अंबरीश कुमार
तीस नवम्बर को मंसूरी से देहरादून आते समय सोचा कि क्यों न ऋषिकेश में राजीव दीक्षित से मिल लिया जाए जो बाबा रामदेव के साथ काम कर रहे है । पर वापसी का टिकट कन्फर्म न होने की चिंता ने सारा कार्यक्रम ध्वस्त कर दिया । एक दिसंबर जब खबर बना रहा था तभी इंडियन एक्सप्रेस के वीरेंदर नाथ भट्ट का फोन आया , अरे आपके मित्र राजीव दीक्षित की डेथ हो गई है , आस्था चौनल पर खबर आ रही है । मै चौक गया ,यह कैसा संयोग है कल ही उनसे मिलने जा रहा था । उनके बारे में पहले पता चला कि कोई दुर्घटना हुई । बाद में पता चला कि दिल का दौरा पड़ा है । समझ नही आया कि जो व्यक्ति बाबा रामदेव के साथ हो और खुद लोगो को स्वास्थ्य के बारे में आगाह करता हो उसे दिल का दौरा पड़ जाए । पिछली मुलाकात चेन्नई में शोभाकांत जी घर हुई जहा राजीव के कहने पर सभी ने गर्म पानी पीना शुरू किया था । आज चेन्नई में प्रदीप जी से बात हुई तो बोले - कुछ गड़बड़ है । उनके बारे में कही कोई खबर तक नहीं आई । कई लोग किसी साजिश का अंदेशा भी जता रहे है । राजीव दीक्षित से अपना संबंध अस्सी के दशक से था जव छात्र युवा संघर्ष वाहिनी और अन्य जन संगठनों में सक्रिय था । बाद में दिल्ली में जनसत्ताा में आने के बाद आंदोलनों पर लिखना शुरू किया तो आजादी बचाओ आंदोलन पर काफी कुछ लिखा । 1989 के बाद से राजीव दीक्षित इलाहाबाद से जब भी आते तो सीधे बहादुरशाह जफर स्थित इंडियन एक्सप्रेस बिल्डिंग के निचले तल पर जनसत्ताा संपादकीय विभाग में मेरी सीट के सामने बैठ कर इंतजार करते । घर पर फोन करते और कहते - अंबरीश भाई , आराम से आए आप से चर्चा करनी है । उनसे बातचीत के बाद जब खबरे लिखनी शुरू की तो कुछ समय बाद ही कुछ कुंठित किस्म के लोगो ने एतराज किया और उनका नाम न देने की बात की । तब जनसत्ताा हिंदी पत्रकारिता में शीर्ष पर था और हिन्दी पट्टी में काफी पढ़ा जाता था । कोई आगे बढे तो विघ्नसंतोषी तत्तव खसरा खतौनी लेकर सात पुश्तों का हिसाब किताब ढूँढ़ लाते है । यह परम्परा पुरानी है और हिंदी मीडिया में कुछ ज्यादा ही है । इसलिए न तब परवाह की और न अब करता हूँ , यही वजह है राजीव दीक्षित से संबंध बना रहा । रायपुर में एक दिन कांग्रेस दफ्तर के सामने साइबर कैफे से इंडियन एक्सप्रेस को खबर भेज रहा था तभी राजीव दीक्षित का फोन आया और बोले -अंबरीश भाई मुलाकात कब हो सकती है तो मैंने घर आने को कहा । तभी जो लड़की खबर कम्पोज कर रही थी उसने बात सुनी और कहा क्या ये आजादी बचाओ आंदोलन वाले राजीव जी है ? मेरे हाँ कहने पर वह चौंकी और उनसे मिलने की इच्छा जताई । उसने ही बताया कि उनके कैसेट सुने जाते है । रात में राजीव घर आए तो उनके साथ करीब बीस गाड़ियों का काफिला भी था । मैंने छूटते कहा - राजीव जी आप तो अब ब्रांड बन गए है । जवाब में सिर्फ मुस्कुराए और बोले नागपुर से एक अखबार निकलना चाहता हूँ जो आंदोलन को आगे बढाए । आपकी मदद भी चाहिए । करीब घंटे भर साथ रहे । उसके बाद चेन्नई में वाहिनी के मित्र मिलन में उनसे मुलाकात हुई थी । करीब हफ्ता भर पहले ही बाबा रामदेव की खबर में उनका जिक्र किया था । आज सरे अखबार देख डाले कही कोई खबर नहीं । राखी सावंत से लेकर इंडियन आयडल अभिजीत सावंत की पिटाई तक की खबर है पर राजीव दीक्षित की खबर नही है । इसी समाज के लिए लड़ रहे थे राजीव दीक्षित
साभार : datelineindia.com
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