के गांधीगनर रेलवे स्टेशन से जयपुर-अमृतसर एक्सप्रेस पर सवार हुई और जालंधर के लिए रवाना हुई। मेरी बोगी नंबर 2 थी और सीट नंबर 1 और 4 थे। रिवाड़ी स्टेशन पर जब गाड़ी रुकी, तो वहां आरपीएफ के दो कांस्टेबल गाड़ी में सवार हुए। एक का नाम दिलबाग सिंह और दूसरे का नाम मनोज कुमार था। इस दौरान एक स्नैचर भी गाड़ी में आया और उसने मेरे सिर के नीचे रखा मेरा पर्स उठाकर वहां से भागना शुरू किया। मैं भी उसके पीछे भागी पर पर्स को प्‍लेटफार्म पर फेंक उसने ट्रेन से छलांग लगा दी। उस समय गाड़ी अभी स्‍टेशन से चलना शुरू हुई ही थी।

कंपार्टमैंट के दरवाज़े पर कांस्‍टेबल दिलबाग सिंह खड़ा था। मैंने उसे पर्स स्‍नैचिंग के बारे में बताया और चोर को पकड़ने के लिए कहा। पर उसने मेरी बात को पूरी तरह से अनसुना करते हुए मुझे सामान की संभाल कैसे की जाती है, इसके बारे में बताना शुरू कर दिया। इस दौरान उसने मेरे साथ बदसलूकी भी की। बार-बार चोर को पकड़ने के लिए कहने पर भी उसने एक नहीं सुनी। तब मैंने अपने ऑफिस में अपने क्‍लीग से बात कराने की कोशिश की, पर वो वहां से भाग चुका था। मैं उसके पीछे दौड़ी और वो तब तक दो बोगी पार कर चुका था। बार-बार नाम पूछने पर भी उसने अपने बारे में कुछ नहीं बताया। और बार-बार ऊंची आवाज़ में मुझे ही डांटता रहा कि ट्रेन में सफर के दौरान कीमती सामान कभी अपने पास नहीं रखना चाहिए।

जब पैसेंजर सारे मिलकर उससे बात करने गए, तो उसने मेरे ही फोन से बात करके कंप्‍लेंट लिखने के लिए कहा। साथ ही उसने मुझे अगले स्‍टेशन पर गाड़ी छोड़ने के लिए भी कहा ताकि कंप्‍लेंट लॉज हो सके। जब मेरे समेत समेत सभी यात्रियों ने इस पर एतराज जताया कि अकेली महिला रास्‍ते में नहीं उतरेगी और कंप्‍लेंट जालंधर जाकर भी दर्ज हो सकती है, तो बड़ी ना-नुकर के बाद उसने हैड कांस्‍टेबल को कंप्‍लेट लिखने को कहा। करीब डेढ घंटे के बाद हैड कांस्‍टेबल राजबीर ने कंप्‍लेंट दर्ज की जिसका पीएनआर नंबर 2641064112 है। गाड़ी की दो बोगियों एस-1 और एस-2 में कोई टीटी भी नहीं था। बताया गया कि स्‍टाफ शार्टेज के चलते टीटी हिसार में ही गाड़ी में चढ़ता है। कांस्‍टेबल दिलबाग सिंह का मेरे साथ व्‍यवहार काफी संदिग्‍ध रहा। उसने चोर को वहां से भगाने में पूरी मदद की और मेरी मदद करने से पूरी तरह इंकार कर दिया और चोरी का सारा ठीकरा मेरे सिर ही फोड़ दिया। इस चोरी में मेरे पर्स में से 5 हजार रुपए कैश, सोने के तीन जोड़ी झुमके, एक अंगूठी, एक लॉकेट, एक चांदी के गणपति, बैंक लॉकर की चाबी, ऐनक, लैंस व उसका लोशन, फोन का चार्जर, हैड फोन, एयरटैल का सिम कार्ड, मैमरी कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, प्रैस कार्ड, कॉसमैटिक्‍स व रोजमर्रा के सामान समेत काफी कीमती सामान थे, जिसकी कीमत 70 से 80 हजार रुपए के करीब है।

मीनाक्षी गाँधी

वेब कोआर्डिनेटर

दैनिक भास्कर, जयपुर

Sabhaar : bhadas4media.com

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