'बसपा सरकार बेलगाम हो गई है. सरकार के इशारे पर काम करने वाली पुलिस निरंकुश हो चुकी है। अपराध और अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार कानून व्यवस्था को कैसे संभाल सकती है जब वह स्वयं और पुलिस आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है। निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों पर भी बसपा सरकार ने हमला शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री मायावती बौखला गई हैं। डॉ. राय के आवास पर पुलिस की यह हरकत निंदनीय है।'' - राजेंद्र चौधरी, प्रवक्ता, सपा, उत्तर प्रदेश
''मुख्यमंत्री के इशारे पर इस कृत्य को अंजाम दिया गया। वरिष्ठ साहित्यकार स्व. प्रो. रामकमल राय और डेली न्यूज़ ऐक्टिविस्ट के चेयरमैन प्रो. निशीथ राय के पैतृक आवास पर तोडफ़ोड़ सरकार के इशारे पर हुई है। इससे साफ है कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पुलिस की लाठी से कुचल रही है। सरकार अपने खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहती। सरकार की इस प्रवृत्ति की सभी को निंदा करनी चाहिए।'' -हृदय नारायण दीक्षित, एमएलसी, भाजपा, उत्तर प्रदेश
''मायावती सरकार से इस तरह केआचरण पर हैरानी नहीं होनी चाहिए। जब वह प्रदेशाध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का घर फुंकवा सकती है तो किसी साहित्यक ार, पत्रकार के घर में पुलिस के द्वारा तांडव कराना उसके लिए मामूली बात है। मायावती सरकार तानाशाह है। उससे लोकतांत्रिक बर्ताव की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। हर आलोचना करने वाले को यह सरकार पुलिस के डंडे से ही सबक सिखाती है। लोकतंत्र में ऐसे आचरण की जगह नहीं होनी चाहिए।'' -सुबोध श्रीवास्तव, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस, उत्तर प्रदेश
''किसी सभ्रांत परिवार के घर में बिना सर्च वारंट और महिला पुलिस के घुसना गैरकानूनी है। पुलिस का यह कृत्य निंदनीय है। सरकार अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाने का कुप्रयास कर रही है।'' -अनिल दुबे, प्रदेश महासचिव, रालोद, उत्तर प्रदेश
Sabhar:- Bhadas4media.com
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