संजीव शर्मा
मेरे साथ पांवटा पुलिस के एसएचओ ने जो कुछ बर्ताव किया उसकी सफाई आप सबके सामने इस लिए रख रहा हूं ताकि आप सबको भी यकीन हो कि मैं आतंकवादी नहीं हूं ।
मेरे पिता जिनके आगे में स्वर्गीय शब्द इसलिए नहीं लिख सकता क्योंकि हमें उन पर कफन तक डालने का अवसर नहीं मिला …..
क्या आप जानते हैं क्यों … क्योंकि वो आसाम राईफल्स में एक सैनिक थे… हमें उनकी लाश तक नसीब नहीं हुई तो फिर स्वर्गीय कहने का मतलब ही कहां उठता है ।
एसएचओ साहब आपको पांवटा पुलिस थाने में आए आज सिर्फ चार महीने हुए हैं लेकिन आपकी जानकारी के लिए हम आपको बताते हैं जब आपकी पुलिस गहरी नींद सो रही थी और हिमाचल प्रदेश की बालाओं को फांस कर दलाल खरीद रहे थे तब मैने उनका असली चेहरा दुनिया के सामने रखा था
वो अलग बात है आपकी पुलिस ने उसका सारा श्रेय खुद ले लिया ।
मै ही वो इंसान हूं जब आपके विभाग के एक हैड कांस्टेबल घूस ले रहा था तब मैने ही उसे बेनकाब किया था आज वो नौकरी से हाथ धो बैठा है कानून ने भी संजीव शर्मा के मत को सही माना
आगे भी सुनिये आपको हम आतंकवादी लगते हैं तो वो अलग बात है लेकिन जब चुपचाप शेरों की नसबंदी हो रही थी तब मैने ही ये आवाज़ देश के नंम्बर एक न्यूज़ चैनल पर वाईल्ड लाईफ विभाग की पोल खोली थी
जब पांवटा साहिब में एक नाबलिग लड़की का बलात्कार हो रहा था और आपके पुलिस कर्मचारी तमाशा देख रहे थे तब मैने ही सच्चाई कैमरे पर आपके विभाग को दिखाई थी
मीडिया में दस साल से सेवा जरूर दे रहा हूं आधा दर्जन मीडिया के बड़े घरानों में अपनी सेवा देने के बाद भी आज ज़मीन पर हूं
आप जैसे अधिकारी हमें हमारी औकात याद दिला ही देते है दस साल सेवा देने के बाद भी अपने परिवार के लिए दस मीटर ज़मीन नहीं खरीद पाया हू यही मेरी असली औकात है आप वर्दी का रौब दिखाते हैंऔर हमें खुद को पत्रकार कहने से भी तकलीफ होती है क्योंकि हमारे कुछ साथी आपकी सेवा में लगे हैं
आपने उस दिन सच कहा था आप जैसा ऑफिसर मुझे कभी नहीं टकराया… यह सच है टकरना भी नहीं चाहिए क्योंकि थोड़ा बहुत जो मुझे पुलिस पर विश्वास है शायद वो पहले ही उठ जाता ।
और आप जैसा ऑफिसर टकरा भी कैसे सकता है क्योंकि इस तरह के पुलिस ऑफिसरों का शायद हिमाचल तो क्या यूपी में भी जन्म तक नहीं हुआ होगा फिर टकराने का सवाल href="http://voiceofpress.com/?p=3018"> email : mediasanjeev@gmail.com
मेरे साथ पांवटा पुलिस के एसएचओ ने जो कुछ बर्ताव किया उसकी सफाई आप सबके सामने इस लिए रख रहा हूं ताकि आप सबको भी यकीन हो कि मैं आतंकवादी नहीं हूं ।
मेरे पिता जिनके आगे में स्वर्गीय शब्द इसलिए नहीं लिख सकता क्योंकि हमें उन पर कफन तक डालने का अवसर नहीं मिला …..
क्या आप जानते हैं क्यों … क्योंकि वो आसाम राईफल्स में एक सैनिक थे… हमें उनकी लाश तक नसीब नहीं हुई तो फिर स्वर्गीय कहने का मतलब ही कहां उठता है ।
एसएचओ साहब आपको पांवटा पुलिस थाने में आए आज सिर्फ चार महीने हुए हैं लेकिन आपकी जानकारी के लिए हम आपको बताते हैं जब आपकी पुलिस गहरी नींद सो रही थी और हिमाचल प्रदेश की बालाओं को फांस कर दलाल खरीद रहे थे तब मैने उनका असली चेहरा दुनिया के सामने रखा था
वो अलग बात है आपकी पुलिस ने उसका सारा श्रेय खुद ले लिया ।
मै ही वो इंसान हूं जब आपके विभाग के एक हैड कांस्टेबल घूस ले रहा था तब मैने ही उसे बेनकाब किया था आज वो नौकरी से हाथ धो बैठा है कानून ने भी संजीव शर्मा के मत को सही माना
आगे भी सुनिये आपको हम आतंकवादी लगते हैं तो वो अलग बात है लेकिन जब चुपचाप शेरों की नसबंदी हो रही थी तब मैने ही ये आवाज़ देश के नंम्बर एक न्यूज़ चैनल पर वाईल्ड लाईफ विभाग की पोल खोली थी
जब पांवटा साहिब में एक नाबलिग लड़की का बलात्कार हो रहा था और आपके पुलिस कर्मचारी तमाशा देख रहे थे तब मैने ही सच्चाई कैमरे पर आपके विभाग को दिखाई थी
मीडिया में दस साल से सेवा जरूर दे रहा हूं आधा दर्जन मीडिया के बड़े घरानों में अपनी सेवा देने के बाद भी आज ज़मीन पर हूं
आप जैसे अधिकारी हमें हमारी औकात याद दिला ही देते है दस साल सेवा देने के बाद भी अपने परिवार के लिए दस मीटर ज़मीन नहीं खरीद पाया हू यही मेरी असली औकात है आप वर्दी का रौब दिखाते हैंऔर हमें खुद को पत्रकार कहने से भी तकलीफ होती है क्योंकि हमारे कुछ साथी आपकी सेवा में लगे हैं
आपने उस दिन सच कहा था आप जैसा ऑफिसर मुझे कभी नहीं टकराया… यह सच है टकरना भी नहीं चाहिए क्योंकि थोड़ा बहुत जो मुझे पुलिस पर विश्वास है शायद वो पहले ही उठ जाता ।
और आप जैसा ऑफिसर टकरा भी कैसे सकता है क्योंकि इस तरह के पुलिस ऑफिसरों का शायद हिमाचल तो क्या यूपी में भी जन्म तक नहीं हुआ होगा फिर टकराने का सवाल href="http://voiceofpress.com/?p=3018"> email : mediasanjeev@gmail.com
Sabhaar:- Pressvarta.com


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