इंडिया न्यूज के रिपोर्टरों को अब खबर लाने के लिए कैमरा यूनिट और चैनल की कैब नहीं मिलेगी. उन्हें खुद जुगाड़ करके खबरें लानी होंगी. इसके लिए उन्हें प्रतिमाह 1500 रुपये का भत्ता चैनल की तरफ से दिया जायेगा. यह फरमान चैनल का खर्च कम करने के लिए जारी किया गया हैं. अब इंडिया न्यूज के रिपोर्टर सार्वजनिक परिवहन या अपने वाहन से खबरों की तलाश करेगा और फोन पर बतायेगा.
इंडिया न्यूज में कॉस्ट कटिंग के लिए कई नए निर्देश जारी किए गए हैं. खबरों को फाइल फुटेज से बनाने के लिए कहा गया है. अब चैनल से कैब और कैमरा यूनिट तभी भेजी जायेगी, जब बाइट एवं फुटेज बहुत जरूरी होगी. कैमरा यूनिट और कैब नहीं मिलने के फरमान से रिपोर्टर भी खासे नाराज हैं.
बताया जा रहा है कि चैनल मैनेजमेंट ने ये नया फरमान एक नई न्यूज एजेंसी से फीड मिलने की व्यवस्था होने के बाद जारी किया है. अब यह अलग बात है कि एजेंसी की खबरों की फीड कितनी जल्द या देर से पहुंचेगी और इसका चैनल को कितना लाभ होगा.
इंडिया न्यूज से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह सब चेयरमैन के खासमखास रवीन ठुकराल के निर्देश पर हो रहा है. ज्यादातर समय अखबारों में रहे रवीन ने इंडिया न्यूज हरियाणा से टीवी की दुनिया में कदम रखा था. कहा जा रहा है कि ठुकराल टीवी न्यूज इंडस्ट्री को भी प्रिंट मीडिया के नजरिये से देख रहे हैं. न्यूज चैनल से जुड़े स्ट्रिंगरों का भी पिछले 13 महीने से भुगतान नहीं किया गया है. जिससे स्ट्रिंगरों ने खबरें भेजना कम कर दिया है. उतार-चढ़ाव और नए फरमान के बीच इंडिया न्यूज की टीआरपी भी शून्य पर पहुंच गई है.
इंडिया न्यूज में कॉस्ट कटिंग के लिए कई नए निर्देश जारी किए गए हैं. खबरों को फाइल फुटेज से बनाने के लिए कहा गया है. अब चैनल से कैब और कैमरा यूनिट तभी भेजी जायेगी, जब बाइट एवं फुटेज बहुत जरूरी होगी. कैमरा यूनिट और कैब नहीं मिलने के फरमान से रिपोर्टर भी खासे नाराज हैं.
बताया जा रहा है कि चैनल मैनेजमेंट ने ये नया फरमान एक नई न्यूज एजेंसी से फीड मिलने की व्यवस्था होने के बाद जारी किया है. अब यह अलग बात है कि एजेंसी की खबरों की फीड कितनी जल्द या देर से पहुंचेगी और इसका चैनल को कितना लाभ होगा.
इंडिया न्यूज से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह सब चेयरमैन के खासमखास रवीन ठुकराल के निर्देश पर हो रहा है. ज्यादातर समय अखबारों में रहे रवीन ने इंडिया न्यूज हरियाणा से टीवी की दुनिया में कदम रखा था. कहा जा रहा है कि ठुकराल टीवी न्यूज इंडस्ट्री को भी प्रिंट मीडिया के नजरिये से देख रहे हैं. न्यूज चैनल से जुड़े स्ट्रिंगरों का भी पिछले 13 महीने से भुगतान नहीं किया गया है. जिससे स्ट्रिंगरों ने खबरें भेजना कम कर दिया है. उतार-चढ़ाव और नए फरमान के बीच इंडिया न्यूज की टीआरपी भी शून्य पर पहुंच गई है.
साभार : भड़ास ४ मीडिया .कॉम
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